हिन्दू राष्ट्रवाद

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सम्राट कृष्णदेवराय को "हिन्दुराया सुरत्राण" कहा जाता है।

हिन्दू राष्ट्रवाद (साँचा:lang-en) का सामूहिक रूप से सन्दर्भ, भारतीय उपमहाद्वीप की देशज आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं पर आधारित, सामाजिक और राजनीतिक अभिव्यक्तियों से हैं। कुछ अध्येताओं का यह वाद हैं कि हिन्दू राष्ट्रवाद एक सरलीकृत अनुवाद है, और इसका बेहतर वर्णन "हिन्दू जो देश के लिए समर्पित है" शब्द से होता हैं।[१]

भारतीय मूल संस्कृति के प्रति जागरूकता और उसका विचार भारतीय इतिहास में अत्यधिक प्रासंगिक बन गया जब उसकी वजह से भारतीय राजनीति को एक विशिष्ट पहचान मिली तथा उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रश्न उठाने में आधार प्रदान किया। मूल संस्कृति की भावना ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित किया जिस में सशस्त्र संघर्ष, प्रतिरोधी राजनीति और गैर-हिंसक विरोध प्रदर्शन शामिल थे। इसने भारत में सामाजिक सुधार आंदोलनों और आर्थिक सोच को प्रभावित किया।[२][३]

1923 में हिन्दू राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लोकप्रिय की गई अवधारणा हिन्दुत्व, भारत में हिन्दू राष्ट्रवाद का मुख्य रूप है।[४] हिन्दू राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा हिन्दुत्व की हिमायत की जाती है, जिसे व्यापक रूप से सहबद्ध संगठन विश्व हिन्दू परिषद के साथ भाजपा के जनक संगठन के रूप में माना जाता है।

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. Peter van der Veer, Hartmut Lehmann, Nation and religion: perspectives on Europe and Asia, प्रिंसटन युनिवर्सिटी प्रेस, 1999
  3. साँचा:cite book
  4. साँचा:cite web

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