स्टोनिंग ऑफ़ सोराया एम (फ़िल्म)

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ईरानी पृष्ठभूमि पर सच्ची घटना पर बनी 'स्टोनिंग ऑफ सोराया एम' (2008) का उल्लेख राहुल सिंह के अनुसार ईरान की पृष्ठभूमि और इस्लाम की छाँह को हटा दिया जाए तो इस फिल्म और 'तिरिया-चरित्तर' (1987) की कहानियों में हतप्रभ करने वाली समानता है।[१] कहानी में दिखाया गया की किस तरह से १९८८ में सोराया मानुचेहरी नमक एक ३४ वर्षीय शादीशुदा महिला को उसका पति साजिश के तहत संगसार करवाता है| संगसार याने की सामूहिक रूप से पत्थर मार-मार कर मृत्युदंड देने की सजा। यह सजा आज भी प्रचलन में है। इसे शादीशुदा होने पर भी किसी गैर मर्द से शारीरिक सम्बन्ध बनाने पर दंड के रूप में दिया जाता है। यह सजा मर्द और औरत के लिए समान है। यह सजा और भी कई गुनाहों के लिए दी जाती है। ऎसी सज़ा अलग-अलग जाति, सम्प्रदाय या धर्म में अलग-अलग कुप्रथा या नियम-कायदों से दी जाती है।[२]

सन्दर्भ

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