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खजूर खाने से क्या लाभ है।


क्या खजूर सबको खाना चाहिए?..
{{Taxobox | name=खजूर| native name=खजूर| image = Phoenix dactylifera0.jpg | image_width = 250px  | regnum = [[पादप]]| binomial = फीनिक्स डेक्टाइलिफेरा }}
खजूर की प्रभावशाली उपस्थिति होती है। इसमें शाही पत्ते, एक मोटी सूंड और मीठे फलों के बड़े गुच्छे हैं, जो इसे आपके बगीचे के लिए एक शानदार अतिरिक्त बनाते हैं। खजूर 80 फीट ऊंचा और 40 फीट चौड़ा हो सकता है, जिसमें बड़े, फैले हुए, हरे पत्ते अपने चरम पर होते हैं। फूल आने पर, यह पेड़ हल्के पीले फूलों के गुच्छों का उत्पादन करता है जो खजूर के प्रसिद्ध समूहों में बदल जाते हैं। हालांकि धीमी गति से बढ़ने वाली, ये हथेलियां उन लोगों को बड़ा पुरस्कार देती हैं जो उनकी देखभाल करने में धैर्यवान और मेहनती होते हैं।
==नाम और वर्गीकरण ==


क्या खजूर खाने से मर्दांग्नि भी बढ़ती है।
यह  का एक प्रकार है।इसके अन्य नाम    है।इसका वानस्पतिक नाम फीनिक्स डेक्टाइलिफेरा है।यह  परिवार का सदस्य है।====नाम की उत्पत्ति====


खजूर के बारे में आयुर्वेद के किस ग्रन्थ में उल्लेख है।
==पहचान==


खजूर का संस्कृत मन्त्र या श्लोक किस किताब में लिखा है।


खजूर की चटनी कैसे बनाएं?..
==मूल क्षेत्र==
खजूर का मूल क्षेत्र  है।
==उगाना==


खजूर 50 से अधिक फायदे जानकर शरूर आ जायेगा।
==किस्म==


खजूर की बनी शराब पीने से चेहरे पर शबाब आ जाता है।
==परिदृश्य==
खजूर दूध के साथ खाने से मोटापा बढ़ता है और पानी के साथ लें, तो चर्बी घटाता है।


खजूर जरूर खाऐं, क्योंकि…खजूर खाने से पेट की खराबी, कब्ज की शिकायत दूर होती है और लिवर, इम्यून सिस्टम होता है मजबूत।
==वातावरण से संबंधित जरूरतें==


खजूर उदर रोगों को चकनाचूर कर देता है। नियमित खजूर खाने वाले लोग कभी किसी चिकित्सक की जी हजूरी नहीं करते।
====इष्टतम प्रकाश====


खजूर के पेड़ जिस जगह ज्यादा लगे होतें है, वहाँ आंखों में रतोन्दी रोग नहीं होता। नेत्रज्योति भी बढ़ाता है खजूर।


खजूर एक एंटी-एजिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह बुढापा रोकने में मददगार है।
====अनुकूल भूमि====


