रुंग परिघटना
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संख्यात्मक विश्लेषण के क्षेत्र में जब किसी समदूरस्थ अन्तर्वेशन बिन्दुओं पर कोई अधिक घात वाला बहुपद फिट किया जाता है तो अवकाश (इन्टरवल) के दोनों सिरों पर 'कम्पन' दिखायी देता है। इस समस्या को रुंग परिघटना (Runge's phenomenon) कहते हैं। इसकी खोज जर्मन गणितज्ञ कार्ल रुंग ने १९०१ में किया था। यह खोज महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह दर्शाती है कि अधिक घात वाला बहुपद फिट करने से अधिक यथार्थता (एक्युरेसी) मिना जरूरी नहीं है। यह परिघटना फ़ूर्ये श्रेणी के सन्दर्भ में गिब्ब परिघटना जैसी है।