पितृवंश समूह ऍफ़
मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह ऍफ़ या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप F एक पितृवंश समूह है। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग ५०,००० वर्ष पहले भारतीय उपमहाद्वीप या मध्य पूर्व में रहता था।[१] इस पितृवंश से आगे चलकर बहुत सी पितृवंश उपशाखाएँ बनी और विश्व के ९०% पुरुष इन्ही उपशाखाओं के वंशज हैं। क्योंकि यह पितृवंश मनुष्यों के अफ़्रीका से निकलने के बाद ही उत्पन्न हुआ इसलिए इस पितृवंश के पुरुष उप-सहारा अफ़्रीका के क्षेत्रों में बहुत कम ही मिलते हैं। बाक़ी विश्व में ऐसे पुरुष जो सीधा इस पितृवंश के सदस्य हैं (यानि की इसकी उपशाखाओं के नहीं बल्कि केवल पितृवंश समूह ऍफ़ के वंशज हैं) भारत, उत्तरी पुर्तगाल, चीन के यून्नान राज्य के पहाड़ी इलाकों और कोरिया में पाए जाते हैं।[२]
भारतीय पुरुषों में से १२.५% इसके सीधे सदस्य हैं, लेकिन भारतीय जनजातियों के पुरुषों में यह मात्र बढ़ कर १८.१% पर देखी गयी है।[३] कोरियाई पुरुषों में से ८% इस पितृवंश समूह की संतति हैं।[४] पुर्तगाल में इसकी ०.५% तक की हलकी मौजूदगी का कारण भारतीय पुरुषों के साथ संबंधों को माना जाता है, क्योंकि पुर्तगाल और भारत का ५०० वर्ष तक संपर्क रहा है।[५] चीन में इसे ज़्यादातर युन्नान क्षेत्र की लाहू जनजाति में देखा गया है।[६]
अन्य भाषाओँ में
अंग्रेज़ी में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।