लघु प्रवर्धक

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लघु प्रवर्धक या 'लॉग एम्प्लिफायर' वह प्रवर्धक है जिसका आउटपुट वोल्टेज Vout, इनपुट वोल्टेज Vin के प्राकृतिक लघुगणक के K गुना हो।

<math>V_\mathrm{out} = K \ln\frac{V_\mathrm{in}}{V_\mathrm{ref}}</math>

जहाँ Vref नॉर्मलाइजेशन नियतांक (normalization constant, वोल्ट में) है।

लघु परवर्धक की ऑप-ऐम्प और डायोड पर आधारित परिपथ

ऑप-ऐम्प पर आधारित मूलभूत लघु प्रवर्धक

इन्पुट वोल्टता <math>V_{\text{in}}</math> और आउटपुट वोल्टता <math>V_{\text{out}}</math> के बीच सम्बन्ध निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है-

<math>V_{\text{out}} = -V_{\text{T}} \ln \left(\frac{V_{\text{in}}}{I_{\text{S}} \, R} \right)</math>

जहाँ <math>I_{\text{S}}</math> तथा <math>V_{\text{T}}</math> क्रमशः संतृप्त धारा एवं तापीय वोल्टता हैं


ट्रांसडायोड संरचना (Transdiode configuration)

उपरोक्त चित्र में डायोड के स्थान पर ट्रांजिस्टर (बीजेटी) लगाकर भी किया जा सकता है। इसके लिये बीजेटी के बेस को ग्रांउण्ड कर देते हैं, ऊपर जहाँ डायोड का एनोड और कैथोड जुड़े हैं वहाँ बीजेटी के क्रमशः कलेक्टर और एमिटर जोड़ देते हैं।

<math>V_\mathrm{BE} = -V_\mathrm{out}\,\!</math>
<math>I_\mathrm C = I_\mathrm{SO}(e^{V_\mathrm{BE} / V_\mathrm T} - 1) \approx I_\mathrm {SO} e^{V_\mathrm{BE} /V_\mathrm T}</math>
<math>\Rightarrow V_\mathrm{BE} = V_\mathrm T \ln \frac{I_\mathrm C}{I_\mathrm{SO}}</math>

जहाँ <math>I_\mathrm{SO}\,</math> एमिटर-बेस डायोड की संतृप्त धारा (saturation current) है। तथा <math>V_\mathrm T\,</math> ऊष्मीय वोल्टता (thermal voltage) है।

ऑप-ऐम्प के डिफरेंशियल इनपुट पर वर्चुअल-ग्राउण्ड है। इसके कारण,

<math>I_\mathrm C = \frac{V_\mathrm{in}}{R_1}</math> और
<math>V_\mathrm{out} = -V_\mathrm T \ln \frac{V_\mathrm{in}}{I_\mathrm{SO} R_1}</math>

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