कलविंकक
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कलविंकक | |
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Scientific classification | |
Binomial name | |
Luscinia megarhynchos (Brehm, 1831)
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कलविंकक (common nightingale या, केवल nightingale , वैज्ञानिक नाम : Luscinia megarhynchos) एक छोटा पक्षी है जो अपनी मधुर गान के लिये प्रसिद्ध है। यह ईरान के साहित्योद्यान का प्रसिद्ध गायक पक्षी है। इसको ईरान में ठीक ही 'बुलबुल हजार दास्ताँ' का नाम मिला है, क्योंकि वह बिना दम तोड़े, लगातार, घंटे-घंटे भर तक गाता है। वह कई प्रकार से, भारत के लाल दुमवाले बुलबुल से भिन्न पक्षी है। वह कीटभक्षी है जो भारत की ओर नहीं आता, परंतु भारत के शौकीन लोग इसे बाहर से मँगवाते हैं और पिंजरों में पालते हैं।
परिचय
यह अपने मधुर स्वर के कारण उर्दू-फारसी के कवियों द्वारा साहित्य में अमर हो गया है। यह अरब और ईरान में 'बुलबुल हजार दास्ताँ' तथा यूरोप में 'नाइटिंगेल' के नाम से प्रसिद्ध है। कविकल्पना के अनुसार मादा बुलबुल विरह से व्याकुल होकर अपने सीने को काँटों से दबाकर गाती है। किंतु वास्तविकता यह है कि अन्य पक्षियों के जोड़ा बाँधने के समय नर ही नारी को रिझाने के लिए बहुत-बहुत मीठे स्वर में बोलता है।
यह यूरोप के दक्षणी भाग में पर्याप्त संख्या में मिलता है, परंतु उत्तरी भाग में बहुत कम या बिल्कुल नहीं दिखाई पड़ता। इसकी कई जातियाँ हैं जिनमें ल्युसीनिया मेगारिंका (Luscinia megarhynchos) सबसे प्रसिद्ध है। यह जाड़ों में ईरान, अरब, न्यूबिया, अबोसीनिया, अल्जीरिया तथा गोल्ड कोस्ट तक पहुँच जाता है। कलविंकक छोटा सा चार पाँच इंच लंबा पक्षी है, जिसके नर और मादा एक ही तरह के होते हैं। इसके शरीर का ऊपरी कत्थई और नीचे का राखीपन लिए सफेद रहता है। सीने का रंग गाढ़ा और दुम का चटक तथा चमकीला होता है।
दूसरा कलविंकक (ल्युसीनिया, फ़िलोमैला, Lucinia philomela) पहले से कद में कुछ बड़ा और रंग में उससे चटकीला होता है। यह यूरोप के पूर्वी भाग का निवासी है। तीसरा कलविंकक (ल्युसीनिया हैफ़िज़ी Lucinia hafizi) ईरान और अरब का प्रसिद्ध 'बुलबुल हजार दास्ताँ' है, जो इन्हीं देशों के आसपास पाया जाता है।
अन्य पक्षियों की भाँति इसके नर नारी समय आने पर घास फूस, पत्तियों और पतली जड़ों से अपना ढीला-ढाला घोंसला किसी झाड़ी में, पृथ्वी पर, अथवा किसी नीची डाल पर, बनाते हैं। नारी इसमें गाढ़े जैतूनी रंग के चार पाँच अंडे देती है।
चरखी की जाति के दो पक्षी भी 'चीनी नाइटिंगेल' तथा 'जापानी नाइटिंगेल' के नाम से प्रसिद्ध हैं, पर वे कलविंकक से भिन्न होते हैं।