विजिटर पुरस्कार

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डॉ प्रणब मुखर्जी आगंतुकों पुरस्कार दे रही है

विजिटर पुरस्‍कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों को दिए जाते हैं। 2014 के कुलपतियों के सम्‍मेलन में इन पुरस्‍कारों को शुरू करने की घोषणा की गई थी तथा 2015 में पहली बार इन्हें प्रदान किया गया। इसका उद्देश्‍य केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों में प्रतिस्‍पर्धा बढ़ाने और विश्‍व में उपलब्‍ध अध्‍ययन के बेहतर तरीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा देना है।[१]


श्रेणियाँ

ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं[१]-

  • सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालय
  • नवाचार और
  • अनुसंधान

पुरस्कार

सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालय के विजेता को अलंकरण और ट्रॉफी प्रदान की जाती है जबकि ‘नवाचार’ और ‘अनुसंधान’ पुरस्‍कार पाने वालों को अलंकरण और एक लाख रुपए की नकद राशि दी जाती है।[१]

प्रथम पुरस्कार वितरण, २०१५

04 फरवरी, 2015 राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2015 के लिए केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों के ‘सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालय’, ‘नवाचार’ और ‘अनुसंधान’ की श्रेणी में विजिटर पुरस्‍कार प्रदान किए।[१]

  • हैदराबाद विश्वविद्यालय को बढ़िया कार्य और बेहतर अकादमी के लिए ‘सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालय’ का पुरस्‍कार दिया गया।
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय के. चौधरी और डॉ॰ अमिता गुप्‍ता को तपेदिक की तेजी से पहचान परीक्षण - ‘टी.बी. कन्‍फर्म’ की उनकी खोज के लिए ‘नवाचार’ पुरस्‍कार से नवाज़ा गया।
  • ‘अनुसंधान’ पुरस्‍कार जामिया मिलिया इस्लामिया के सेन्‍टर फॉर थियोरिटिकल फिज़िक्‍स के ब्रह्माण्ड विज्ञान (कॉस्‍मोलॉजी) और खगोल भौतिकी (एस्‍ट्रोफिज़िक्‍स) अनुसंधान दल को एस्‍ट्रोफिज़िक्‍स और कॉस्‍मोलॉजी के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय अनुसंधान के लिए प्रदान किया गया। इस दल में जामिया मिल्‍लिया इस्‍लामिया के प्रोफेसर एम. सामी, प्रोफेसर सुशान्‍त जी. घोष, प्रोफेसर संजय झिंगन और प्रोफेसर अंजन आनन्‍द सेन थे।

सन्दर्भ