सिख साम्राज्य
सरकार'ए खाल्सा امپراطوری سیک ਸਿੱਖ ਸਲਤਨਤ सिख साम्राज्य | ||||||
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राष्ट्रगान देगो तेगो फ़तह | ||||||
महाराज रणजीत सिंह का साम्राज्य अपने शिखर पर
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राजधानी | लाहौर | |||||
भाषाएँ | साँचा:hlist | |||||
धार्मिक समूह | सिख धर्म, सनातन धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म | |||||
शासन | संघिय राजतंत्रसाँचा:ns0 | |||||
महाराजा | ||||||
- | 1801–1839 | रणजीत सिंह | ||||
- | 1839 | खड़क सिंह | ||||
- | 1839–1840 | नौनिहाल सिंह | ||||
- | 1840–1841 | चंद कौर | ||||
- | 1841–1843 | शेर सिंह | ||||
- | 1843–1849 | दलीप सिंह | ||||
वज़ीर | ||||||
- | 1799–1818 | जमादार खुशल सिंह[१] | ||||
- | 1818–1843 | धियान सिंह डोगरा | ||||
- | 1843–1844 | हीरा सिंह डोगरा | ||||
- | 1844–1845 | जवाहर सिंह औलाख | ||||
ऐतिहासिक युग | प्रारंभिक आधूनिक काल | |||||
- | रणजीत सिंह द्वारा लाहौर पर विजय | 7 जुलाई १७९९ | ||||
- | द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध का अन्त | 29 मार्च १८४९ | ||||
मुद्रा | नानकशाही रुपय | |||||
आज इन देशों का हिस्सा है: | साँचा:flag साँचा:flag साँचा:flag साँचा:flag |
सिख साम्राज्य (साँचा:lang-pa, सिख सल्तनत; साधारण नाम: खालसा राज) का उदय, उन्नीसवीं सदी की पहली अर्धशताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर में एक ताकतवर महाशक्ती के रूप में हुआ था। महाराज रणजीत सिंह के नेत्रित्व में उसने, स्वयं को पश्चिमोत्तर के सर्वश्रेष्ठ रणनायक के रूप में स्थापित किया था, जन्होंने खाल्सा के सिद्धांतों पर एक मज़बूत, धर्मनिर्पेक्ष हुक़ूमत की स्थापना की थी जिस की आधारभूमि पंजाब थी। सिख साम्राज्य की नींव, सन् १७९९ में रणजीत सिंह द्वारा, लाहौर-विजय पर पड़ी थी। उन्होंने छोटे सिख मिस्लों को एकत्रित कर एक ऐसे विशाल साम्राज्य के रूप में गठित किया था जो अपने चर्मोत्कर्ष पर पश्चिम में ख़ैबर दर्रे से लेकर पूर्व में पश्चिमी तिब्बत तक, तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में मिथान कोट तक फैला हुआ था। यह १७९९ से १८४९ तक अस्तित्व में रहा था।