ऑपरेशन राहत

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भारतीय वायुसेना
भारतीय वायुसेना की पताका

भारतीय वायु सेना की पताका
सक्रिय 8अक्तूबर, 1932 – वर्तमान
राष्ट्र भारत
विस्तार 1,50,000 सक्रिय सैनिक
1,300 विमान[१]
का प्रतिनिधित्व करता है रक्षा मंत्रालय
भारतीय सशस्त्र सेना
मुख्यालय नई दिल्ली, भारत
आदर्श वाक्य नभःस्पृशं दीप्तम्[२]
रंग गहरा नीला, हलका नीला और सफेद
साँचा:color boxसाँचा:color boxसाँचा:color box
वर्षगाँठ वायु दिवस: 8 अक्तूबर[३]
संग्राम संचालन
वेबसाइट indianairforce.nic.in

ऑपरेशन राहत उत्तर भारत बाढ़ २०१३ से प्रभावित नागरिकों को निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के बचाव अभियान का सांकेतिक नाम दिया गया। भारी बारिश ने 16 जून को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्य में काफी विकाराल रूप धारण कर लिया जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों सहित हजारों लोग विभिन्न घाटियों में फंस गए। राहत कार्य के लिए भारतीय वायुसेना की सहायता मांगी गई। पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) मुख्यालय ने विभिन्न राज्यों द्वारा बाढ़ से राहत संबंधी सहायता के अनुरोध पर त्वरित प्रतिक्रिया की है। इसके साथ ही वायुसेना ने यमुनानगर, केदारनाथ-बद्रीनाथ क्षेत्र, रूद्रप्रयाग घाटी, किन्नौरजिले के करचम-पुह क्षेत्र में बचाव कार्य शुरू कर दिया।[४]

[५] सरसवा वायुसेना स्टेशन को इस अभियान के लिए केन्द्र बनाया गया जहां भटिंडा और हिंडन से हेलीकॉप्टर लाए गए। हाल ही में शामिल एमआई-17 वी5 सहित मध्यम भार वहन करने वाले अनेक हेलीकॉप्टरों को 17 जून को खराब मौसम के बावजूद देहरादून के जॉलीग्रांट हैलीपैड पर स्थित किया गया। एमआई-17 वी 5 द्वारा 17 जून को करनाल क्षेत्र से 36 लोगों को बचाया गया। इसके अलावा 15 बच्चों सहित 21 यात्रियों को नाकुड़ से बचाया गया। 18 जून को हिमाचल प्रदेश के रामपुर-रेकोन्गपिओ क्षेत्र में एनडीआरएफ टीम के साथ ही दो अतिरिक्त एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टरों की सेवा ली गई।[६]

25 जून 2013 की हेलीकॉप्‍टर दुर्घटना के बावजूद वायुसेना उत्‍तराखण्‍ड के राहतकार्यों में जुटी हुई है। वायुसेना अध्‍यक्ष एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन ने कहा कि जिन लोगों की जान गई है उनकी याद में हमें इस राहत कार्य को जारी रखना होगा। बाढ़ग्रस्‍त क्षेत्रों में हेलीकॉप्‍टर सेवाओं के सफल प्रयोग की योजना बनाने के लिए हिन्‍डन से सुबह एक सी 130 जे ने रेकी उड़ान भरी। धरासु और पिथौरागढ़ से लगातार 6 एमआई-17 वी 5 एस, दो ए एल एच और एक एमआई एल 7 हर्षिल से – मनेरी-धरासु और धारचूला-मीलम तथा काली-रामगंगा क्षेत्र में उडा़न भर रहे हैं। सुबह से दोपहर दो बजे तक वायुसेना ने 64 संक्षिप्‍त यात्राएं की और 636 लोगों को सुरक्षित स्‍थानों तक पहुंचाया। 17 जून 2013 से लेकर 25 जून-2013 तक वायुसेना ने 1540 उड़ाने भरीं और लगभग 13,052 तीर्थ यात्रियों को बचाने और 2, 16, 310 किलोग्राम राहत सामग्री को पहुंचाने का महत्‍वपूर्ण काम किया।[७]

विमान का प्रयोग

सी 130 जे सैन्य परिवहन विमान जिसे ऑपरेशन राहत में शामिल किया गया।

21 जून 2013 तक, भारतीय वायुसेना ने राहत व बचाव प्रयासों को पूरे अंजाम तक पहुंचाने हेतु 36 रोटरी विंग विमान सहित 43 विमान के अलावा 13 और विमान को शामिल कर लिया था। विवरण इसप्रकार है :

  • 23 - एम आई 17 मध्यम जुड़वां टरबाइन परिवहन हेलीकाप्टरों.
  • 11 - एचएएल ध्रुव, स्वदेशी प्रकाश उपयोगिता हेलीकाप्टरों
  • 1 - एयरोस्पेशियल एसए 315B लामा /चीता एकल इंजन वाले हेलीकाप्टर
  • 1 - मिल एम आई 26 भारी परिवहन हेलीकाप्टर
  • 2 - सी 130 जे सैन्य परिवहन विमान
  • 3 - ए.एन. 32s परिवहन विमान
  • 1 - एच एस-748 परिवहन विमान
  • 1 - आईएल -76 भारी परिवहन विमान

इसके अलावा भारतीय वायु सेना में अपने उन्नत लैंडिंग के लिए उपयुक्त गोचर हेलिकॉप्टर की मदद उत्तराखंड के धरासू में एक हवाई पुल की स्थापना के लिए लिया गया।[८]

