प्रति-कण
परिशून्यन | |
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किसी भी कण से संबद्ध प्रतिकण भी होता है जिसका द्रव्यमान अभिन्न होता है लेकिन विद्युत आवेश विपरीत होता है। उदाहरण के लिये इलेक्ट्रॉन का प्रति-कण प्रति-इलेक्ट्रॉन एक धनावेशित कण जिसे पोजीट्रॉन कहते हैं, सामान्यतः इसे रेडियोधर्मी पदार्थों के क्षय से बनाया जाता है।
प्रकृति के नियम कणों और प्रतिकणो के लिये लगभग सममितीय होते हैं। उदाहरण के लिये एक प्रतिप्रोटोन और पोजीट्रॉन से प्रति-हाइड्रोजन परमाणु का निर्माण होता है, जिसके गुणधर्म भी हाइड्रोजन परमाणु के समान ही हैं।
इतिहास
प्रयोग
प्रतिप्रोटोन और प्रति-न्यूट्रोन की खोज कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में १९५५ में एमिलियो जिनो सेग्रे और ओवेन चेम्बेर्लैन ने की। तब तक कण त्वरक प्रयोगों में कई अन्य अर्द्ध-परमाणविक कणों के प्रति-कणों की खोज हो चुकी थी। हाल ही के वर्षों में प्रति-पदार्थ के परमाणु, विशिष्ट विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्रों की उपस्थिति में प्रति-प्रोटॉनों व पोजीट्रॉनों के संकलन से बन चुके हैं।[१]
कोटर सिद्धान्त
साँचा:quote box डिराक समीकरण को हल करने पर हमें ऋणात्मक ऊर्जा की क्वांटम (प्रमात्रा) अवस्था प्राप्त होती है। परिणाम स्वरुप एक [इलेक्ट्रॉन अपनी ऊर्जा को विकिरित करते हुये ऋणात्मक ऊर्जा अवस्था को प्राप्त हो सकता है।
कण-प्रतिकण विलोपन
यदि एक कण और प्रति-कण यथोचित क्वांटम अवस्था में हैं तो वो दोनों एक दूसरे को विलुप्त करके कोई अन्य कण का निर्माण कर सकते हैं। अभिक्रिया e- + e+ → γ + γ (इलेक्ट्रॉन-पोजीट्रॉन का दो फ़ोटोनो में विलोपन) एक उदाहरण है। मुक्त आकाश में e- + e+ → γ (इलेक्ट्रॉन-पोजीट्रॉन का एकल फ़ोटोन में विलोपन) सम्भव नहीं है क्योंकि इस अभिक्रिया में ऊर्जा व संवेग संरक्षण दोनों एक साथ सम्भव नहीं हैं। यद्यपि नाभिक के कुलाम क्षेत्र में यह सम्भव है।
प्रति-कणों के गुणधर्म
कण और प्रतिकण की क्वांटम अवस्थाओं का आवेश संयुग्मन (C), पैरिटी (Parity) (P) और समय व्युत्क्रमण (T) संकारको को आरोपित करके विनिमय किया जा सकता है। यदि <math>|p,\sigma, n \rangle </math> को क्वांटम अवस्था से निरुपित किया जाये जहाँ कण (n) का संवेग p, स्पिन J जिसका z-दिशा में घटक σ है, तब
- <math>CPT \ |p,\sigma,n \rangle\ =\ (-1)^{J-\sigma}\ |p,-\sigma,n^c \rangle, </math>
जहाँ nc आवेश संयुग्मन अवस्था को निरुपित करता है, जो कि प्रतिकण अवस्था है। यदि T गतिकी की एक अच्छी सममिति है तो
- <math>T\ |p,\sigma,n\rangle \ \propto \ |-p,-\sigma,n\rangle, </math>
- <math>CP\ |p,\sigma,n\rangle \ \propto \ |-p,\sigma,n^c\rangle, </math>
- <math>C\ |p,\sigma,n\rangle \ \propto \ |p,\sigma,n^c\rangle, </math>
जहाँ अनुक्रमानुपाती चिह्न दर्शाता है कि यहाँ कला दक्षिण हस्थ दिशा में हो सकती है। अन्य शब्दों में कण और प्रतिकण का
- द्रव्यमान m अभिन्न होना चाहिए।
- स्पिन अवस्था J अभिन्न होनी चाहिए।
- विद्युत आवेश q और -q विपरीत होने चाहियें।
क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त
यह अनुभाग क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त के विहित प्रमात्रिकरण के संकेत-चिह्न, भाषा और सुझाव पर आधारित है।
जब हम विलोपन और उपोजक (creation) संकारकों के बिना इलेक्ट्रोन के प्रमात्रिकरण करते हैं तो
- <math>\psi (x)=\sum_{k}u_k (x)a_k e^{-iE(k)t},\,</math>
जहाँ क्वांटम संख्या p और σ का द्योतक k है और ऊर्जा को E(k), विलोपन संकारक को ak से प्रदर्शित किया गया है। जब हम फर्मियोनों की बात करते हैं तो संकारक को प्रति क्रमविनिमय गुणधर्म का पालन करना चाहिए तथापि हेमिल्टोनियन को निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है
- <math>H=\sum_{k} E(k) a^\dagger_k a_k,\,</math>
लेकिन यहाँ H प्रत्याशित मान का धनात्मक होना आवश्यक नहीं है क्योंकि "E(k)" का मान धनात्मक और ऋणात्मक कुछ भी हो सकता है और creation तथा विलोपन संकारकों के संयोजन का प्रत्याशित मान १ और ० हो सकता है
अतः हमें प्रति-कण प्रस्तावित करना पड़ता है जिसके creation और विलोपन संकारक निम्नलिखित सम्बंध को संतुष्ट करते हों
- <math>b_{k\prime} = a^\dagger_k\, </math> और <math>b^\dagger_{k\prime}=a_k,\,</math>
जहाँ अभिन्न p व विपरित σ और ऊर्जा के विपरित चिह्न द्योतक k है। तब हम इसे क्षेत्र को पुनः लिख सकते हैं
- <math>\psi(x)=\sum_{k_+} u_k (x)a_k e^{-iE(k)t}+\sum_{k_-} u_k (x)b^\dagger _k e^{-iE(k)t},\,</math>
जहाँ प्रथम योग धनात्मक ऊर्जा अवस्थाओं व द्वितीय योग ऋणात्मक ऊर्जा अवस्थाओं के लिये है। ऊर्जा
- <math>H=\sum_{k_+} E_k a^\dagger _k a_k + \sum_{k_-} |E(k)|b^\dagger_k b_k + E_0,\,</math>
जहाँ E0 एक अनन्त ऋणात्मक नियतांक है। निर्वात अवस्था शून्य कण व प्रतिकण <math>a_k |0\rangle=0</math> और <math>b_k |0\rangle=0</math> अवस्था है। अतः निर्वात की ऊर्जा E0 प्राप्त होती है। चूँकि सभी ऊर्जाएँ निर्वात के आपेक्षिक मापी जाती हैं, H धनात्मक निश्चित है।
फाइनमेन–स्टैकलबर्ग विवेचन
इन्हें भी देखें
- प्रतिकणों की गुरुत्विय अन्योन्य क्रिया
- समता, आवेश संयुग्मन और व्युत्क्रम समय सममिति।
- आवेश समता उल्लंघन और ब्रह्माण्ड की बेरियोन असममिति.
- क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त और मूलभूत कणों की सूची
- Baryogenesis
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।