चौथ (शुल्क)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>रोहित साव27 द्वारा परिवर्तित ०९:२०, २५ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (Reverted to revision 5025382 by रोहित साव27 (talk): Reverted to the best version (TwinkleGlobal))
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

चौथ 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में एक-चौथाई राजस्व प्राप्ति को कहा जाता था। यह भारत में एक जिले की राजस्व प्राप्ति या वास्तविक संग्रहण की एक चौथाई उगाही थी। यह कर (शुल्क) ऐसे जिले से लिया जाता था, जहां मराठा मार्गाधिकार या स्वामित्व चाहते थे। यह नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'एक चौथाई'।[१][२][३]

व्यावहारिक रूप में चौथ अक्सर हिन्दू या मुसलमान शासकों द्वारा मराठों को खुश करने के लिए दिया जाने वाला शुल्क था, ताकि मराठे उनके प्रांत में उपद्रव न करें या उनके जिले में घुसपैठ से दूर रहें। मराठों का दावा था, कि इस भुगतान के बदले में वे दूसरों के आक्रमणों से उनकी रक्षा कराते थे। लेकिन बहुत कम हिन्दू या मुसलमान राजा चौथ के भुगतान को इस नज़र से देखते थे। चूंकि शासक पूरा राजस्व वसूलने की कोशिश कराते थे, इसलिए नियमित राजस्व की मांग के साथ इस भार से जुडने से इसे दमनकारी माना जाता था। इसके फलस्वरूप भारत में हिन्दू और मुसलमान, दोनों में ही मराठों की लोकप्रियता घटी।[४]

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite book
  4. भारत ज्ञानकोश, खंड-2, पृष्ठ संख्या- 180, प्रकाशक- पापयुलर प्रकाशन, मुंबई, आई एस बी एन 81-7154-993-4