कर्णवास

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>WikiWriter9919 द्वारा परिवर्तित ०९:२३, २७ जून २०२१ का अवतरण
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

कर्णवास, उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले में डिबाई के निकट गंगा तट पर स्थित एक ऐतिहासिक ग्राम है। यह प्राचीन भृगु-क्षेत्र माना गया है जहाँ कल्याणी देवी और कर्ण शिला दर्शनीय तीर्थ हैं। अलीगढ़-बरेली रेलमार्ग से समीप ही स्थित राजघाट रेलवे स्टेशन पर उतर कर यहाँ पहुंचा जा सकता है। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कर्णवास में तपस्या की थी।

महाभारत काल के कर्ण का इस स्थान से सम्बन्ध बताया जाता है, जिसका नामकरण महाभारत के नायक कर्ण के नाम पर किया गया है। राजा कर्ण परोपकार के लिए काफी प्रसिद्ध थे, इसलिए उन्हें ‘दानवीर कर्ण’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कर्ण ने उस समय हर दिन 50 किग्रा सोना दान किया करते थे। पर्यटक यहां महाभारत काल के देवी कल्याणी मंदिर भी घूम सकते हैं। कर्णवास बुलंदशहर से ज्यादा दूर नहीं हैं और ऑटो रिक्शा व टैक्सी के जरिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

कर्णवास में गंगा नदी के किनारे ही एक गुरुकुल, इंटर कॉलेज स्थित है एवं दो मुख्य घाट तेरह मन्दिर घाट एवं माता मंदिर घाट स्थित हैं।