खजूर खाने से कैलोरी और मिठास शरीर को एनर्जी प्रदान करती है।


खजूर कब्ज का शर्तिया इलाज है
====अनुकूल तापमान====
खजूर हड्डी को ताकत देता है।


खजूर वात रोग तथा ग्रन्थिशोथ यानी थायराइड दूर करता है।


खजूर, मजबूर मरीज को स्वस्थ्य करने में सहायक है।
====इष्टतम पानी====


स्वस्थ तंत्रिका तंत्र को बनाए रखता है
खजूर का सेवन करने से चेहरे पर चमक आती है।
खजूर बालों को स्वस्थ रखता है
बवासीर से पीड़ित प्राणियों के लिए खजूर अमृत है।
अल्लाह की इबादत के लिए मुस्लिम धर्म के लोग खजूर की गुठली से जप करते हैं।
रोजा खोलते वक्त हरेक मुसलमान सबसे पहले खजूर का सेवन करते हैं, फिर रोजा खोलते हैं।
स्कंदपुराण के अनुसार राहु की शांति के लिए गुरुवार को खजूर अर्पित करने से राहु का प्रकोप कम होता है।
खजूर फल नाडीसंस्थान-नाडीबलदायक, मस्तिष्कशामक और वातहर है।
खजूर पाचनसंस्थान को ताकत देता है।
खजूर स्नेहन, अनुलोमन और स्तम्भन है।
खजूर अधिक खाने से विष्टम्भी है।
खजूर के पत्ते पेट के कीड़े मरते हैं यानि कृमिघ्न है।
खजूर- रक्तवहसंस्थान और रक्तपित्तशामक है!
खजूर-श्वसनसंस्थान -कफनिःसारक है!
खजूर महिलाओं के प्रजननसंस्थान को ठीक करता है।
खजूर -वृष्य है।
खजूर सात्मीकरण-श्रमहर बल्य और बृंहण है।
खजूर का नीरा एवं गुड़ भी बल्य है।
खजूर का ताजा नीरा बल्य, वृष्य और मूत्रल है
खजूर से शराब बनती है। यह मद्य होने पर दीपन, पाचन और उत्तेजक होता है।
खजूर खाने से पेशाब खुलकर आत्य है यानी मूत्रवहसंस्थान-मूत्रल है ।
खजूर-देह के तापक्रम-ज्वरघ्न, दाहप्रशमन को सन्तुलित करता है।
खजूर के अन्य प्रयोग तथा दोषप्रयोग-यह वातपत्तिक विकारों में प्रयुक्त होता है।
खजूर के संस्थानिक प्रयोग-बाह्य-दन्तशूल में इसके मूल के क्वाथ से कुल्ला करते हैं या मूलचूर्ण लगाते हैं।
खजूर-नाडीसंस्थान-मूर्छा, भ्रम, मदात्यय, मस्तिष्कदौर्बल्य तथा कटिशूल, गृध्रसी आदि वातविकारों में खजूर चमत्कारी रूप से लाभदायक होता है ।
पका हुआ खजूर पाचनसंस्थान-तृष्णा, छदि, कोष्ठगत वात तथा अतिसार में देते हैं ।
पेट की पुरानी तकलीफ मिटायें-खजूर…शरीर को रोग रहित, स्वस्थ्य,तंदरुस्त, शक्ति-सम्पन्न, एनर्जिक बनाने के लिए घरेलू उपचार करें-


पिंड खजूर, मुनक्का, ८-८ नग, अंजीर, एक, हरड़ छोटी-4 नग, जीरा, धनिया, अजवायन, मेथीदाना, गुलाब फूल, कालीमिर्च, सौफ सभी 1–1 ग्राम 500 ml पानी में रात को जलाकर, छानें। फिर इसमें सेंधानमक, कालानमक दोनों 1–1 ग्राम मिलाकर सुबह खाली पेट 1 महीने तक पियें। इससे पेट के सभी विकार पखाने द्वारा साफ हो जाएंगे।
====पात्र====
यह ओषधि किराने या आयुर्वेद की दुकान या पंसारी से आसानी से मिल जाएगा।


