मंदनाड़ी
Sinus bradycardia seen in lead II with a heart rate of about 50. | |
ICD-10 | R00.1 |
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ICD-9 | 427.81, 659.7, 785.9, 779.81 |
MeSH | D001919 |
मंदनाड़ी (Bradycardia) (यूनानी भाषा में मंदनाड़ी, या "हृदय का धीमा होना"), वयस्कों की दवा के संदर्भ में स्थिर हृदय गति की दर प्रति मिनट 60 बीट से कम होने को कहते हैं, हालांकि इसे तब तक रोग का लक्षण नहीं कहा जाता जब तक ये प्रति मिनट 50 बीट से कम न हो जाए. इससे कुछ मरीजों को दिल का दौरा पड़ सकता है, क्योंकि मंदनाड़ी की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति अपने दिल तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते हैं। कई बार इसकी वजह से बेहोशी, सांस लेने में परेशानी और ज्यादा गंभीर होने पर मौत भी हो सकती है।[१][२]
प्रशिक्षित खिलाड़ी या स्वस्थ युवा व्यक्तियों की भी स्थिर हृदय गति की दर धीमी हो सकती है (जैसे पेशेवर साइकिल-चालक मिगेल इंड्यूरेन की स्थिर हृदय गति की दर 28 बीट प्रति मिनट थी). अगर थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिर हल्का महसूस होना, बेहोशी, सीने में असहजता, तेज धड़कन या धड़कन में उतार-चढ़ाव या सांस लेने में दिक्कत जैसे कोई लक्षण मौजूद न हों तो सुप्त मंदनाड़ी को अक्सर सामान्य ही माना जाता है।
सापेक्ष मंदनाड़ी (relative bradycardia) शब्द का इस्तेमाल उस हृदय गति के विवरण के लिए होता है, जो वैसे तो प्रति मिनट 60 बीट से कम नहीं होती है, लेकिन फिर भी किसी व्यक्ति की वर्तमान चिकित्सीय स्थिति की तुलना में उसे काफी धीमा माना जाता है।
परिभाषा
किसी वयस्क में मंदनाड़ी वह हृदय गति है जो प्रति मिनट 60 बीट से कम हो.[३] लेकिन किसी बीमारी का लक्षण बनने के लिए हृदय गति सामान्यतः 50 बीट प्रति मिनट से कम हो जाती है।[३]
वर्गीकरण
आलिंदी
साँचा:see also आलिंदी मंदनाड़ी तीन अलग-अलग प्रकार की होती है। पहली है शिरानाल मंदनाड़ी. ये समस्या आमतौर पर युवा और स्वस्थ वयस्कों में देखी जाती है। इसके लक्षण किसी व्यक्ति के श्वसन के साथ दिखते हैं। हर बार अंत:श्वसन के साथ ही हृदय गति धीमी पड़ती जाती है। निश्वासन से हृदय के सिकुड़ने की दर बढ़ती जाती है। ऐसा माना जाता है कि श्वसन के दौरान वागल तंत्रिका की आवाज में बदलाव की वजह से ऐसा होता है।[४]
शिरानाल मंदनाड़ी वो शिरानाल लय है जिसकी दर 60 बीट प्रति मिनट से कम है। ये एक ऐसी अवस्था है जो स्वस्थ व्यक्तियों और अच्छी तरह से प्रशिक्षित खिलाड़ियों में आम है। अध्ययनों में पता चला है कि 23 फीसदी आम लोगों की तुलना में 50-85 फीसदी प्रशिक्षित खिलाड़ियों में मध्यम दर्जे की शिरानाल मंदनाड़ी पाई जाती है।[५] इसकी वजह ये है कि उनके दिल की मांसपेशियां ज्यादा मात्रा में रक्त का संचार करने के काबिल हो जाती हैं और इसीलिए उसी मात्रा में रक्त संचार करने के लिए कम संकुचन की जरूरत पड़ती है।[४]
बीमार शिरानाल संलक्षण के तहत वो अवस्थाएं आती हैं जिनमें गंभीर शिरानाल मंदनाड़ी, साइनोआट्रियल अवरोधन, शिरानाल का बंद होना और ब्रैडिकार्डी-टैकीकार्डिया संलक्षण (आलिंदी फिबिलेशन, धड़कन और पैरोक्जाईमल सुपरावेंट्रिक्यूलर टैकीकार्डिया) शामिल हैं।[४]
आलिंदीनिलयी ग्रंथि संबंधी (Atrioventricular nodal)
आलिंदीनिलयी ग्रंथि संबंधी मंदनाड़ी या एवी जंक्शन रिदम आमतौर पर शिरानाल ग्रंथि से विद्युतीय आवेग के अभाव के कारण होती है। उलटे पी वेव के साथ सामान्य क्यूआरएस कॉम्प्लेक्स आमतौर पर ईकेजी पर दिखता है जो कि क्यूआरएस कॉम्प्लेक्स के पहले या दौरान या फिर बाद में आता है।[४]
