चौघड़िया

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चौघडिया पंचांग हिन्दू वैदिक पञ्चाङ्ग का एक रूप या अंग होता है। इसमें प्रतिदिन के लिये दिन, नक्षत्र, तिथि, योग एवं करण दिये होते हैं। इनके लिये प्रत्येक नगर या स्थान के लिये वहां के सूर्योदय एवं सूर्यास्त से संबंधित स्वतः सुधार होता है। यदि कभी किसी कार्य के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो एवं कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो या किसी यात्रा पर आवश्यक रूप से जाना हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखने का विधान है। ज्योतिष के अनुसार चौघड़िया मुहूर्त देखकर वह कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है।[१]

एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है। इस प्रकार सातों वारों के चौघड़िए अलग-अलग होते हैं। सामान्य रूप से अच्छे चौघड़िए शुभ, चंचल, अमृत और लाभ के माने जाते हैं तथा बुरे चौघड़िये उद्वेग, रोग और काल के माने जाते हैं।

चर में चक्र चलाइए उद्वेगे थलगार। शुभ में स्त्री सिंगार करे लाभ करो व्यापार।। रोग में रोगी स्नान करे। काल करो भंडार।। अमृत में सब काम करें। सहाय करे करतार।।

अर्थात चर में यात्रा वाहन मशीन संबंधित कार्य करने चाहिए। उद्वेग में जमीन से संबंधित काम तथा स्थायी कार्य करना चाहिए। शुभ में स्त्रियों को सिंगार आदि मांगलिक कार्य करें।लाभ में व्यापार नौकरी आदि कर्म करें। रोग में रोगियों को रोगमुक्त होने पर स्नान करना चाहिए । काल में धन संग्रह आदि करे। अमृत में सभी प्रकार के कार्य कर सकते हैं।

सन्दर्भ

  1. चौघड़िया से जानें शुभ-अशुभ समय स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।|वेब दुनिया- हिन्दी। अभिगमन तिथि: 20.09.2012

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