डॉ मारिया मॉन्टेसरी

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डॉ मारिया मॉन्टेसरी

डॉ मारिया मॉन्टेसरी विश्व के प्रमुख शिक्षाशास्त्रियों मे एक है। इनका जन्म यूनान मे १८७० ई, मे हुआ। ये इतनी प्रतिभाशाली थी कि मात्र २४ वर्ष की अवस्था मे १८९४ ई मे के विश्वविद्यालय से इन्होने (M.D.) की उपाधि प्राप्त की। डॉ मारिया मॉन्टेसरी प्रणाली शिक्षा के क्षेत्र मे इनकी अनुपम देन है। डॉक्टरी की परीक्षा पास करने के पश्चात उसी विश्वविद्यालय मे उन्हे पिछडे हुए तथा मन्द-बुद्धि बालकों की शिक्षा का भार साँपा गया। अपने इस कर्तव्य को उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया ऑर पिछडे हुए बालकों की शिक्षा के संबंध मे अनेक अन्वेषण किए।

मॉन्टेसरी की इस अद्वितीय सफलता का कारण था - उनके द्वारा की जाने वाली नवीन शिक्षा- पद्धति, जो आज विश्व मे ' मॉन्टेसरी-पद्धति ' के नाम से विख्यात है। अपनी सफलता के फलस्वरूप मॉन्टेसरी के मन मे जो विचार प्रस्फुटित हुए उसे एक महोदय ने अपने शब्दो में इस प्रकार अभिव्यक्त किया है - " मॉन्टेसरी के मन मे यह विचार प्रस्फुटित हुआ, उसने मानसिक दोश वाले बच्चों को शिक्षा देने के लिए किया जाए, तो उसके परिणाम कहीं अधिक आश्चर्यजनक होंगे। " उस वर्ष "गुड बिल्डिंग की रोमन एसोसियेशन " के डाइरेक्टर -जनरल ने योजना बनाई कि प्रत्येक बस्ती मे ' बचपन का घर ' अथवा ' बाल गृह ' स्थपित किया जाए, जिस्मे निर्धन व्यक्तियों के ३ से ७ वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करने, खेलने -कूदने ऑर कुछ काम करने का अवसर दिया जाए। डाइरेक्टर जनरल ने इन नवनिर्मित किए जाने वाले बाल गृहों अथवा शिशु -विद्यालयों के संचलन एवं निरीक्षण का कार्य, १९०६ के अंत मे मॉन्टेसरी को साँपा। शिशु शिक्षा में असीम आभिरुचिरखने के कारण मॉन्टेसरी ने इस सुअवसर को हाथ से नहीं जाने दिया। उसने ६ जनवरी १९०७ को प्रथम बाल - गृह की योजना को पूर्ण करके संचलन का शुभारंभ किया। उस संस्था की संचालिका एवं अध्यक्श्ः के रूप मे मॉन्टेसरी ने अपनी शिक्षा पद्दति का वैग्य्नानिक ढंग से प्रयोग एवं परीक्षन किया। इस परीक्षण के अंत मे, वहा जिन परिणामों पर पहुंची उनको स्वयं मॉन्टेसरी के अग्रांकित शब्दों मे पढिए - " य्ह प्रीक्षण, छोटे बच्चों की शिक्षा के संबंध मे प्रयोग की जाने वालीउन विधियों के अनेक परिणामों को प्रकट करता है जिनका प्रयोग मन्द-बुद्धि बालकों के लिए किया जा चुका था। "

डॉ मारिया मॉन्टेसरी का लेखन के क्षेत्र मे योगदान

शिशु शिक्षा के लिए अपने सम्पूण जिवन को समर्पित करने वली मॉन्टेसरी ने इस शिक्षा के विषय मे जो ठॉस अनुभव प्राप्त किए, उनके आधार पर उसने अनॅक ग्रन्थो की रचना की, जिन्को शिशु शिक्षा को साहित्य की अनुपम विधियॉ स्वीकार किया जाता है। इन ग्रन्थों को महत्व की द्रुष्टि से अग्रलिखित क्रम मे स्थान दिया जा सकता-

  1. चाइल्ड ट्रेनिंग योर चाइल्ड
  2. व्हाट यू कैन नो अबाउट,
  3. द ओव्सजर्वेन्ट माइन्ड
  4. एजूकेशन फार न्यू वर्ल्ड,
  5. द मॉन्टेसरी मेथॉड