चन्द्रशेखर प्रसाद

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चन्द्रशेखर प्रसाद,(जन्म 20 सिंतबर 1964) उनके जन्म के आठ साल बाद उनके पिता जीवन सिंह का देहांत हो गया[१]। प्रशाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक भारतीय छात्र नेता थे और जो छात्रों के संघ के अध्यक्ष[२] एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) मुक्ति के एक कार्यकर्ता भी थे।[३] 31 मार्च 1997 को कुख्यात राजनीतिक अपराधी और राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सरगना मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अपनी पार्टी द्वारा आहूत हड़ताल के समर्थन में उत्तर-बिहार के जिला सिवान में नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करने के दौरान उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी।[४] इस हत्या के कारण भारत में बड़े पैमाने पर छात्र विरोधी प्रदर्शन हुए।[५] उनके बड़े पैमाने पर किये गए कामो के कारण, उन्हें भारत के अंदरूनी हिस्सों में उच्च स्तर के सम्मान के साथ देखा जाता है।

चन्द्रशेखर प्रसाद

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मृत्यु साँचा:br separated entries
जन्म का नाम Chandrashekhar Prasad
राष्ट्रीयता भारत
राजनीतिक दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
व्यवसाय छात्र
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प्रारंभिक जीवन

उनका जन्म बिहार राज्य के सिवान ज़िले में हुआ था और उनकी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया में हुई थी, जहाँ से वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत) में शामिल हो गए,लेकिन जल्द ही वे यहाँ से चले गए। बाद में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शामिल होने से पहले पटना विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उनकी रुचि लोकसेवा में खो जाने की थी, एक बार प्रसाद ने कहा था

हाँ, मेरी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा है- भगत सिंह की तरह जीवन और चे ग्वेरा की तरह मौत[६]

हत्या

जेएनयू में अपने कार्यकाल के अंत में, चन्द्रशेखर ने पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में सीवान लौटने का विकल्प चुना। जनता दल (अब राष्ट्रीय जनता दल), जिसने बिहार प्रांत में सरकार चलाई थी, सीपीआई-एमएल के प्रमुख कार्यकर्ताओं के खिलाफ अभियान चला रहा था। इसी में 1990 और 1996 के बीच जिला समिति के नेताओं सहित 70 से अधिक लोग मारे गए थे।[७]

31 मार्च 1997 को चन्द्रशेखर और एक अन्य कार्यकर्ता श्याम नारायण यादव को उनकी पार्टी द्वारा आहूत हड़ताल के समर्थन में सड़क के किनारे सभा को संबोधित करने के दौरान गोली मार दी गई थी।[७][८]

सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) का आरोप है कि हत्या सिवान के पूर्व संसद सदस्य मोहम्मद शहाबुद्दीन के इशारे पर की गई थी, जो जनता दल के थे।[७]

दिल्ली के साथ-साथ बिहार में भी हत्या के खिलाफ हजारों छात्रों के विरोध प्रदर्शन हुए। दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के बहनोई साधु यादव द्वारा अवैध रूप से निकाल दिया गया था।

संदर्भ

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