बेनेडिक्ट ऐण्डरसन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ०७:४४, १५ जून २०२० का अवतरण (Rescuing 10 sources and tagging 1 as dead.) #IABot (v2.0.1)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
बेनेडिक्ट ऐण्डरसन
जन्म 26 August 1936 (1936-08-26) (आयु 88)
कुनमिंग, चीन
नागरिकता आयरिश
क्षेत्र राजनीति विज्ञान, इतिहास
संस्थान कॉर्नेल विश्वविद्यालय (प्रोफेसर ईमिरिटस)
शिक्षा बी॰ए॰, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
पीएच॰डी॰, कॉर्नेल विश्वविद्यालय
डॉक्टरी सलाहकार जॉर्ज मैकटर्नन कहिन

स्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।बेनेडिक्ट रिचर्ड ओ'गॉर्मन ऐण्डरसन (साँचा:lang-en) (जन्म : २६ अगस्त १९३६) एक सामाजिक-राजनीतिक अध्येता और इतिहासकार हैं। इनकी ख्याति १९८३ में प्रकाशित पुस्तक इमेज़िण्ड कम्युनिटीज़ (Imagined Communities) से है, जिसमें इन्होंने राष्ट्र को कल्पित समुदाय के रूप में व्याख्यायित किया और राष्ट्रवाद से संबंधित अवधारणाओं को विनिर्मित करने का प्रयास किया है।

संक्षिप्त जीवनी

जेम्स ओ'गॉर्मन ऐण्डरसन (आंग्ल-आयरी) और वेरोनिका बीएत्रिस बीयम (आंग्ल) की संतान के रूप में बेनेडिक्ट का जन्म चीनी गणराज्य में युन्नान प्रांत के कुनमिंग में हुआ। ऐण्डरसन १९४१ में सपरिवार कैलिफ़ोर्निया चले गये।[१]

कल्पित समुदाय

ऐण्डरसन ने १९८३ में प्रकाशित अपनी पुस्तक इमेज़िण्ड कम्युनिटीज़ में राष्ट्रवाद या जातीयता को प्रश्नांकित करते हुए उसे कल्पित समुदाय के तौर पर व्यवहृत किया। ऐण्डरसन नृजातीय भावना (Anthropological spirit) के साथ राष्ट्र को कल्पित राजनीतिक समुदाय (सीमित और स्वायत्त दोनों तरह से स्वभावतः कल्पित) परिभाषित करने का प्रस्ताव रखते हैं।[२] सेटन-वाटसन[३] के हवाले से ऐण्डरसन इसके कारणों की व्याख्या करते हुए लिखते हैं : यह कल्पित इसलिए भी है कि छोटी से छोटी जाति के सदस्य भी अपने सभी साथी सदस्यों को कभी जान, सुन या उनसे मिल नहीं पाएँगे। फिर भी प्रत्येक के मन में उनके आपसी जुड़ाव का बोध रहता है।[२]

राष्ट्रवाद और छापाखाना

राष्ट्रीय चेतना के उद्भव पर विचार करते हुए ऐण्डरसन ने छापेखाने की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान आकृष्ट किया है। १८वीं सदी के अंत में पण्य (बिकाऊ माल) के रूप में छापेखाने (print as commodity) के विकास का पूर्णतः समकालीन नवीन विचारों वाली पीढ़ी पर व्यापक प्रभाव पड़ा। ऐण्डरसन के अनुसार मुद्रित भाषा (print language) ने राष्ट्रीय चेतना को तीन तरीकों से प्रभावित किया।

  • प्रथमतः इसने यूरोप में लैटिन से थोड़ा नीचे तथा स्थानीय बोलियों से ऊपर भाषा का एक समन्वित क्षेत्र निर्मित किया जिससे व्यापक जन-समुदाय आपस में विचार विनिमय कर सके। फ्राँसीसी, अँग्रेजी या स्पेनी जैसी भिन्न-भिन्न भाषाओं को बोलने वाले में अक्सर एक-दूसरे के वार्तालापों को समझ पाना असंभव सा हो जाता था। छापेखाने एवं कागज की उपलब्धता के जरिये लोगों को एक-दूसरे से संपर्क रखने एवं विचार विनिमय में सुविधा हुई। इस प्रक्रिया में व्यापक तौर पर जनता अपने ही भाषा-भाषी समुदाय से अधिक संपृक्त रूप में जुड़ सकी और इसी दौरान उनमें राष्ट्रीय भावना का संचार भी हुआ।
  • छापेखाने के आविष्कार ने भाषा को स्थिरता प्रदान की जिसने लंबे अंतराल में राष्ट्र के आत्मनिष्ठ विचार (subjective idea) को केन्द्रीय, परिपक्व बिम्ब प्रदान करने में सहायता की।
  • मुद्रित भाषा ने, पुरानी देशज भाषाओं से भिन्न, एक प्रकार से सत्ता की भाषा (language of power) को निर्मित किया। कुछ बोलियाँ अपरिहार्य तौर पर प्रत्येक मुद्रित भाषा के निकटतर थीं जिन्होंने उनके स्थायी स्वरूप पर अपना प्रभाव स्थापित किया।[२]

सन्दर्भ

  1. Lo, Elaine. "Benedict Anderson," स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. साँचा:cite book
  3. Cf. Seton-Watson, Nation and States, p. 5: 'All that I can find to say is that a nation exists when a significant number of people in a community consider themselves to form a nation, or behave as if they formed one.' We may translate 'consider themselves' as 'imagine themselves.'

बाहरी कड़ियाँ