हम्पी कोनेरु

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हम्पी कोनेरु
व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम कोनेरू हम्पी
राष्ट्रीयता भारतीय
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मृत्यु साँचा:br separated entries
खेल
खेल शतरंज
कोच कोनेरू अशोक

हम्पी कोनेरु (जन्म 31 मार्च 1987) विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश से एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं और रैपिड चेस में वर्तमान विश्व चैंपियन भी हैं।[१] हम्पी शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र की ग्रैंडमास्टर हैं। इस कीर्तीमान को उन्होंने 2002 में 15 साल की उम्र में हासिल किया था। साथ ही हम्पी पुरुषों काग्रैंडमास्टर खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी हैं।[१] कोनेरू ने 2006 के दोहा एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिलकिया और वे गोल्ड जीतने वाली मिश्रित टीम का भी हिस्सा थीं।[१] 2003 में भारत सरकार ने शतरंज में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार सेसम्मानित किया। 2007 में जब वे 20 साल की भी नहीं थीं तब उन्हें पद्मपुरस्कारों में से एक पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[२]

जीवनी

बचपन

इनके पिता का नाम अशोक माता का नाम कोनेरू लता हैं। हम्पी शब्द का अर्थ होता है विजयी इसी लिए कोनेरू के पिताजी का नाम हम्पी रखा था। इनके पिता अशोक कोनेरू आंध्र प्रदेश राज्य शतरंज में प्रतिनिधित्व कर चुके थे। वे अपना सपना हम्पी से पूर्ण करवाना चाहते थे। मात्र छः वर्ष की आयु से ही हम्पी ने खेल में रूचि लेना शुरू कर दिया। प्रशिक्षक के तौर पर उनके पिता ही हम्पी को शतरंज के दावपेंच सिखाते थे। मात्र 9 वर्ष की आयु में ही हम्पी ने शतरंज में 3 राष्ट्रीय स्तर के गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिए थे। यही प्रतिभावान महिला खिलाड़ी आगे जाकर देश की पहली पुरुष ग्रेडस्लेम विजेता बनी।

व्यक्तिगत जीवन और पृष्ठभूमि

उनके पिता कोनेरू अशोक शतरंज के राष्ट्रीय स्तर के पूर्व खिलाड़ी और दो बारराज्य चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने कोनेरू को “हम्पी” नाम दिया, जो अंग्रेज़ी केशब्द चैंपियन से बना है। पाँच वर्ष की उम्र से ही हम्पी ने शतरंज सीखना शुरू कर दिया। अन्य लड़कों के साथ हम्पी की प्रतिभा की परीक्षा लेने के साथ ही कोनेरूअशोक ने केमिस्ट्री पढ़ाना छोड़ कर उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। महज़ नौसाल की उम्र में हम्पी 1996 में नैशनल चैंपियन बन गईं।[३] इएलओ रेटिंग बढ़ाने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेना ज़रूरी था,यानी इसके लिए महंगी विदेश यात्रा करना था। ऐसे वक्त में बैंक ऑफ़ बड़ौदा उनकी मदद को आगे आया। उसने हम्पी को प्रायोजित किया। हालाँकि, यहसमुचित नहीं था। हम्पी ने 2006 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी (तेलऔर प्राकृतिक गैस निगम) के साथ नौकरी की. कंपनी उनकी यात्रा का खर्च उठातीहै।[३] 2014 में हम्पी ने दसारी अनवेश से शादी की और इस खेल से एक ब्रेक लिया। 2017 में इस दंपति को एक बेटी अहाना हुई।[४] ब्रेक से लौटने के बाद शुरुआती मुक़ाबलों, क्लासिकल वर्ल्ड चैम्पियनशिप और वर्ल्ड रैपिड चैम्पियनशिप में, हम्पीको हार का सामना करना पड़ा। आखिरकार 2019 में मास्को में वे वर्ल्ड रैपिड चेसचैंपियनशिप जीत गईं।[४] हम्पी का कहना है कि रैपिड और ब्लिट्ज चेस उनकी पसंद नहीं बल्कि उनका लक्ष्य क्लासिक वर्ल्ड खिताब जीतना है।[५]

