मानव त्वचा का रंग

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>हिंदुस्थान वासी द्वारा परिवर्तित ०७:२८, १४ मार्च २०२० का अवतरण (Shyamkumar90 (Talk) के संपादनों को हटाकर SM7Bot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
मानव त्वचा के रंगों का वर्णक्रम व्यक्त करता दक्षिण अफ़्रीका का विस्तारित अश्वेत परिवार।

मानव त्वचा का रंग गहरे भूरे से लेकर हल्के गुलाबी-श्वेत तक विस्तृत परास रखता है। मानव त्वचा वर्णकता प्राकृतिक वरण का परिणाम है। मानव में त्वचा वर्णकता का विकास मुख्यतः त्वचा का वेधन करने वाली पराबैंगनी विकिरणों की मात्रा को विनयमित करने और इसके जीव-रासायनिक प्रभावों नियंत्रित करने से हुआ।[१]

भिन्न लोगों का वास्तविक रंग विभिन्न तत्वों पर निर्भर करता है यद्यपि सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व मेलानिन वर्णक है। मेलानिन का निर्माण त्वचा की असिताणु नामक कोशिकाओं के अन्दर होता है और गहरे श्याम वर्ण के लोगों की त्वचा का रंग इससे ही निर्धारित होता है। हल्के रंग के लोगों की त्वचा का रंग बाहरी त्वचा के नीले-सफेद संयोजी ऊतकों और शिराओं में प्रावहित होने वाले हीमोग्लोबिन से निर्धारित होता है। त्वचा में अंतर्निहित लाल रंग दृश्यमान होता है जो मुख्य रूप से चेहरे पर कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में अधिक दिखाई देता है जैसे व्यायाम के उपरांत, तन्त्रिका तन्त्र की उत्तेजित अवस्था (गुस्सा, डर) धमनिका में फुलाव की स्थिति।[२]

सन्दर्भ