छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी

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छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी

अन्य राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटियों की तरह छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी निम्न लिखित कार्य संपन्न करती है:
1) चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा (विशेषकर एचआइवी/ एड्स)
2) संचार और सामाजिक क्षेत्र की सेवाएं और
3) प्रशासन, नियोजन, समन्वय, निगरानी और मूल्यांकन, वित्त और आवश्यक प्रशासनिक खरीद।[१]

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की कार्ययोजना

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की आगामी वर्ष की कार्ययोजना में जोखिम वाले क्षेत्रों में एड्स की रोकथाम के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने, नि:शुल्क कंडोम वितरण को शामिल किया गया है। कार्ययोजना में रेड रिबिन क्लब को और सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है। वर्तमान में प्रदेश में 28 रेड रिबिन क्लब गठित किए गए है। आगामी वर्ष में एक सौ और रेड रिबिन क्लब गठित किए जाएंगे। एड्स के नियंत्रण और रोकथाम के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिनों को भी प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना तैयार की गई है।[२]

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की ओर रक्तदान को प्रोत्साहन

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की ओर रक्तदान को प्रोत्साहित किया जाता रहा है। 2012 के विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा रेडक्रॉस सोसायटी, भारतीय उद्योग महासंघ (सीआईआई) तथा सारडा एनर्जी के सहयोग से 7 अप्रैल 2012 को सिलतरा और माढंर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें सारडा एनर्जी के 411 अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया।[३]

'प्याऊ' में एड्स से बचाव की जानकारी

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियत्रंण सोसाइटी द्वारा 2012 में गर्मी के मौसम में राहगीरों को शुध्द और शीतल पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में 56 प्याऊ खोले गए थे। इन 'प्याऊ' केन्द्रों में राहगीरों को ठंडा पानी तो मिल ही रहा है साथ ही उन्हें एड्स से बचाव की जानकारी भी दी जा रही थी। 'प्याऊ' केन्द्रों में राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एड्स से बचाव की जानकारी देने के लिए फ्लैक्स और बैनर लगाए गए थे। इसके साथ ही यहां पम्पलेट, लीफलेट का वितरण भी किया गया था। यहां एक रजिस्टर भी संधारित किया गया था, जिसमें पानी पीने आने वाले लोगों का एड्स के बचाव के उपायों के संबंध में अभिमत लिया गया था। गर्मियों में राहगीरों को ठंडा पेयजल उपलब्ध कराने के लिए रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में दस-दस और राजनांदगांव, कवर्धा, रायगढ़, जांजगीर, कोरबा, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोरिया, अम्बिकापुर और जशपुर में दो-दो प्याऊ 30 अप्रैल 2009 से खोले गए थे। ये सभी 'प्याऊ' रेल्वे स्टेशन, बस स्टैण्ड और अन्य भीड़-भाड़ वाले इलाकों में खोले गए थे। 'प्याऊ' खोलने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को 12 हजार 730 रूपए प्रति 'प्याऊ' के मान से सात लाख 12 हजार 880 रूपए की राशि दी गई थी। पानी पिलाने के लिए कलेक्टर दर पर एक श्रमिक को तैनात किया गया था। सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा गया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि प्याऊ प्रतिदिन खुला रहे और लोगों को पर्याप्त शुध्द पेयजल उपलब्ध हो। प्याऊ 30 जून तक खुला रहा था।[४]

सन्दर्भ

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