खजूर के बारे में द्रव्यगुण विज्ञान नामक ग्रन्थ में बहुत विस्तार से उल्लेख है।


खजूर का संस्रिकृत श्लोक सहित सम्पूर्ण परिचय
====उर्वरक====


गण-श्रमहर, विरेचनोपग, मधुरस्कन्ध, कषायस्कन्ध, फलासव ( च० )। कुल-नारिकेल-कुल ( पामी-Palmae )। नाम--ले-फिनिक्स सिल्वेस्ट्रिस ( Phoenix sylvestris Roxb. ); सं०-खर्जूर; हि०-खजूर, बं०-खेजूरः म° गु०-खजूर, अ०-रुतबः फा-खुर्मा अं०-डेट (Date)।
==देखभाल==
यदि आप गर्म, धूप, शुष्क जलवायु में रहते हैं, तो आपके पास इस बड़े, सुंदर ताड़ के पेड़ की किस्म को उगाने के लिए सही परिस्थितियाँ हो सकती हैं। खजूर लगाते समय, यदि आपका उद्देश्य फल पैदा करना है, तो आपको नर और मादा दोनों पेड़ों की आवश्यकता होगी। अन्यथा, आप लम्बे, आलीशान पेड़ और उसके घने पत्ते का आनंद लेने के लिए एक खजूर लगा सकते हैं-बिना किसी फसल काटे। आमतौर पर अपनी हथेलियों को वसंत या पतझड़ में लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। खजूर के पेड़ों के लिए एक उपयुक्त स्थान चुनना महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें बहुत अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी और पूर्ण सूर्य के संपर्क की आवश्यकता होती है। खजूर के पेड़ों को धीमी गति से बढ़ने वाली प्रजाति माना जाता है, इसलिए इसे परिपक्वता तक पहुंचने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। यदि आप फल काटने की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको और भी अधिक धैर्य की आवश्यकता होगी क्योंकि किसी भी फल के उत्पादन में तीन से आठ साल तक का समय लग सकता है।


खजूर वृक्ष की पहचान एवं स्वरूप…-इसका वृक्ष ३०-५० फुट ऊँचा होता है। काण्ड-सरल धूसरवर्ण, लगभग ३ फुट मोटा होता है जिस पर पत्रवृन्त के स्थायी मूलभाग लगे रहते हैं ।
====रोपण====


खजूर पत्र या पत्ता…-१०-१५ फुट लम्बा, धूसरहरित, मूलभाग में कुछ कंटकी, पक्षवत् होते हैं । पत्र अनेक, रेखाकार, ६-१८ इञ्च लम्बे, लगभग १ इञ्च चौड़े, तीक्ष्णाग्र, अभिमुख क्रम से स्थित होते हैं।


खजूर का फूल या पुष्प….-एकलिंगी, अलग-अलग वृक्षों पर होते हैं । पुष्पध्वजों में छोटे, सुगन्धित पुप्प होते हैं। पुपुष्प श्वेत और स्त्रीपुष्प हरिताभ होते हैं । फलित पुष्पध्वज ३ फीट लंबा होता है जिसपर १-१३ इञ्च लंबे, अंडाकार, नारंगी पीतवर्ण, ( पकने पर रक्ताभ ) फल लगते हैं ।


खजूर फल के भीतर एक कठिन बीज १.७ मि० मी० लंबा, दोनों सिरों पर गोलाग्र तथा गभीरपरिखा युक्त होता है । ग्रीष्म में पुष्प तथा बाद में फल लगते हैं ।
====बाहर ले जाना====


खजूर के वृक्ष से एक प्रकार का रस निकलता है उसे नीरा ( खजूरी ) कहते हैं। कुछ काल तक रखने से यह मद्य में परिणत हो जाता है । रस से गुड़ भी बनाया जाता है ।


खजूर की जाति-यह दो प्रकार का होता है- (१) खर्जूर, (२) पिंडखजूर। पिंडखजूर का फल बड़ा, मांसल होता है।
====छंटाई====
खजूर की पत्तियाँ अतितीक्ष्णाग्र होती है। इसका लैटिन नाम P. dactylifera Linn. है । इसी का फल सूखने पर 'छुहाड़ा' (गोस्तन खजूर ) कहलाता है। इन्हीं तीनों को भावमिश्र ने 'खर्जूरत्रितय' कहा है!
भावप्रकाश ने सुलेमानी खजूर का भी उल्लेख किया है, जो इसी का कोई भेद हैं ।
राजनिघण्टु में खजूरी, पिण्डखजूरी, राजखर्जूरी, मधुखर्जूरी, भूखजूरी ये भेद बतलाये गये हैं।
भूखर्जुरी P. acaulis Roxb. या P. humilis Royle. है। P. paludosa Roxb. हिन्ताल है ( बं. उ. में इसे हिताल कहते हैं )
खजूर का उत्पत्तिस्थान…यह भारत में सर्वत्र होता है । पिण्डखजूर उत्तरी अफ्रिका, मिस्र, सीरिया और अरब का आदिवासी है । सम्प्रति पंजाब और सिन्धु में इसकी खेती की जाती है।


