अफानासी निकितिन

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thumbnail|350px|अफ़नासिय निकीतिन का स्मारक अफानासी निकितिन (रूसी : Афанасий Никитин) - एक रुसी व्यापारी था जिसने १५वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की। वह लेखक के रूप में भी प्रसिद्ध है - उसकी पुस्तक "तीन समुद्र पार का सफरनामा" यह भारत के इतिहास का अहम सूत्र है।[१]

वास्को डि गामा से २५ वर्ष पूर्व भारत की धरती पर कदम रखने वाला पहला यूरोपीय अफ़नासी निकीतीन मूल रूप से रूस का रहने वाला था। वह सन् 1466 से 1475 के बीच लगभग तीन वर्ष तक भारत में रहा। निकीतीन रूस से चल कर जार्जिया, अरमेनिया, ईरान के रास्ते मुंबई पहुंचा था। सन् 1475 में वह अफ्रीका होता हुआ वापिस लौटा, लेकिन अपने घर त्वेर पहुंचने से पहले ही उसका निधन हो गया। निकीतीन द्वारा भारत-यात्रा पर लिखे संस्मरणों को १९वीं सदी में रूस के जाने-माने इतिहासविद् एन.एम. करामजीन ने खोजा था।

निकीतीन की यात्रा छः वर्ष की थी जिसमें से तीन वर्ष उसने भारत में बिताए। उन दिनों समुद्री यात्रा में कितना अधिक समय लगता था, इसकी बानगी कई जगह देखने को मिलती है। पांच सौ से अधिक साल पहले लिखा गया यह यात्रा विवरण इस बात का साक्षी है कि विदेशियों के लिए भारत सदैव से अचंभे, अनबुझी पहेली की तरह रहा है। उसने मूर्ति-पूजा को 'बुतपरस्ती', गणेशहनुमान को क्रमश: हाथी व वानर के मुंह वाले देवता के रूप में लिखा है।

निकीतीन ने कई खतरे उठाए, कई बार वह लूट लिया गया। उन दिनों समुद्र की यात्रा भी बेहद जोखिम भरी हुआ करती थी। वह पूरे फारस को पार कर के पूर्व के सबसे बड़े बंदरगाह होर्मुज जा पहुंचा। यहां उसने एक घोड़ा खरीदा, ताकि उसे भारत ले जा कर बेचा जा सके। यह साहसी व्यापारी एक छोटे से जलपोत में सवार हो कर हिंद महासागर में आ गया और उसका पहला पड़ाव चोल राज्य था। उसने इसी को भारत माना। निकीतीन ने केवल समुद्र तट से सटे दक्षिणी भारत की ही यात्रा की थी। उसके यात्रा विवरण में विजयनगर साम्राज्य, गुलबर्ग, बीदर, गोलकुंडा जैसे स्थानों का उल्लेख है, जो कि आज भी प्रसिद्ध हैं। निकीतीन की अवलोकन-दृष्टि भले ही कहीं-कहीं अतिशयोक्ति से परिपूर्ण लगती हो, लेकिन वह विभिन्न नगरों में मिलने वाले उत्पादों, धार्मिक अनुष्ठानों, जाति प्रथा पर टिप्पणी अवश्य करता है। विभिन्न राजाओं के वैभव, पराक्रम और शानो-शौकत पर भी उसने ढेर सारी जानकारी दी है। कुल मिला कर यह यात्रा-वृतांत मनोरंजक और सूचनाप्रद है।

सन्दर्भ

  1. [१]साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] - "तीन समुद्र पार का सफरनामा" (अंग्रेज़ी अनुवाद) अब रुस में अफनासिय निकीतिन हिन्दी-रुसी मैत्री का संस्थापक माना जाता है। 1957 में निकीतिन की जीवनी के अधार पर रुस और भारत में फ़िल्म बनाई गई थी जिसमें पृथ्वीराज कपूर हिस्सा लिए थे।

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