सुन याओटिंग

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[चित्र:

सुन याओटिंग
जन्म 29 September 1902
मृत्यु December 17, 1996(1996-12-17) (उम्र साँचा:age)
बेजिंग
प्रसिद्धि कारण चीन के राजशाही दौर का अंतिम राजशाही हिजड़ा

सुन याओटिंग राजशाही चीन के समय से आधूनिक काल तक जीवित रहने वाले अंतिम राजशाही हिजड़े थे।

प्ररंभिक जीवन

सुन का प्ररंभिक जीवन दुःखों से भरा था। उनके गाँव के ज़मीनदान ने उनके खेतों पर ख़ब्ज़ा कर लिया था और उनके घर को जला दिया था। परिवार की स्थिति दयनीय थी। ऐसे में उनके पिता ने इस आशा में कि सुन यदि नपुंसक बना दिये जाते हैं तो उन्हे राज दरबार में राजपरिवार की महिलाओं और महल की देख-रेख का दायित्व प्राप्त होगा जिससे कि उनके पिता और भाई-बहन की पारिवारिक आर्थिक स्थिति ठीक होगी, सुन का अपने हाथों से बधियाकरण किया।

नपुंसकीकरण

सुन के पिता ने नपुंसकीकरण की प्रक्रिया को सुन पर मिट्टी की दीवारों से बने एक घर में पूरा किया। उस समय उनकी आयु आठ वर्ष की थी। इस प्रक्रिया के समय कोई बेहोश करने की दवाई नहीं थी और केवल तेल में डूबे हुए काग़ज़ को पट्टी के तौर पर प्रयोग में लाया गया था। एक फटी-हुई रज़ाई को सुन के गुप्तांग के मुख्य भाग को अलग करने के बाद उसके अन्दर डाला गया था ताकि चोट के ठीक होते समय उसे बन्द होने से रोका जा सके।

सुन तीन दिन तक बेहोश रहे थे। वह दो महीने तक अपने पाँव पर चल नहीं सकते थे। जब वह चलने-फिरने के योग्य हुए, उन्हें पता चला कि जिस राजा की सेवा के लिए उन्हें अपनी पुरुष पहचान गँवानी पड़ी, उसके अधिकार उससे कुछ सप्ताह पूर्व छीन लिए गए थे।

सांस्कृतिक क्रांति

चीन के नाम-मात्र राजा पू यी ने सुन याओटिंग को अपने महल में जगह दी। वह अभी एक अच्छे "कर्मचारी" के रूप में राज परिवार की महिलाओं की देख-रेख कर ही रहे थे की 1966-76 के बीच चीन में सांस्कृतिक क्रांति की लहर दौड़ी, जिसके चलते राजपरिवार के सदस्यों के रहे सहे अधिकार भी हटा दिए गए।

सिर्फ़ इतना ही नहीं, चीन में राजशाही दौर की हर बात को दंडनीय माना जाने लगा। चीन के राजशाही हिजड़ों के बारे में एक मान्यता थी कि यदि मृत्यु के समय उस व्यक्ति के शव के साथ उसके अलग किए गए गुप्तांग को सम्मिलित किया जाए तो अगले जन्म में वह व्यक्ति पुरुष के रूप में वापस आएगा।

सुन याओटिंग इस आशावादी मान्यता को भी पूरा करने से रहे क्योंकि सांस्कृतिक क्रांति से भयभीत होकर उनके परिवार वालों उनके गुप्तांग को भी नष्ट कर दिया था।

चीनी सरकार का बरताव

सांस्कृतिक क्रांति के बाद कई राजशाही हिजड़े भाग खड़े हुए, पर सुन याओटिंग अपने स्थान पर बना रहा। शुरू में उससे कड़ाई से निपटा गया, पर बाद में सरकार ने उसे छोड़ दिया। उस अपने जीवन के अंतिम समय बेजिंग के मन्दिर में गुज़ारे।

मृत्यु

सुन याओटिंग 1996 में अपनी प्रकृतिक मौत मर गया था।

जीवन पर एक पुस्तक

इतिहासकार जिया यिंगहुआ (Jia Yinghua) ने सुन याओटिंग के जीवन पर आधारित एक पुस्तक "The Last Eunuch of China" लिखी थी जो 2009 में प्रकाशित हुई।[१] इसी पर आधारित एक फ़िल्म भी बनी।

सन्दर्भ

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