सोरठा
imported>रोहित साव27 द्वारा परिवर्तित ०८:५१, २३ मार्च २०२२ का अवतरण (Reverted to revision 5490553 by Kewalgaurav (talk): सही अवतरण पर स्थापित किया। (TwinkleGlobal))
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। साँचा:find sources mainspace |
साँचा:asboxसोरठा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। उदाहरण -
- जो सुमिरत सिधि होई, गननायक करिवर बदन।
- करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि राशि शुभ-गुन सदन॥
- जानि गौरि अनुकूल, सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
- मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे॥
१. नील सरोरूह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।
कराऊँ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन ।।
२. कबहुं सुधार अपार,वेग नीचे को धावै।
।।। ।ऽ। ।ऽ। ऽ। ऽऽ ऽ ऽऽ हरहराति लहराति ,सहस जोजन चलि आवै ।। ।।।ऽ। ।।ऽ। ।।। ऽ।। ।। ऽऽ
3. नील सरोरूह स्याम तरुन अरुन बारीज नयन
करउ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सघन।।