केदार घाट

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गंगा किनारे स्थित केदार घाट का एक दृश्य।

कॆदार घाट गंगा किनारे एक बहुत ही रमणीक घाट है। यह घाट विजयानगरम घाट कॆ साथ मॆ है। इसकॆ समीप मॆ चौकी घाट पर शीतल जलधारा निकलती है। यहाँ हररोज शाम को गंगा आरती हॊती है। पंचगंगा नहान का असी घाट के बाद दूसरा नहान का पङाव है। इस घाट पर दक्षिण भारतीयॊ की बहुत भीड़ होती है। दक्षिण भारतीयॊ का महाकुंभ के नहान का विधान है। इस घाट पर बाबा केदार नाथ के साथ-साथ माता पार्वती लिंग स्वरूप में विराजमान हैं । एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा मान्धाता नित्य शंकर भगवान की पूजा अर्चना करते एवं दान इत्यादि के उपरान्त भोजन करते थे। एक दिन इनके मन में विचार आया, कि शरीर कमजोर हो रहा है पूजा अर्चना भी ठीक तरह से नहीं हो रहा है, तो आप (केदार नाथ) ही कोई उपाय करें। कुछ समय के उपरान्त राजा मान्धाता मकर संक्रान्ति के दिन शंकर भगवान की पूजा अर्चना के लिये तत्पर होकर पूजन के बाद खिचङी का भोग के दो भाग (शंकर एवं पार्वती )कर दिये, इतने में कोई ब्राम्हण आकर भिक्षा की याचना करने लगा। राजा ब॒।म्हण को भिक्षा देने लिये उसके पिछे गया, आकर क्या देखता है, जो भोग के रूप में खिचङी रखा था, वह एक लिंग रूप में परिवर्तित हो गया है, उसी समय से बाबा केदार नाथ को खिचङिया महादेव भी माना जाता है। जिस समय औरंगजेब काशी के मंदिरों पर हमला कर रहा था, तो बाबा केदार नाथ भी मंदिर भी इससे अछूता नहीं रहा। मंदिर में पहुँच कर उसने नंदी पर तलवार से हमला किया, जिसके निशान आज भी नंदी पर मौजूद है, परन्तु उसी समय मंदिर के भीतर से भौरों के विशाल झुंड ने औरंगजेब को वापस हटने के लिये मजबूर कर दिया। बाद में यही औरंगजेब ने कहा था, कि इस मंदिर में कोई बहुत पहुँचा हुआ फकीर रहता है,और उसने एक पीतल का ढाई मन घंटा दान में दिया,जो आज भी मंदिर के उपरी भाग मे मौजूद है। गौरी-केदारेश्वर मंदिर में पूजार्चन ऐवं मंदिर प्रबंधन का कार्य दक्षिण भारतीय कुमार स्वामी मठ द्वारा किया जाता है। कुमार स्वामी मठ में बाबा केदार नाथ जी के लिऐ नित्य खिचडी भोग के लिऐ बनाये जाते हैं ।देव दीपावली पर घाट पर दीपोत्सव की छटा अद्भुत होती है । बृद्ध यात्रियों के हेतु विजया नगरम् घाट पर स्वचालित कुर्सी की सुबिधा भी है। केदार धाट पर गंगा जी में पक्षियों का दाना जल पर खाते हुऐ नजारा देखते ही बनता है ।