करियर

1996 में हम्पी राष्ट्रीय चैंपियन बनीं और इसके बाद वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल जीते- 1997 (अंडर-10 गर्ल्स), 1998 (अंडर-12 गर्ल्स) और 2000 (अंडर-14 गर्ल्स)।

वह लड़कों के साथ भी प्रतिस्पर्धा में भाग लेती थीं। इसी दरम्यान अहमदाबाद में उन्होंने एशियन यूथ शतरंज चैंपियनशिप 1999 अपने नाम किया और वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप 2004 में वे संयुक्त रूप से पाँचवें स्थान पर रहीं। 2001 में कोनेरू ने वर्ल्ड जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप जीती।[५] 2005 में, उन्होंने नॉर्थ यूरल्स कप का ख़िताब जीता जिसमें दुनिया की दस सबसेमज़बूत महिला शतरंज खिलाड़ी शामिल थीं। 2006 में, उन्होंने दोहा में एशियाई खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक और देश के लिए मिश्रित टीम इवेंट में एक और गोल्ड जीता।[६] 2015 में चीन के चेंगदू में हम्पी ने वीमेंस टीम चेस चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।[७] 2019 में, वह वर्ल्ड रैपिड चेस चैंपियन बनी, जिसके बाद केर्न्स कप में उन्हें जीत हासिल हुई, जिसमें दुनिया की 10 सर्वश्रेष्ठ महिला शतरंज खिलाड़ियों ने भाग लिया था।[८][९]

कोनेरू ने अगस्त 2020 में ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड में पोलैंड की मोनिका सोको के ख़िलाफ़ टाइ-ब्रेक मुक़ाबला (इसे आर्मगेडन के रूप में जाना जाता है) जीतकर भारत को फ़ाइनल में पहुँचने में मदद की. इंटरनेट आउटेज की समस्या के कारण इस टूर्नामेंट में भारत को रूस के साथ संयुक्त विजेता घोषित किया गया था।[१०][११] इससे पहले जुलाई 2020 में उन्होंने फीडे स्पीड चेस चैंपियनशिप के सेमीफ़ाइनल में दुनिया के नंबर-1 चीन की होउ यिफान को भी हराया।[१२] उन्होने वर्ल्ड रैपिड शतरंज में जीत हासिल की. वर्ल्ड रैपिड शतरंज प्रतियोगिता जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाडी है। [१३]

पदक

वर्ष पदक इवेंट जगह व्यक्तिगत

/टीम

1997 स्वर्ण वर्ल्ड यूथ

शतरंज

चैम्पियनशिप

(अंडर 10)

कान,

फ्रांस

व्यक्ति
1998 स्वर्ण वर्ल्ड यूथ

शतरंज

चैम्पियनशिप

(अंडर 12)

ओरोपेसा

डेल

मार्च,

स्पेन

व्यक्ति
2000 स्वर्ण वर्ल्ड यूथ

शतरंज

चैम्पियनशिप

(अंडर 14)

ओरोपेसा

डेल

मार्च,

स्पेन

व्यक्ति
2006 स्वर्ण एशियन

गेम्स

दोहा व्यक्ति
2006 स्वर्ण एशियन

गेम्स

दोहा मिक्स्ड

टीम

2015 कांस्य महिला टीम

शतरंज

चैंपियनशिप

चेंगदू टीम
2020 स्वर्ण ऑनलाइन

शतरंज

ओलंपियाड

ऑनलाइन टीम

संदर्भ

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  2. https://web.archive.org/web/20151015193758/http://mha.nic.in/sites/uplo ad_files/mha/files/LST-PDAWD-2013.pdf
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