जेम्स प्रिंसेप

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जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इण्डिया कम्पनी में एक अधिकारी के पद पर नियुक्त थे। उन्होंने 1838 ई. में सर्वप्रथम ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की। इन लिपियों का उपयोग सबसे आरम्भिक अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है। प्रिंसेप को यह जानकारी प्राप्त हुई कि अभिलेखों और सिक्कों पर पियदस्सी (प्रियदर्शी) अर्थात सुन्दर मुखाकृति वाले राजा का नाम लिखा गया है। कुछ अभिलेखों पर राजा का नाम सम्राट अशोक भी लिखा हुआ था।

इन शिलालेखों की खोज सबसे पहले 1750 में फेंथलर ने की थी और सबसे पहले 1837 में इसको जेम्स प्रिंसेप ने इन शिलालेखों को पढ़ा था।

बनारस की कुछ छबियाँ

जेम्स प्रिंसेप ने बनारस के बहुत से फोटो लिए थे। नीचे कुछ छबियाँ दी गयीं हैं।

== सन्दर्भ == 1यह एक ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकारी था। 2 भारत मे प्राप्त शीला लेख पर लिखी गई है ब्राह्मी ओर खरोष्ठी लिपि को सबसे पहले पढ़ने में सफलता इसे को प्राप्त हुई।3 इसने अशोक सम्राट के संबंध शिलालेखों को सबसे पहले पढ़ा और कहां की अशोक ने देवनाम प्रियदसी की उपाधि धारण की है।


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