खजूर का रासायनिक संघटन….-फल में प्रोटीन १२, वसा ०४, कार्बोहाइड्रेट ३३ ८, सूत्र ३७, खनिज द्रव्य १७, कैलशियम ० ०२२ तथा फास्फोरस ०.३८% होता है।


खजूर के नीरा में विटामिन बी और सी पर्याप्त होता है। पिण्डखजूर में इसकी अपेक्षा पोषक तत्त्व अधिक होते है। पके पिण्डखजूर में ८५% तक शर्करा होती है ।


खजूर के गुण…स्निग्ध, गुरु विपाक-मधुर
====प्रसारण====


खजूर के कर्म दोषकर्म-यह वातपित्तशामक है ।


खजूर का रस…मधुर वीर्य-शीत -होता है।


संस्थानिक कर्म-बाह्य-इसका मूल वेदनास्थापन है ।द्रव्यगुण-विज्ञान
====कटाई ====


खजूर रक्तवहसंस्थान-ह्रदय दुर्बलता और रक्तपित्त में अधिक प्रयुक्त होता है।


श्वसनसंस्थान-उरःक्षत, कास, श्वास, हिक्का में खजूर की गुठली देते हैं।


खजूर फल प्रजननसंस्थान-शुक्रदोबल्य में दिया जाता है। मूत्रवहसंस्थान-मूत्रकृच्छ्र में खजूर अत्यंत लाभकर है । खजूर को बढ़े हुए तापक्रम -ज्वर और दाह में देते हैं।
====निराकरण (हटाना)    ====


खजूर थकावट, क्षय, शोथ में प्रयुक्त होता है। क्षयरोग में नीरा भी पिलाते हैं।


'खजूरीत्रितयं शीतं मधुरं रसपाकयो।।


स्निग्धं रुचिकर हचं सततयहरं गुरु ॥
====तापमान सम्बन्धी देखभाल    ====


तर्पणं रक्तपित्तन पुष्टिविष्टम्भशुक्रदम् ।
[[श्रेणी:पुष्प]]
 
[[श्रेणी:पादप]]
कोष्टमारुतहत् वायं बांतिवातकफापहम् ॥ ज्यरातिसारपुत्तृष्णाकासश्वासनिवारकम् । मदमूर्छाममपित्तमयोद्भूतमदान्तकृत् ॥' भावप्रकाश
[[श्रेणी:उद्यानिकी]]
 
खजूरीतरुतोयं तु मदपित्तकरं भवेत् ।
 
वातश्लेष्महरं रुच्यं दीपनं बलशुक्रकृत् ॥' (भा. प्र.)
 
( 'मधुरं बृहणं वृष्यं खर्जूरं गुरु शीतलम्।
 
क्षयेऽभिधाते दाहे च वातपित्ते च तद्वितम्॥ च. सू. २७)
 
'तक्षयापहं हृधं शीतलं तर्पणं गुरु।
 
रसे पाके च मधुरं खारं रक्तपित्तनुत्॥ ( सु. सू. ४६)
 
'दाहघ्नी मधुरात्रपित्तशमनी तृष्णार्तिदोषापहा,
 
शीता श्वासकफश्रमोदयहरा सन्तर्पणी पुष्टिदा। वह्वन्धिकरी गुरुर्विषहरा हृद्या च दत्ते बलं,
 
सिग्धा वीर्यविवर्धनी च कथिता पिडाख्यखजूरिका॥' (रा. नि.)
'घते खजुरमृहीकाशक
रामौत्रसंयुतम् । सपिप्पलीक वैस्वयंकासश्वासनिवईणम ॥
 
(च. चि.) 'खजूरमध्य मागध्यः । मधुद्वितीयाः कर्तव्याः ते हिक्कासु विजानता ॥' (सु.उ.५०)
 
'काथं खरपत्राणां सक्षौद्रमुषितं पीरवा
 
निवारयत्याशु क्रिमिसंघमशेषतः ॥' ( भै. र. )
 
खजूर की चटनी बनाने की विधि.. खजूर की चटनी घर पर बनाएं। इसे खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगती है ये खट्टी मीठी बनती है।
 