ईंधन आपूर्ति पुल

भारतीय वायुसेना ने 22 जून को धरासू में एक विमानन ईंधन की आपूर्ति पुल की स्थापना की।[९] बताया जाता है कि ये ऑपरेशन सफल नहीं हो पाता अगर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर तैनात भारी-भरकम सी-130जे विमान ने एक विशेष मिशन अंजाम नहीं दिया होता। दरअसल ये साफ होते ही कि मौजूदा हालात में बचाव का सबसे बड़ा जरिया हेलीकॉप्टर है निजी हेलीकॉप्टरों समेत आर्मी और वायुसेना के पायलटों ने रेसक्यू मिशन पर उड़ना शुरू कर दिया। इसके साथ ही तमाम एयरबेस पर हवाई ईंधन की कमी भी महसूस होने लगी। इसी मौके पर विशाल सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान काम आया, जो अपनी टंकी में ईंधन भरकर धारसू एयरबेस ले गया। इसने एक खाली पड़े बोवसर में अपनी टंकी का 8000 लीटर ईंधन भर दिया। इसके साथ ही राहत अभियान ने गति पकड़ ली।

यही नहीं एक और सी-130 जे ने हरसिल समेत राज्य के कई इलाकों में अपने आधुनिक रडार के जरिए रेकी किया। इस रेकी की ही मदद से जाना जा सका कि किस इलाके में कितने लोग फंसे हो सकते हैं और कहां कितनी बड़ी तबाही हुई है। इस सूचना के मिलने के बाद वायुसेना के आठ मी-17 और मी-17वी5 हेलीकॉप्टरों ने हर मुश्किल हालात में चुनौतीपूर्ण रेसक्यू मिशन अंजाम दिया। वायुसेना के मिशन राहत में एवरो और छह एन-32 विमानों ने भी अहम किरदार अदा किया है। एन-32 विमानों ने पुल जोड़ने के भारी-भरकम औजार ग्राउंड जीरो तक पहुंचाए हैं, जिनकी मदद से सेना को टूटे रास्तों और नदी पर पुल बनाने में मदद मिली है। माना जा रहा है रास्ते जुड़ने के बाद बचाव के लिए हेलीकॉप्टरों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।[१०]

हेलीकाप्टर दुर्घटना

25 जून 2013,केदारनाथ के लिए एक बचाव मिशन पर निकाला एक एमआई -17 वी 5 हेलीकाप्टर केदारनाथ से वापस आते हुये गौरीकुण्ड से उत्तर गौछर और गुप्तकाशी के बीच दुर्घटनाग्रस्त हो गया।[११] इस हेलिकॉप्टर में सवार सभी 20 व्यक्तियों सहित 6 आईटीबीपी कर्मियों, 5 वायु सेना अधिकारी, 9 एनडीआरएफ कर्मियों की मौत हो गई।[१२][१३]मृतक उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक औपचारिक समारोह में गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा उन सैनिकों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।[१४]

सम्पन्न

बद्रीनाथ में फंसे 150 लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने के साथ ही उत्तराखंड त्रासदी के 17 दिनों बाद (2 जुलाई 2013 को) वहां फंसे सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बचाने का काम पूरा हो गया है। मॉनसूनी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन के कारण फंसे करीब 1.1 लाख लोगों को आर्मी, एयरफोर्स, आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने अत्यंत मुश्किलों का सामना करते हुए बाहर निकाला। चमोली जिले के डीएम एस. ए. मुरूगेशन के अनुसार बद्रीनाथ धाम में फंसे बाकी सभी श्रद्धालुओं को निकाल लिया गया है। अब वहां कुछ स्थानीय लोग और नेपाल के मजदूर बचे हुए हैं जिन्हें धीरे-धीरे निकाल लिया जाएगा। टूटी सड़कों को ठीक कर दिया गया है। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने दिल्ली में कहा कि हमने करीब एक हफ्ते के लिए अपने दस और हेलिकॉप्टरों को वहां तैनात रखने का फैसला किया है ताकि किसी भी अभियान के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके।[१५]

इस अभियान में वायु सेना ने एमआई 17, नये लिए गये एमआई 17 वी 5, हल्के उन्नत हेलीकाप्टर और अपने सबसे विशाल हेलीकाप्टर एमआई 26 समेत 45 हेलीकाप्टर लगाए थे जिनके जरिए करीब तीन लाख साठ हजार किलो राहत सामग्री भी प्रभावित इलाकों तक पहुंचायी गयी।[१६]

उत्तराखंड में बाढ़ व राहत कार्यों की जिम्मेदारी संभालने वाले आर्मी के सेंट्रल कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत अब तीनों सेनाओं के एकीकृत स्टाफ के प्रमुख का दायित्व संभालेंगे। चीफ ऑफ इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के तौर पर जनरल चैत तीनों सेना प्रमुखों की साझा कमिटी (सीआईएससी) के चीफ के तहत काम करेंगे। चीफ ऑफ इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के तौर पर जनरल चैत की नियुक्ति उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ के पहले ही तय हो गई थी लेकिन जनरल चैत ने उत्तराखंड में अपनी देखरेख में आर्मी के राहत कार्यों का संचालन किया।[१७]

इसे भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite web
  4. आई ए एस -100, भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन ‘राहत’ अभियान की शुरूआत कीसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
  5. http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=96637 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Armed Forces Mount Massive Relief Operations in Uttarakhand and Himachal
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  9. http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=96702 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Army Evacuates All Stranded people from Gangotri Three C-130Js Land at Dharasu Rescue Operations Intensify Following Fuel- Bridging
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  12. साँचा:cite web
  13. साँचा:cite news
  14. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  15. नवभारत टाइम्स, दिनांक: 03 जुलाई 2013, शीर्षक: 17 दिन बाद राहत ऑपरेशन पूरा
  16. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  17. नवभारत टाइम्स, दिनांक: 02 जुलाई 2013, शीर्षक: राहत ऑपरेशन देख रहे ले. जनरल चैत का प्रमोशन]

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