एवी जंक्शन एस्केप देरी से होने वाली हृदय गति है जो कि एवी जंक्शन के अंदर कहीं एक्टॉपिक फोकस में उत्पन्न होती है। ऐसा तब होता है जब एसए नोड की विध्रुवण गति एवी नोड की गति से कम हो जाती है।[४] एसए या एवी अवरोधन की वजह से जब एसए नोड का विद्युतीय आवेग एवी नोड तक नहीं पहुंच पाता है, तब भी इस तरह अलयता उत्पन्न हो सकती है।[६] यह एसए नोड (जो अब गतिनियंत्रण क्रिया का काम नहीं कर रहा है) की कमी को पूरा करने के लिए हृदय की एक सुरक्षात्मक प्रक्रिया है और ये अतिरिक्त समर्थन स्थानों की एक श्रृंखला है जो एसए नोड के काम करना बंद करने के बाद गतिनियंत्रण क्रिया को नियंत्रित करने लगता है। यह लंबे पीआर अंतराल के तौर पर पेश होता है। एक जंक्शनल एस्केप कॉम्प्लेक्स एक सामान्य प्रतिक्रिया है जो एसए नोड पर अत्यधिक वेगस तंत्रिका संबंधी ध्वनि की वजह से हो सकता है। रोगविज्ञान के तहत इसकी वजहों में शिरानाल मंदनाड़ी, शिरानाल अवरोधन, शिरानाल बाह्य अवरोधन, या एवी ब्लॉक शामिल हैं।[४]
निलयी
निलयी मंदनाड़ी को निलयी एस्केप रिदम या फिर इडियोवेंट्रीक्यूल रिदम के तौर पर भी जाना जाता है जिसमें हृदय गति 50 बीट प्रति मिनट से कम होती है। ये एक सुरक्षात्मक प्रक्रिया है जो कि एट्रियम से विद्युतीय आवेग या उत्प्रेरक की कमी होने पर उत्पन्न होती है।[४] हिज बंडल (His bundle) से या उसके नीचे से निकलने वाला आवेग जिसे निलयी के तौर पर भी जाना जाता है, वो 20 से 40 बीट प्रति मिनट हृदय गति के साथ विस्तृत क्यूआरएस कॉम्प्लेक्स उत्पन्न कर सकता है। जंक्शनल के तौर पर भी जाने जानेवाले हिज बंडल से ऊपर की स्थिति में संकीर्ण क्यूआरएस कॉम्प्लेक्स के साथ हृदय गति 40 से 60 बीट प्रति मिनट होती है।[७][८] घातक अवरोध के तकरीबन 61 फीसदी मामले समूह शाखा प्यूरकिंजे प्रणाली में, 21 फीसदी मामलों में एवी नोड पर और 15 फीसदी मामले हिज बंडल पर होते हैं।[७] ईकेजी में अगर पी वेव्स और क्यूआरएस कॉम्प्लेक्स का अनुपात 1:1 दर्शाता है तो वहां एवी ब्लॉक की संभावना को नकारा जा सकता है।[८] निलयी मंदनाड़ी शिरानाल मंदनाड़ी, शिरानाल अवरोध, तथा एवी अवरोध के साथ होती है। इसके इलाज में आमतौर पर एट्रोपाइन दवा और कार्डियाक पेसिंग का प्रयोग किया जाता है।[४]
शैशवकालीन
बच्चों में मंदनाड़ी तब माना जाता है जब उनकी हृदय गति 100 बीट प्रति मिनट से कम हो जाए. (सामान्य हृदय गति 120-160 बीट प्रति मिनट है). श्वसन रोधी और मंदनाड़ी से ग्रस्त होने की आशंका सामान्य बच्चों के मुकाबले अपरिपक्व बच्चों में ज्यादा होती है, हालांकि इनकी सही वजह समझ में नहीं आई है। कुछ अध्ययनकर्ता ये मानते हैं कि ये समस्याएं इसलिए होती हैं क्योंकि अपरिपक्व बच्चों के दिमाग में सांस लेने की क्रिया को नियंत्रित करने वाली जगहों का सही से विकास नहीं हो पाता है। बच्चे को प्यार से सहलाने या इंक्यूबेटर को चलाने से बच्चा फिर से सांस लेने लगता है जिससे हृदय गति बढ़ने लगती है। अगर जरूरी हुआ तो बच्चों की इस समस्या के इलाज के लिए दवा (थियोफाइलिन या कैफीन) का इस्तेमाल किया जा सकता है। एनआईसीयू की मानक प्रक्रिया के अनुसार इसके लिए दिल और फेफड़ों पर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नजर रखी जाती है।
कारण
ह्रदय अतालता के कई कारक हो सकते हैं, जिन्हें ह्रदय संबंधी और गैर-ह्रदय संबंधी कारकों में विभाजित किया जा सकता है। गैर-ह्रदय संबंधी कारण आमतौर पर अप्रत्यक्ष होते हैं और इसमें दवा का इस्तेमाल या दुरुपयोग; चयापचय या अंतःस्त्रावी मुद्दे, खासकर गलग्रंथि में; एक इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन; तंत्रिका संबंधी कारक; स्वचालित प्रतिवर्त; परिस्थितिजनक कारक जैसे लंबे समय तक विश्राम; और स्वरोगप्रतिरोध शामिल होते हैं। ह्रदय संबंधी कारणों में गंभीर या पुरानी दिल की बीमारी, संवहनीय ह्रदय रोग, कपाटीय ह्रदय रोग, या पतनकारी प्राथमिक विद्युतीय रोग शामिल हो सकते हैं। ये कारक तीन प्रकार से काम करते हैं : हृदय की स्वचालित प्रक्रिया में कमी, चालन अवरोध, या एस्केप पेसमेकर्स और लय.
