भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा
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भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा (जन्म:01 फरवरी 1899 - 12 नवंबर 1986) भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। उनका जन्म बिहार के शाहाबाद जिले ( आज का भोजपुर जिला) के गांव गजियापुर में हुआ था, जो बड़हरा अंचल में गंगा नदी के किनारे अवस्थित है। वे आजादी के बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। उनका कार्यकाल 1 अक्टूबर, 1956 से 31 जनवरी, 1964 तक रहा। वे भारत के छठवे प्रधान न्यायाधीश थे जिनका कार्यकाल अबतक के न्यायाधीशों में सबसे ज्यादा रहा है। वे भारत स्काउट एंड गाइड के भी प्रेसिडेंट रहे।
शिक्षा
आरा के जिला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पाने के बाद वे पटना कॉलेज से बीए (आनर्स) और पटना लॉ कॉलेज से बी. एल. किया। फिर इतिहास विषय में पटना विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई पूरी की। वे सभी परीक्षाओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते रहे। इतिहास में विश्वविद्यालय टॉपर होने के चलते उन्हें श्रीमती राधिका सिन्हा गोल्ड मेडल मिला था।
करियर
भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा ने पटना हाईकोर्ट में वकील के तौर पर अपना करियर आरंभ किया। वे 1922 से 1927 तक वकील के बतौर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे। फिर एडवोकेट बने। वे पटना के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में सन् 1926-35 तक लेक्चरर रहे। बाद के दिनों में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कोर्ट के भी सदस्य रहे। सरकारी वकील के तौर पर भी उन्होंने सेवा दी। सन 1943 में उन्हें पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां सन् 1951 तक रहे। नागपुर स्थित बांबे हाईकोर्ट की खंडपीठ में उन्हें मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। सरकार ने 1954 में उन्हें प्रोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया। पांच साल बाद अक्टूबर, 1959 में मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। उस पद पर वे सेवानिवृत होने तक यानि 31 जनवरी, 1964 तक रहे।
धार्मिक जीवन
न्यायमूर्ति बीपी सिन्हा पूर्णरुप से धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति थे। गंगा किनारे जन्म होने और बचपन बीतने के चलते मां गंगा के प्रति उनकी आगाध श्रद्धा थी। वे नियमित रूप से गंगा स्नान करते और गंगाजल का सेवन करते थे। वे भौतिकता और आधुनिकता के चक्कर में कभी नहीं पड़े। और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहने के बावजूद भी सामान्य आदमी के तौर पर अपनी जीवन गुजारा।
निधन
जस्टिस भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा का निधन 12 नवंबर, 1986 को हुआ। उनके बेटे भी सुप्रीम कोर्ट में जज रहे। हाल में उनके पोते बमभोला प्रसाद सिंह भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के अवकाश ग्रहण किये हैं। यानि उनकी तीन पीढियां न्यायिक सेवा में रही।