सुकेश साहनी

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सुकेश साहनी
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मृत्यु स्थान/समाधिसाँचा:br separated entries
व्यवसायलेखक
राष्ट्रीयताभारतीय
विधालघुकथा
विषयसाहित्य
साहित्यिक आन्दोलनलघुकथा आंदोलन
उल्लेखनीय सम्मानडॉ॰परमेश्वर गोयल लघुकथा सम्मान, माता शरबती देवी पुरस्कार, डॉ॰ मुरली मनोहर हिन्दी साहित्यिक सम्मान तथा माधवराव सप्रे सम्मान।
जीवनसाथीरीता साहनी
सन्तानहितेश साहनी (पुत्र), सुम्मी साहनी (पुत्री)
जालस्थल
www.laghukatha.com

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सुकेश साहनी (जन्म : 5सितंबर 1956, लखनऊ, उ.प्र.), हिंदी के लघुकथा लेखक हैं, जिनका लघुकथा की विकास यात्रा में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।[१] उनके तीन लघुकथा संग्रह 'डरे हुए लोग'[२] 'ठंडी रज़ाई'[३]और 'साइबरमैन' प्रकाशित हैं। उनकी दोनों पुस्तकें क्रमश: 'डरे हुए लोग' का पंजाबी, गुजराती, मराठीअंग्रेज़ी में तथा 'ठंडी रज़ाई' का अंग्रेज़ीपंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। इसके अतिरिक्त एक कहानी संग्रह 'मैग्मा और अन्य कहानियाँ' तथा बालकथा संग्रह 'अक्ल बड़ी या भैंस' प्रकाशित हुए हैं।'डरे हुए लोग' और 'ठंडी रजाई' का अनुवाद श्याम सुंदर अग्रवाल ने किया है। उनकी लघुकथा 'रास्तों से दोस्ती' अमनजोत सिंह सढौरा द्वारा पंजाबी में अनुवाद की गई। उनकी कुछ लघुकथाएँ जर्मन भाषा में भी अनूदित हुईं हैं। 'रोशनी' कहानी पर दूरदर्शन के लिए टेलीफिल्म का निर्माण किया है। उनकी एक और पुस्तक "लघु अपराध कथाएं "[४] प्रकाशित हुई हैं और उन्होने लघुकथाओं के दर्जन से अधिक संकलनों का संपादन भी किया है।'साहित्य आज तक 2018  में उन्होंने प्रतिभाग किया और अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया। उन्हें 1994 में डॉ॰परमेश्वर गोयल लघुकथा सम्मान, 1996 में माता शरबती देवी पुरस्कार,1998 में डॉ॰ मुरली मनोहर हिन्दी साहित्यिक सम्मान तथा 2008 में माधवराव सप्रे सम्मान2008,वीरेन डंगवाल स्मृति साहित्य सम्मान 2018 तथा अन्य कई सम्मान प्राप्त हुए हैं।[५]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