प्रत्यावर्ती श्रेणी परीक्षण

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Sanjeev bot द्वारा परिवर्तित २२:१०, २ फ़रवरी २०१७ का अवतरण (बॉट: वर्तनी एकरूपता।)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

साँचा:sidebar with collapsible lists

प्रत्यावर्ती श्रेणी परीक्षण (alternating series test) किसी अनन्त श्रेणी के पदों के अभिसरण के लिए काम में ली जाने वाली विधि है। इसकी उपपत्ति सर्वप्रथम गाटफ्रीड लैबनिट्ज़ ने की थी अतः इसे कई बार 'लैबनिट्ज़ परीक्षण अथवा लैबनिट्ज़ कसौटी भी कहते हैं।

सूत्रीकरण

निम्न प्रकार की श्रेणी

<math> \sum_{n=1}^\infty (-1)^{n-1} a_n = a_1 - a_2 + a_3 - \cdots \!</math>

अथवा,

<math> \sum_{n=1}^\infty (-1)^{n} a_n = - a_1 + a_2 - a_3 + \cdots \!</math>

जहाँ an एक धनात्मक संख्या है को प्रत्यावर्ती श्रेणी कहते हैं।

प्रत्यावर्ती श्रेणी परीक्षण के अनुसार यदि {an} एकदिष्टतः ह्रसमान है और इसका सीमान्त मान शून्य की ओर अग्रसर है तो प्रत्यावर्ती श्रेणी अभिसारी है।

इसके अतिरिक्त, माना L श्रेणी के योग का कुल मन है तब आंशिक योग

<math>S_k = \sum_{n=1}^k (-1)^{n-1} a_n\!</math>

का लगभग मान L के तुल्य होता है और त्रुटि छोड़े गये पदों के योग के बराबर होती है:

<math>\left | S_k - L \right \vert \le \left | S_k - S_{k+1} \right \vert = a_{k+1}.\!</math>

उपपत्ति[१]

माना हमें निम्न रूप की एक श्रेणी दी गई है <math>\sum_{n=1}^\infty (-1)^{n-1} a_n\!</math>, जहाँ <math> \lim_{n\rightarrow\infty}a_{n}=0 </math> और <math> a_n \geq a_{n+1} </math> जहाँ n एक प्राकृत संख्या है। (स्थिति <math>\sum_{n=1}^\infty (-1)^{n} a_n\!</math> का अनुसरण ऋणात्मक अवस्था में किया जाता है।)

अभिसरण की उपपत्ति

हमें सिद्ध करना होगा कि विषम क्रम के पदों <math>S_{2m+1}=\sum_{n=1}^{2m+1} (-1)^{n-1} a_n</math> और सम क्रम के पदों <math>S_{2m}=\sum_{n=1}^{2m} (-1)^{n-1} a_n</math> का आंशिक योग समान मान L की ओर अग्रसर है। अतः सामान्य आंशिक योग <math>S_k=\sum_{n=1}^k (-1)^{n-1} a_n</math> भी L पर अभिसरीत होगा।

विषम आंशिक योग एकदिष्टतः ह्रसमान है:

<math> S_{2(m+1)+1}=S_{2m+1}-a_{2m+2}+a_{2m+3} \leq S_{2m+1} </math>

जबकि सम आंशिक योग एकदिष्टतः वर्धमान है:

<math> S_{2(m+1)}=S_{2m}+a_{2m+1}-a_{2m+2} \geq S_{2m} </math>

क्योंकि an संख्या n एक साथ एकदिष्टतः ह्रसमान है।

इसके अतिरिक्त, चूँकि an धनात्मक <math> S_{2m+1}-S_{2m}=a_{2m+1} \geq 0 </math> हैं। अतः हम इन प्रभावों की सहायता से निम्न असमानता प्रदर्शित कर सकते हैं:

<math> a_1 - a_2 = S_2 \leq S_{2m} < S_{2m+1} \leq S_1 = a_1. </math>

यहाँ a1a2 एकदिष्टतः ह्रसमान अनुक्रम का S2m+1 निम्न परिबंध है, एकदिष्ट अभिसरण प्रमेय के अनुसार m के अनन्त की ओर अग्रसर होने पर अनुक्रम अभिसरित होता है। इसी प्रकार सम आंशिक योग भी शून्य की ओर अग्रसर होता है।

अन्ततः दोनों समा मान पर अभिसरित होते हैं क्यों कि

<math> \lim_{n\to\infty}S_{2m+1}-S_{2m}=\lim_{n\to\infty}a_{2m+1}=0</math>

जहाँ L को सीमान्त मान कहा जाता है, तब एकदिष्ट अभिसरण प्रमेय के अनुसार प्रत्येक m के लिए

<math> S_{2m} \leq L \leq S_{2m+1} </math>

प्राप्त होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्यावर्ती श्रेणी का आंशिक योग भी परिणाम सीमा के उपर और नीचे परिवर्तित होता है। यदि यहाँ विषम (सम) संख्या में पद हैं तो अन्तिम पद धनात्मक (ऋणात्मक) है और आंशिक योग परिणामी सीमा के उपर (नीचे) प्राप्त होता है।

यह हमे आंशिक योग परिबंध में त्रुटि देता है।

आंशिक योग त्रुटि परिबंध की उपपत्ति

हम <math>\left| S_k - L \right| \leq a_{k+1}\!</math> का दो स्थितियों में अध्ययन करते हैं।

जब k = 2m+1, जो विषम है, तब

<math>\left| S_{2m+1} - L \right| = S_{2m+1} - L \leq S_{2m+1} - S_{2m+2} = a_{(2m+1)+1} </math>

जब k = 2m, जो सम है, तब

<math>\left| S_{2m} - L \right| = L - S_{2m} \leq S_{2m+1} - S_{2m} = a_{2m+1} </math>

जैसा अभीष्ट था।

दोनों ही परिस्थितियाँ हमें उस असमानता की ओर ले जाती हैं जो हमने पिछले सिद्ध की है।

कौशी अभिसरण परीक्षण से प्रत्यावर्ति उपपत्ति के लिए प्रत्यावर्ती श्रेणी देखें।

इसके व्यापकीकरण के लिए डीरिख्ले परीक्षण देखें।

अन्य सन्दर्भ

  • Knopp, Konrad, Infinite Sequences and Series, Dover publications, Inc., New York, 1956. (§ 3.4) ISBN 0-486-60153-6
  • Whittaker, E. T., and Watson, G. N., A Course in Modern Analysis, fourth edition, Cambridge University Press, 1963. (§ 2.3) ISBN 0-521-58807-3

सन्दर्भ

  1. इसकी उपपत्ति जेम्स स्टिवर्ट (2012) द्वारा दी गई विधि के अनुसार है “Calculus: Early Transcendentals, Seventh Edition” पृ॰ 727–730. ISBN 0-538-49790-4

बाहरी कड़ियाँ