तुलुगमा पद्धति

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>रोहित साव27 द्वारा परिवर्तित ०९:५०, ९ जुलाई २०२१ का अवतरण (2409:4052:E89:7126:679B:B014:4053:FCEB (Talk) के संपादनों को हटाकर Buddhdeo Vibhakar के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

तुलुगमा पद्धति युद्ध की एक पद्धति थी जो उज़बेक लोगों में प्रचलित थी। बाबर ने इसका प्रयोग पानीपत के प्रथम युद्ध में किया था।

परिचय

तुलुगमा पद्धति का प्रयोग उजबेक लोग युद्ध में प्रायः किया करते थे। यह युद्ध की एक ऐसी पद्धति थी जिसके अनुसार फौजें पहले शत्रु सेना के बगल की ओर मुड़ती थीं और फिर एक साथ सामने और पीछे की ओर हमला कर तेजी से तीरों की बौछार करती थी और यदि सफल नहीं हुई और शत्रु सेना ने उन्हें धकेल दिया तो ऐसी स्थिति में बहुत तेजी से भाग जाती थीं। सैन्य-संचालन की यह विधि बाबर ने शैबानी से 'सेर-ए-कुल' के युद्ध में सीखी थी और उसने इसका प्रयोग पानीपत के प्रथम युद्ध में तथा बाद में अनेक युद्धों में किया।[१]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. भारतीय इतिहास एवं संस्कृति एन्साइक्लपीडिया, डॉ॰ हुकमचंद जैन एवं एस॰सी॰ विजय, जैन प्रकाशन मंदिर, जयपुर, संस्करण-2008, पृष्ठ-310.

बाहरी कड़ियाँ