स्वतः लब्धि नियंत्रण

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एनालॉग टेलीफोन नेटवर्क में प्रयुक्त AGC का योजनामूलक चित्र। लब्धि को बदलने के लिये आउटपुट से फीडबैक एक Vactrol resistive opto-isolator से लिया गया है।

स्वतः लब्धि नियंत्रण (automatic gain control (AGC)) एक ऐसा परिपथ या नियंत्रण प्रणाली है जो इन्पुट संकेत के घटने-बढने के बावजूद आउटपुट को एक नियत मान पर बनाये रखती है। बहुत सी इलेक्ट्रानिक युक्तियों (जैसे रेडियो, टीवी, रडार आदि) में यह प्रयुक्त होती है।

आउटपुट के स्तर को नियत बनाये रखने के लिये आउटपुट संकेत का औसत मान या शिखर मान (पीक वैलू) सेंस किया जाता है और इसे निगेटिव फीडबैक कर दिया जाता है। स्वतः लब्धि नियंत्रण से लाभ यह है कि इसके रहने से प्रवर्धक इनपुट संकेत के बहुत छोटे से लेकर बहुत बड़े मान के लिये भी संतोषजनक ढंग से काम करता है और संतृप्त (सैचुरेट) नहीं होता। उदाहरण के लिये यदि AGC न हो तो AM रेडियो रिसीवर से निकलने वाली आवाज कभी धीमी सुनाई पड़ेगी और कभी बहुत तेज। किन्तु AGC के काम करने के कारण यदि आवाज एक सीमा से अधिक होने लगे तो स्वतः इसको कम कर दिया जाता है।

रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एजीसी एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ होता है जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।

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