मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>CommonsDelinker द्वारा परिवर्तित ०२:३०, ४ फ़रवरी २०१८ का अवतरण ("1939_Human_Rights_100.jpg" को हटाया। इसे कॉमन्स से Hystrix ने हटा दिया है। कारण: per c:Commons:Deletion requests/Files in Category:1968 stamps of Hungary)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम में संशोधन

सरकार ने 8 दिसम्बर 2005 को राज्य सभा में मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2005 प्रस्तुत किया है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम

साँचा:namespace detect

1. यह स्पष्ट करना कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) के अध्यक्ष, संबंधित आयोगों के सदस्यों से भिन्न होते हैं।

2. उच्चतम न्यायालय के कम से कम तीन वर्ष की सेवा वाले न्यायाधीशों को एनएचआरसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का पात्र बनाना।

3. उच्च न्यायालयों के कम से कम पांच वर्ष की सेवा वाले न्यायाधीशों को एसएचआरसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का पात्र बनाना; और जिला न्यायाधीश की हैसियत से कम से कम सात वर्ष के अनुभव वाले जिला न्यायाधीश को एसएचआरसी का सदस्य बनाना।

4. एनएचआरसी को प्राप्त शिकायतों को संबंधित एसएचआरसी को भेजने के लिए उसे सक्षम बनाना।

5. राज्य सरकार को पूर्व-सूचना दिए बगैर एनएचआरसी को किसी भी जेल या अन्य संस्थानों का दौरान करने के लिए सक्षम बनाना।

6. एनएचआरसी के अध्यक्ष और सदस्यों को अपने त्याग पत्र लिखित रूप में भारत के राष्ट्रपति को संबोधित करने और एसएचआरसी के अध्यक्ष और सदस्यों को संबंधित राज्य के राज्यपाल को संबोधित करने के लिए सक्षम बनाना।

7. जांच के दौरान एनएचआरसी और एसएचआरसी को अंतरिम सिफारिशें करने के लिए सक्षम बनाना।

8. न्यायिक कार्यों और प्रस्तावित विधेयक के खंड 18 के तहत नियम बनाने की शक्तियों को छोड़कर एनएचआरसी और इसके अध्यक्ष को आयोग की कतिपय शक्तियां और कार्य, एनएचआरसी के महासचिव को प्रात्यायोजित करने की शक्तियां प्रदान करना।

9. यह प्रावधान करना कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष एनएचआरसी के सदस्यों के रूप में माना जाएगा।

10. भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय करारों और अभिसमयों, जिन पर अधिनियम लागू होगा, को अधिसूचित करने के लिए केन्द्र सरकार को सक्षम बनाना।

 यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।