बालेश्वर यादव

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साँचा:asbox बालेश्वर यादव (भोजपुरी: बलेसर ; १९४२ - ११ जनवरी २००८) भोजपुरी/अवधी के प्रसिद्ध लोकगायक थे। उनके गाये बिरहा बहुत ही लोकप्रिय हुए। उनका जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ के मधुबन क्षेत्र के बदनपुर गाँव हुआ था जो वर्तमान में जनपद मऊ का हिस्सा है जो घाघरा नदी के किनारे पर स्थित है। बालेश्वर भोजपुरी जगत के पहले सुपरस्टार थे, इनके कई गानों को बॉलीवुड में कॉपी किया गया।[१]

इनकी प्रमुख गाए हुए गाने निम्न्वत है :

  • सईया साजन
  • ससुरा में जैयबू
  • दुश्मन मिले सवेरे लेकिन मतलबी यार ना मिले
  • हम कोइलरी चली जाइब ए ललमुनिया के माई
  • बिकाई ए बाबू BA पास घोड़ा
  • चलीं ए धनिया ददरी क मेला
  • हमार बलिया बीचे बलमा हेराइल सजनी
  • अपने त भइल पुजारी ए राजा, हमार कजरा के निहारी ए राजा
  • बाबू क मुंह जैसे फ़ैज़ाबादी बंडा, दहेज में मांगेलें हीरो होंडा
  • दुश्‍मन मिले सवेरे लेकिन मतलबी यार ना मिले

मूरख मिले बलेसर, पर पढ़ा-लिखा गद्दार ना मिले,

  • पान खा ला मुन्नी साढ़े तीन बजे मुन्नी

तीन बजे मुन्नी जरूर मिलना, साढ़े तीन बजे.

बालेश्वर राजभर ने इस गाने को लिखा जिससे प्रेरणा पाकर अनजान ने अमिताभ बच्चन की ‘आज का अर्जुन' में गाना शामिल किया था ‘चली आना तू पान की दुकान पे साढ़े तीन बजे’ ।[२] बालेश्वर राजभर ने 2008 में सूरीनाम में आखिरी शो किया था ।

उपलब्धि

संगीत क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए १९९४ में इन्हें यश भारती पुरस्कार[३] से नवाजा गया।

संदर्भ

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