जेजुरी

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Jejuri
जेजुरीगढ़
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जेजुरी का खण्डोबा मन्दिर
जेजुरी का खण्डोबा मन्दिर
उपनाम: खण्डोबाची जेजुरी
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देशपुरंदर तालुका
प्रान्तमहाराष्ट्र
ज़िलापुणे ज़िला
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2011)
 • कुल१४,५१५
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
वासीनामजेजुरीकर
भाषा
 • प्रचलितमराठी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड412303
दूरभाष कूट+91-2115
वाहन पंजीकरणMH-12,MH-14,MH-42
वेबसाइटwww.khandoba.com

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जेजुरी (Jejuri) भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे ज़िले में स्थित एक नगर है। यह खंडोबा के मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। मराठी में इसे 'खंडोबाची जेजुरी' ("खंडोबा की जेजुरी") के नाम से जाना जाता है।[१][२][३]

परिचय

खंडोबा का मंदिर एक छोटी-सी पहाड़ी पर स्‍थित है जहाँ पहुँचने के लिए दो सौ के करीब स‍ीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। पहाड़ी से संपूर्ण जेजुरी का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है। चढ़ाई करते समय मंदिर के प्रांगण में स्थित दीपमाला का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है। जेजुरी अपनी प्राचीन दीपमालाओं के लिए बहुत प्रसिद्ध है।मल्ला और मणि पर खंडोबा पर जीत को मनाने के लिए, प्रतिवर्ष एक छह दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है। मार्गशीर्ष के हिंदू महीनेमें इसका आयोजन होता है।मेले के अंतिम दिन को चंपा षष्ठी कहा जाता है और इस दिन व्रत किया जाता है।

खंडोबा मन्दिर वास्तु

मंदिर को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया गया है। पहला भाग मंडप कहलाता है जहाँ श्रद्धालु एकत्रित होकर पूजा भजन इत्यादि में भाग लेते हैं जबकि दूसरा भाग गर्भगृह है जहाँ खंडोबा की चित्ताकर्षक प्रतिमा विद्यमान है। हेमाड़पंथी शैली में बने इस मंदिर में 10x12 फीट आकार का पीतल से बना कछुआ भी है। मंदिर में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई हथियार रखे गए हैं। दशहरे के दिन तलवार को अधिक समय के लिए उठाने की प्रतिस्पर्धा भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां के मुख्य देवता भगवान खंडोबा हैं। इन्हे मार्तण्ड भैरव औरमल्हारी - जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव का दूसरा रूप है। मराठी में, सम्मान रूप में किसी नाम के बाद "बा", "राव" या "राया", लगाया जाता है। इसीलिए ,खंडोबा भीखण्डेराया या खंडेराव के रूप में जाना जाता है।शहर में भी खण्डोबाची जेजुरी (भगवान खंडोबा के जेजुरी) के नाम से जाना जाता है। खंडोबा की मूर्ती अक्सर एक घोड़े की सवारी करते एक योद्धा के रूप में है। उनके हाथ में राक्षसों को मारने के लिए कि एक बड़ी तलवार (खड्ग) है। खंडोबा नाम भी खड्ग इस शब्द से लिया गया है। कुछ लोग खंडोबा को शिव, भैरव (शिव का क्रूर रूप ), सूर्य देवता औरकार्तिकेय -इन देवताओं के समामेलनके रूप में विश्वास करते हैं।

इतिहास

मल्हारी महात्म्य और महाराष्ट्र और कर्नाटक के लोक गीतों तथा साहित्यिक कृतियों में खंडोबा का उल्लेख मिलता है। ब्रह्माण्ड पुराण में उल्लेख मिलता है कि दो राक्षस भ्राताओं, मल्ला और मणि को भगवान ब्रह्मा से एक वरदान द्वारा संरक्षित किया गया था। इस सुरक्षा के साथ, वे अपने आप को अजेय मानने लगे और पृथ्वी पर संतों और लोगों को आतंकित करने लगे। तब भगवान शिवने खंडोबा के रूप में अपने बैल, नंदी की सवारी करते हुए ए। दुनिया के लिए राहत प्रदान करने हेतु उन्होंने राक्षसों को मारने का भार संभाला। मणि ने उन्हें एक घोडा प्रदान किया और मानव जाति की भलाई के लिए भगवान से वरदान माँगा। खंडोबा ने खुशी से यह वरदान दिया। अन्य दानव मल्ला ने , मानव जाति के विनाश माँगा। तब भगवन ने उसका सर काट कर मंदिर की सीढ़ियों पर छोड़ दिया ताकि मंदिर में प्रवेश के समय भक्त द्वारा कुचल दिया जा सके।

उत्सव

खंडोबा एक उग्र देवता माने जाते है और इनकी पूजा के कड़े नियम होते हैं। साधारण पूजाओं की तरह हल्दी, फूल और शाकाहारी भोजन के साथ-साथ, कभी कभी बकरी का मांस मंदिर के बाहर देवता को चढ़ाया जाता है। भक्तो के अनुसार खंडोबा बच्चे के जन्म और विवाह में बाधाओं को दूर करते है। मल्ला और मणि पर उनकी जीत को मनाने के लिए, एक छह दिवसीय मेला जेजुरी में हर साल आयोजित किया जाता है। इस मेले को मार्गशीर्ष के हिंदू महीने के दौरान मनाते है। अंतिम दिन को चंपा षष्टी कहा जाता है और इस दिन व्रत किया जाता है। रविवार और पूर्णिमा के दिन पूजा के लिए शुभ दिन माना जाता है।

चित्र दीर्घा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
  2. "Mystical, Magical Maharashtra स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
  3. Hunter, William Wilson, Sir, et al. (1908). Imperial Gazetteer of India, Volume 18, pp 398–409. 1908-1931; Clarendon Press, Oxford