सामान्यतः दो तरह की समस्याओं की वजह से मंदनाड़ी होती है: साइनोएट्रियल ग्रंथि (एसए नोड) के विकार और आलिंदीनिलयी ग्रंथि (एवी नोड) के विकार.
शिरानाल ग्रंथि शिथिलता (जिसे कभी-कभी बीमार शिरानाल संलक्षण भी कहा जाता है) में स्वचालन में गड़बड़ी या फिर आलिंदी ऊतक (एक तरह का बाह्य अवरोध) के चारों ओर शिरानाल ग्रंथि से आने वाले आवेग के चालन में विकृति हो सकती है। 12-लीड वाले ईकेजी के इस्तेमाल से सिर्फ द्वितीय डिग्री के साइनोस्ट्रियल अवरोध की पहचान की जा सकती है।[९] किसी एक मंदनाड़ी के लिए प्रक्रिया तय करना काफी मुश्किल और कई बार नामुमकिन भी होता है, लेकिन अंदर की प्रक्रिया इलाज के लिए उतनी जरूरी नहीं है जो कि बीमार शिरानाल संलक्षण के दोनों ही मामलों में एक समान होता है : एक स्थायी पेसमेकर.
आलिंदीनिलयी चालन में दिक्कतें (अर्थात: एवी अवरोध; 1o एवी अवरोध, 2o प्रकार I एवी अवरोध, 2o प्रकार II एवी अवरोध, 3o एवी अवरोध) एवी ग्रंथि के चालन में विकृति होने या फिर कहीं भी इससे नीचे जैसे बंडल ऑफ हिज की वजह से हो सकती हैं। चिकित्सीय भाषा में कहें तो एवी अवरोध, साइनोएट्रियल अवरोध से ज्यादा बड़े होते हैं।[९]
मंदनाड़ी से ग्रस्त रोगियों में इस समस्या के जन्मजात होने की अपेक्षा अन्य कहीं से ग्रहण किये जाने की संभावना अधिक रहती है। मंदनाड़ी उम्रदराज मरीजों में ज्यादा आम है।
रोग-निदान
किसी वयस्क में मंदनाड़ी का निदान हृदय गति के 60 बीट प्रति मिनट से कम होने पर आधारित होता है। आमतौपर इसका निर्धारण हृदयगति या ईसीजी से किया जाता है।
यदि लक्षण दिखते हैं तो इलेक्ट्रोलाइट्स के निर्धारण से निहित कारक की जानकारी मिल सकती है।
प्रबंधन
मंदनाड़ी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति स्थिर है या अस्थिर.[३] अगर ऑक्सीजन संतृप्ति कम हो तो अतिरिक्त ऑक्सीजन प्रदान की जानी चाहिए.[३]
स्थिर
अगर व्यक्ति में बहुत कम लक्षण दिख रहे हैं या कोई लक्षण नहीं दिख रहा है तो आपातकालीन इलाज की जरूरत नहीं होती है।[३]
अस्थिर
किसी अस्थिर व्यक्ति के शुरुआती इलाज के लिए एट्रोपाइन को अन्तर्शिरा तरीके से दिया जाना चाहिए.[३] दवा की खुराक 0.5 एमजी से कम नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इससे हृदय गति और भी कम हो सकती है।[३] अगर इससे फायदा नहीं होता है तो अन्तर्शिरा आइनोट्रोप खुराक (डोपामाइन, एपिनेफ्राइन) या फिर ट्रांसक्यूटेनस पेसिंग का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.[३] मंदनाड़ी के प्रभाव में शीघ्रता से कमी न आने पर ट्रांसवीनस पेसिंग की आवश्यकता पड़ सकती है।[३]
सन्दर्भ
- ↑ शिरानाल मंदनाड़ी स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। ईमेडिसिन
- ↑ मंदनाड़ी स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, माउंट सिनाई हॉस्पिटल में
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ साँचा:cite journal
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web