मातृभूमि (फ़िल्म)

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मातृभूमि:
अ नेशन विथाउट वुमन
चित्र:Matrubhoomi poster.jpg
पोस्टर
निर्देशक मनीष झा
निर्माता पैट्रिक सोबलमैन, पंकज खरबंदा
लेखक मनीष झा
अभिनेता ट्यूलिप जोशी, सुधीर पांडे, सुशांत सिंह, आदित्य श्रीवास्तव
संगीतकार सलीम-सुलैमान
छायाकार वेणु गोपाल
संपादक अश्मित कुंदर, शिरीष कुंदर
प्रदर्शन साँचा:nowrap [[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
  • 17 December 2003 (2003-12-17)
समय सीमा 93 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

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मातृभूमि २००३ में बनी भारतीय फ़िल्म है जिसका निर्देशन मनीष झा द्वारा किया गया है। फ़िल्म महिला शिशु हत्या व घटती महिलाओं की संख्या के मुद्दे पर प्रकाश डालती है। फ़िल्म कुछ असली घटनाओं, जैसे महिलाओं की गिरती संख्या व भारत के कुछ भागों में पत्नी खरीदने की प्रथा को उजागर करती है।[१] इसमें एक ऐसे भविष्य के भारतीय गाँव को दर्शाया गया है जिसमें केवल पुरुष ही है क्योंकि वर्षों से चली महिला शिशु हत्या के चलते अब गाँव में एक भी लड़की या महिला ज़िंदा नहीं है।[२]

फ़िल्म को बेहद सराहा गया है और २००३ में कई फ़िल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया जिनमे २००३ वेनिस फ़िल्म समारोह शामिल है जहां इसे आलोचक सप्ताह में दिखाया गया औरर बाद में फिपेसकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कथानक

फ़िल्म की शुरुआत बिहार के एक पिछड़े गाँव में होती है जहां जन्मी लड़की शिशु को उसके पिता सार्वजनिक समारोह में दूध में डुबो कर मार देते है इस उम्मीद में की उनकी अगली संतान लड़का होगी। कई साल बाद २०५० में इस प्रथा के चलते गाँव में केवल पुरुष ही बच गए है। महिलाओं की अनुपस्थिति के चलते अब परेशान पुरुष अश्लील फ़िल्में, लड़कियों की पोशाख पहन कर नृत्य करना व अन्य कार्यों से अपना गुज़ारा करते है। यह दिखाया जाता है की वह पत्नी पाने के लिए मानवी तस्करी की किसी भी हद्द तक जाने के लिए तैयार होते है।

एक रइस पिता रामचरण अपने पाँच बेटों के लिए कलकी नाम की एक जवान लड़की ढूंड निकालता है जो गाँव से कुछ ही दूर रहती है और उसे उसके पिता से खरीद लेता है। उसकी शादी पांचो बेटो से करवा दी जाती है। सप्ताह की हर रात उसे एक बेटे के साथ गुज़ारनी पड़ती है और यहाँ तक की उसका ससुर भी उसके साथ हर हफ्ते एक रात बिताता है। सभी बेटों में केवल सबसे छोटा बेटा ही उसे सम्मान व प्यार से संभालता है।

जब जलन के चलते छोटे बेटे को उसके भाई मार देते है और एक घरेलु नौकर की मदद से भाग निकलने की योजना खतरनाक ढंग से बर्बाद हो जाती है, कलकी अंतर-जातीय झगडो व बदले का एक मोहरा बन जाती है। उसे गाय के तबेले में खूंटे से बाँध कर रात पर रात सामूहिक बलात्कार किया जाता है। फ़िल्म का अंत एक उम्मीद पर होता है जब वह एक लड़की का गर्भधारण करती है और गाँव के पुरुष उसकी और उसकी होने वाली बेटी के हक के लिए एक दूसरे की जान लेते रहते है।

पात्र

  • ट्यूलिप जोशी - कलकी।
  • सुधीर पांडे - रामशरण।
  • सुशांत सिंह - सूरज।
  • विनम्र पंचारिया - रघु।
  • आदित्य श्रीवास्तव - रघु का चाचा।
  • पीयूष मिश्रा - जगन्नाथ।
  • मुकेश भट्ट - रघु का बड़ा भाई।
  • पंकज झा - राकेश।
  • संजय कुमार - ब्रिजेश

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

मातृभूमि at IMDb

  1. Draupadis bloom in rural Punjab स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, July 16, 2005.
  2. साँचा:cite news