वैतरणी
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित १६:४५, १५ जून २०२० का अवतरण (Rescuing 2 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1)
वैतरणी पुराणों में वर्णित नरकलोक की नदी। गरुड़ पुराण, शंखलिखित स्मृति आदि कुछ ग्रंथों के अनुसार यह शत योजन विस्तीर्ण, तप्त जल से भरी हुई रक्त-पूय-युक्त, मांस-कर्दम-संकुल एवं दुर्गंधपूर्ण है। इस नदी में पापी प्राणी मरने के बाद (प्रेतशरीर धारण कर) रोते हुए गिरते हैं और भयंकर जीव जंतुओं द्वारा दंशि एवं त्रासित होकर रोते रहते हैं। पापियों के लिए इसके पार जाना अत्यंत कठिन माना गया है। यमलोक में स्थित इस नदी को पार करने के लिए धर्मशास्त्र में कुछ उपाय भी कहे गए हैं।
महाभारत में यह सूचना भी मिलती है कि भागीरथी गंगा ही जब पितृलोक में बहती है तब वह वैतरणी कहलाती है।
'वैतरणी' नाम की एक भौतिक नदी भारत के ओडिशा राज्य में है जो बालासोर जिला और कटक जिला की सीमा बनाती है।