भाई गुरदास
imported>रोहित साव27 द्वारा परिवर्तित १४:४६, ११ दिसम्बर २०२० का अवतरण (Sarjitchavhan (Talk) के संपादनों को हटाकर InternetArchiveBot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)
सिख सतगुरु एवं भक्त |
---|
सतगुरु नानक देव · सतगुरु अंगद देव |
सतगुरु अमर दास · सतगुरु राम दास · |
सतगुरु अर्जन देव ·सतगुरु हरि गोबिंद · |
सतगुरु हरि राय · सतगुरु हरि कृष्ण |
सतगुरु तेग बहादुर · सतगुरु गोबिंद सिंह |
भक्त कबीर जी · शेख फरीद |
भक्त नामदेव |
धर्म ग्रंथ |
आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ |
सम्बन्धित विषय |
गुरमत ·विकार ·गुरू |
गुरद्वारा · चंडी ·अमृत |
नितनेम · शब्दकोष |
लंगर · खंडे बाटे की पाहुल |
भाई गुरदास (1551 – 25 अगस्त 1636) पंजाबी लेखक, इतिहासकार, उपदेशक तथा धार्मिक नेता थे। गुरु ग्रन्थ साहिब का मूल लेखन उन्होने ही किया था। वे चार गुरुओं के साथी भी रहे।
परिचय
भाई गुरदास जी का जन्म पंजाब के एक छोटे से गाँव गोइन्दवाल में हुया। उनके पिता जी भाई ईशर दास और माता जीवनी जी थे। वह गुरू अमर दास जी के भतीजे थे।वह लेखक, इतिहासकार और प्रचारक थे। उन्होंने सबसे पहले १६०४ में आदि ग्रंथ अपने हाथों लिखा। वह पंजाबी, संस्कृत, ब्रजभाषा और फ़ारसी के प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने पंजाबी, ब्रजभाषा और संस्कृत में काव्य रचना की। पंजाबी में वह 'वारां भाई गुरदास' के लिये जाने जाते हैं। ब्रजभाषा में उनके कबित्त और सवैये उच्चकोटि की रचना हैं। गुरू अर्जुन देव जी ने उन की रचना को 'गुरबानी की कुंजी' कहकर सम्मान किया। [१]
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।