मेसर

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एक हाइड्रोजन रेडियो आवृति निरावेशन, हाइड्रोजन मेसर में प्रथम तन्तु (विवरण के लिए नीचे देखें)

मेसर एक ऐसा यन्त्र है जो उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रवर्धन के माध्यम से सम्बंद्ध् विद्युतचुम्बकीय तरंगे उत्पन्न करता है। ऐतिहासिक रूप से यह परिवर्णी (संक्षिप्त) नाम मेसर (MESAR) से व्युत्पन्न होता है जिसका अर्थ विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा सूक्ष्मतरंग प्रवर्धन (साँचा:lang-en) है।

इतिहास

तकनीकी

मेसर अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा १८१७ में प्रस्तावित उद्दीप्त उत्सर्जन के सिद्धांत पर कार्य करता है। जब परमाणु अपनी उत्तेजित ऊर्जा अवस्था में होता है, तो वे यथोचित आवृति पर विकीरण प्रवर्धित कर सकता है।

ऐसे प्रवर्धक माध्यम को अनुनाद गुहा में रखने पर, पुनर्निवेशन का निर्माण होता है जो सम्बंद्ध विकीरण उत्पन्न कर सकता है।

कुछ सामान्य मेसर

वर्तमान विकास

ई सन् २०१२ में, नेशनल फीजिकल लैबोरेट्री, यूनाइटेड किंगडम (National Physical Laboratory, United Kingdom) व इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक शोध समूह ने प्रवर्धक माध्यम के रूप में पेंतासन-डोप्ड p-टेरफिनाइल का उपयोग करते हुये कमरे के ताप पर ठोस अवस्था मेसर के निर्माण का तरिका ढूंढ निकाला।[१][२]

अनुप्रयोग

मेसर का उपयोग उच्च कोटि आवृति सन्दर्भों के लिए किया जाता है।

हाइड्रोजन मेसर

२०१२ तक का सबसे महत्वपूर्ण तरह का मेसर हाइड्रोजन मेसर है जो वर्तमान में परमाण्विक आवृति मानक के रूप में काम में लिया जाता है।

ये भी देखें

सन्दर्भ

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