कर्म आधारित शिक्षा
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अर्थ
वर्क बेस्ड लर्निंग या कर्म-आधारित शिक्षा वह कार्यक्रम है जिसमे पाठशाला के विद्यार्थी एक उद्योग या व्यापार में काम करते है और उसकी जानकारी प्राप्त करते है| इस कार्यक्रम का मुख्य विचार यह है की विद्यार्थी कर्म द्वारा अपना अध्याय पूरा करे| कर्म करने से विद्यार्थियों को विभिन तरह के ज़िम्मेदारियों की समझ आती है| यह ज़िम्मेदारी शैक्षिक, तकनीकी एवं सामाजिक रूप के हो सकते है| इस कार्यक्रम द्वारा पाठशाला में पढ़े हुए विषय तथा कर्म के विवरण का ग्यान मिलता है| इस शिक्षा कुछ दिनों से लेकर कुछ साल तक की अवधि के लिए होती है| इस दौरान विद्यार्थी को वेतन भी दिया जा सकता है| [१]
वर्क बेस्ड लर्निंग के सफल समाप्ति के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों का भाग बहुत ज़रूरी है -
- विद्यार्थी : छात्रों का यह उत्तरदायितव है की वे समय पर काम को जाए, अपने दिए गये कर्तव्यों को पूरा करे, व्यवसायिकता को कायम रखे एवं अपनी शमता बढ़ाए|
- सलाहकार : सलाहकार का कर्तव्य बनता है की वे विद्यार्थियों का मार्ग दर्शक बने, कर्म की पूरी सूचना दे कर उन्हे व्यस्त रखे, एवं उनकी निगरानी करे|
- समन्वयक: समन्वयक का यह कर्तव्य है की वे छात्रों की प्रगती का ध्यान रखे और उन्हे आवश्यक सहयोग दे|
- विद्यालय के व्यवस्थापक: व्यवस्थापक का कर्तव्य है की वे कर्म आधारित शिक्षा को पाठशाला में प्रस्तावन करे और उसे जारी रखे|
- माता-पिता: माता पिता का सहयोग होना चाहिए ताकि कार्यक्रम सफलतापूर्वक समाप्त हो| उन्हें अपने बचों की आशायें और हित की जानकारी है जिसके बलबूते पर वे अपने बालक के मार्ग दर्शक बन सकते है|
विधि
वर्क बेस्ड लर्निंग को निर्मलिखित तरीक़ो से प्राप्त किया जाता है - [२]
- कर्म शिशिक्षता / इंटर्नशिप
- औद्योगिक यात्रा / फील्ड ट्रिप
- सहयोगी शिक्षा / कोवापरेटिव लर्निंग
- उद्यमी अनुभव / एंट्रेपरेणेउर्शिप
- विद्यालय आधारित व्यापार
- सामुदायिक सेवा शिक्षा / सर्विस लर्निंग
गुण
- वास्तविक दुनिया सीखने का अनुभव
- रोजगार के अवसरों की जानकारी
- विश्लेषणात्मक सोच तथा तार्किक विचार
- प्रतिभाशाली कर्मचारी का उत्पादन
- प्रशिक्षण समय का कम होना [३]
- प्रशिक्षण कीमत का कम होना
अवगुण
- शिक्षात्मक कठिनाइयाँ
- जांच करने की बाधा