फीडफॉरवर्ड नियंत्रण

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फीडफॉरवर्ड नियंत्रण (feedforward control) की स्थिति तब बनती है जब सेट-पॉइंट और/या डिस्टर्बेंस से सीधे नियंत्रित चर (control variable) की सीधी कपुलिंग हो। अर्थात इसमें इनपुट सिगनल से कंट्रोल चर तक कपलिंग होती है। जहाँ फीडबैक कंट्रोल में कंट्रोल चर का मान त्रुटि (error) पर आधारित होता है वहीं फीडफॉर्वर्ड में त्रुटि के बजाय इनपुट पर आधारित होता है। प्रायः फीडबैक या फीडफॉर्वर्ड को अकेले उपयोग में न लाकर दोनो का समुचित मिश्रण का उपयोग किया जाता है।

फीडफॉरवर्ड का आधार नियंत्रित की जाने वाली प्रणाली गणितीय मॉडल का ज्ञान तथा प्रक्रिया में आने वाले डिस्टर्बैंसेस का मापन है। इनका ज्ञान जितना शुद्ध एवं प्रामाणिक होगा, फीडफॉरवर्ड का उपयोग उतने ही कारगर ढ़ंग से किया जा सकेगा।

चित्र:Control Systems.png
तीन प्रकार के नियंत्रण-तंत्र : खुला लूप, फीडबैक और फीडफॉरवर्ड

फीडफॉर्वर्ड के लाभ

फीडफॉरवर्ड नियंत्रण से मिलने वाले लाभ इतने पर्याप्त हैं कि इसको लगाने अतिरिक्त खर्च, समय और प्रयत्न करना सार्थक रहता है।

  • यदि नियंत्रित तंत्र का गणितीय मॉडल पर्याप्त शुद्धता से ज्ञात हो और फीडफॉर्वर्ड-नियम को सुविचार ढ़ंग से कार्यान्वित किया जाय तो इससे नियंत्रण की शुद्धता (Control accuracy) प्रायः एक परिमाण की कोटि (order of magnitude) तक बढ़ायी जा सकती है।
  • फीडफॉर्वर्ड के प्रयोग से ड्राइव्स आदि में ऊर्जा की खपत में कमी आती है।
  • स्थायित्व (Stability) में वृद्धि होती है जिससे नियंत्रित युक्ति को कम दाम, कम वजन और आसानी से उपलब्ध साधनों से बनाया जा सकता है और फिर भी वह अत्यधिक परिशुद्ध एवं तेज गति से काम करने वाली होगी।
  • कम घिसन (wear and tear), कम रखरखाव का खर्च, अधिक विश्वसनीयता तथा हिस्टेरिसिस् में काफी कमी आदि इसके अन्य लाभ हैं।
  • फीडफॉरवर्ड को प्रायः फीडबैक के साथ मिला देने से इच्छित परफॉर्मेंस प्राप्त किया जा सकता है।