पदमंजरी काशिकावृत्ति का भाष्य है। इसके रचयिता हरदत्त हैं[१][२] जिन्होंने आपदस्तम्ब के धर्मसूत्र का भी भाष्य लिखा है। यह ग्यारहवीं शताब्दी की रचना है। इसका प्रकाशन बनारस से हुआ था[३]।