न्यायाधिकरण (इनक्विज़िशन)
काथलिक गिरजे (Catholic church) के इतिहास में इनक्विज़िशन (Inquisition) का पर्याप्त महत्वपूर्ण स्थान है। 'एनक्विज़िशन' का अर्थ है जाँच पड़ताल। इस न्यायाधिकरण (ट्राइब्यूनल) की स्थापना इस उद्देश्य से हुई थी कि काथलिक धर्म के सिद्धान्तों से भटकनेवालों का पता लग जाए और उनको दंड दिलाने के लिए सरकार के सुपुर्द किया जाए।
इस संस्था के तीन रूप हैं :
मध्यकालीन एनक्विज़िशन
इसकी उत्पत्ति समझने के लिए यूरोप की तत्कालीन परिस्थिति को ध्यान में रखना आवश्यक है। काथलिक धर्म (गिरजे) के अधिकारी अपने धार्मिक विश्वासों के समुचित सूत्रीकरण के प्रति प्रारंभ से ही सतर्क रहे तथा भ्रामक सिद्धान्तों के प्रचारकों को समझाकर और आवश्यकतानुसार उनको धर्म (गिरजे) से बहिष्कृत काथलिक धर्म का सनातन रूप शताब्दियों तक सुरक्षित रखने में समर्थ हुए। चौथी शताब्दी ई. में काथलिक धर्म को रोमन साम्राज्य की ओर से मान्यता मिली; बाद में वह यूरोप के अधिकांश देशों में भी राजधर्म के रूप में स्वीकृत होने लगा। अत: काथलिक धर्म (गिरजे) के प्रति विद्रोह करना राजविद्रोह माना जाने लगा। फलस्वरूप सरकार काथलिक धर्मविरोधी सिद्धान्तों का प्रचार करनेवालों को निर्वासन, संपत्ति की जब्ती आदि दंड दिया करती थी। 12 वीं शताब्दी में एकाध सम्प्रदायों के प्रचार के कारण सामाजिक तथा राजनीतिक अशांति फैलने लगी जिनमें फ्रांस के दक्षिणी भागों में प्रचार करनेवाला अल्बीजंसस नामक सम्प्रदाय प्रधान था। उन लोगों की धारणा थी कि समस्त भौतिक जगत् (प्रकृति) किसी दुष्ट पुरुष की सृष्टि है; मानव शरीर भी दूषित है इसलिए आत्महत्या उचित किंतु विवाह बुरा है क्योंकि वह शारीरिक जीवन को बनाए रखने का साधन है। अत: इस सम्प्रदाय के 'सिद्ध' लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते थे किंतु अपने साधारण अनुयायियों को यह शिक्षा देते थे कि यदि कोई पूर्ण संयम न रख सके तो उसके लिए विवाह की अपेक्षा व्यभिचार ही अच्छा है। इस सम्प्रदाय के विरुद्ध जनता की ओर से उग्र प्रतिक्रिया हुई तथा सरकार ने उसके अनुयायियों को प्राणदंड देने का निर्णय किया; गिरजे ने उनका पता लगाने का भार स्वीकार किया। इस उद्देश्य से 12 वीं श. ई. के अन्त में एनक्विज़िशन संस्था की स्थापना हुई और बाद में वह प्राय: समस्त ईसाई देशों में फैल गई। इसके पदाधिकारी रोम की ओर से नियुक्त होकर देश का दौरा किया करते थे। अभियुक्तों से अनुरोध किया जाता था कि वे अपने भ्रामक सिद्धान्त त्यागरकर पश्चाताप करें। जो लोग इसके लिए तैयार नहीं होते थे, उनको प्राणदंड दिलाने के लिए सरकार के हाथ सौंपा जाता था। उस समय की बर्बर प्रथा के अनुसार स्वीकारोक्ति के निर्मित अभियुक्त को यंत्रणा भी दी जाती थी। अभियोक्ताओं के नाम गुप्त रखे जाते थे तथा अपश्चत्तापी दोषियों को जीते जी जला दिया जाता था। इन कारणों से इतिहासकारों ने एनक्विज़िशन की घोर निन्दा की है।
स्पेन का एनक्विज़िशन
इसकी स्थापना सन् 1478 ई. में राजा के अनुरोध पर इस उद्देश्य से हुई थी कि गुप्त मुसलमानों तथा यहूदियों का पता लगाया जाए। बात यह है कि सात शताब्दियों तक स्पेन के कुछ प्रदेशों पर मुसलमानों का आधिपत्य बना रहा और बहुत से ईसाइयों के पुरखे मुसलमान ही थे। दूसरी ओर, राजा ने स्पेन के यहूदियों को यह आदेश दिया कि ईसाई बनो अथवा देश छोड़ दो। इस परिस्थिति में स्पेन के नए ईसाइयों के विषय में संदेह बना रहता था कि वे भीतर ही भीतर मुसलमान अथवा यहूदी तो नहीं हैं। स्पेन के एनक्विज़िशन का उन्मूलन 19 वीं श. के पूर्वार्ध में हुआ।
रोमन एनक्विज़िशन
मध्यकालीन एनक्विज़िशन 13वीं तथा 14वीं शताब्दी में सक्रिय रहा। सन् 1542 ई. में इसका पुनस्संगठन तथा परिष्कार हुआ और उस समय इसका नाम 'रोमन एनक्विज़िशन' तथा बाद में 'होली आफ़िस' रखा गया। इसी नाम से यह आज तक विद्यमान है। काथलिक धर्म की पवित्रता की रक्षा तथा धार्मिक सिद्धान्तों का ठीक ठीक सूत्रीकरण इस संस्था का मुख्य उत्तरदायित्व है।
मध्यकालीन तथा स्पेन के एनक्विज़िशन के कारण काथलिक धर्म (गिरजे) को लाभ की अपेक्षा हानि अधिक हुई। यद्यपि एनक्विज़िशन के अत्याचार के वर्णन में प्राय: अतिरंजना का आश्रय लिया गया है तथा दंडितों की संख्या को अत्यधिक बढ़ा दिया गया है, फिर भी यह अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि इस संस्था द्वारा मनुष्य के मूल अधिकारों की उपेक्षा की जाती थी। आजकल प्रचलित काथलिक धर्म (गिरजे) के विधान में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध काथलिक नहीं बनाया जा सकता।
सन्दर्भ
- पी. ह्यूज़ : ए हिस्ट्री ऑव द चर्च, लंदन, भाग 1 (1939), भाग 2 (1947);
- जे. गिराड : दमिडीवल एनक्विज़िशन, लंदन (1929)।
इन्हें भी देखें
- क्रूसेड या क्रूसयुद्ध
बाहरी कड़ियाँ
- The Inquisition: Myth or Reality
- The Inquisition by Jewish Virtual Library
- Frequently Asked Questions About the Inquisition by James Hannam
- The Secret Files of The Inquistion. PBS
- "The Immeasurable Curiousity of Edward Peters", p.4 as found in the Pennsylvania Gazzette, a publication of the University of Pennsylvania
- Scholarly studies including Lea's History
- Jewish Virtual Library on the Spanish Inquisition
- Galileo Project: Christianity: Inquisition
- Clandestine Judaism in the Shadow of the Inquisition, Dr. Rivkah Shafek Lissak
- L. D. Barnett, "Two Documents of the Inquisition", in The Jewish Quarterly Review, New Ser., Vol. 15, No. 2 (Oct., 1924), pp. 213-239
- Inquisition against the Jews 1481-1834 (from Encyclopaedia Judaica 1971)