चटनी की सामग्री।
 
500 ग्राम खजूर
400ग्राम चीनी।
5 सूखी लाल मिर्च।
2 कली लहसुन।
जीरा, हींग भूना हुआ, नमक स्वादानुसार। अदरक या सौंठ 10 ग्राम, 100 ग्राम किशमिश।
नींबू का रस 20 ml
खजूर की चटनी निर्माण की विधि।
 
खजूर को धोकर उस में से गुठली। निकाल ले।
 
खजूर को पीस ले ,या बारीक काट ले।
 
अब इस में खजूर को छोड़ कर सभी सामग्री को मिला कर गाढ़ा होने तक पकाएं ।
 
जब चाशनी ठंडी हो जाए तब इस में खजूर को मिला दे।
 
ओर चीनी की जगह पर गुड़ का प्रयोग भी अच्छा रहता है।
 
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*''Palma dactylifera'' <small>(L.) Mill.</small>
*''Phoenix chevalieri'' <small>D.Rivera, S.Ríos & Obón</small>
*''Phoenix iberica'' <small>D.Rivera, S.Ríos & Obón</small>
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[[चित्र:Phoenix dactylifera2.jpg|thumb|right|300px|खजूर]]
'''खजूर''' (फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा) एक [[ताड़]] प्रजाति का वृक्ष है, जिसकी कृषि बड़े पैमाने पर इसके खाद्य [[फल]] के लिए की जाती है। चूँकि इसकी खेती बहुत पहले से हो रही है इसलिए इसका सटीक मूल स्थान तलाशना लगभग असंभव है, लेकिन जलवायु के परि इसकी अनुकूलता को देखते हुये कहा जा सकता है के इसका मूल शायद उत्तरी [[अफ़्रीका|अफ्रीका]] के किसी [[मरूद्यान|नख़लिस्तान]] या शायद दक्षिण पश्चिम [[एशिया]] में है। यह एक मध्यम आकार का [[वृक्ष|पेड़]] है और इसकी ऊँचाई 15-25 मीटर तक होती है, अक्सर कई तने एक ही मूल (जड़) प्रणाली से जुडे़ होते हैं पर यह अक्सर अकेले भी बढ़ते हैं।
 
[[File:Date Palm,.JPG|thumb|खजूर का वृक्ष , [[कालका]] ,[[हरियाणा ]],[[भारत]]]]
[[File:Date Palm ,Village Behlolpur,Punjab, India.JPG|thumb|खजूर का वृक्ष]]
 
==चित्रदीर्घा==
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Image:Sukkary date.jpg|Sukkary
Image:Dattes-Ammari.JPG|Ammari
Image:Tn Dates Angou.JPG|Angou
Image:Dattes arichti.JPG|Arichti
Image:1 Dattes Bejjou.JPG|Bejjou
Image:Dattes-Bisr.JPG|Bisr Helou
Image:Dattes Gounda.JPG|Gounda
Image:GousbiDates.JPG|Gousbi
Image:Dattes Hamraya branche.JPG|Branch of Hamraya dates
Image:HissaDates.JPG|Hissa
Image:HissaTNDates.JPG|Hissa
Image:Dattes Kenta.JPG|Kenta
Image:Dattes kentichi.JPG|Kentichi
Image:Dattes Lagou.JPG|Lagou
File:Dates Tozerzait.JPG|Touzerzayet from [[तूनिसीया|Tunisia]]
Image:Tn Dattes Trounja.JPG|Trounja
File:Date palm with fruits.jpg|Date palm with fruits at the Abdul Aziz Date Farm in [[Medina]].
File:Ripe and dry dates fruit bunches.jpg|Ripe and dry dates fruit bunches at the Khurram Abdullah Bajwa Date Farm in [[Medina]].
File:NRCSAZ02021 - Arizona (325)(NRCS Photo Gallery).jpg|Dates growing in [[Yuma, Arizona]]
File:Dates 2005-07-17 Algarve.jpg|Dates from [[Algarve]], [[Portugal]]
File:Rishon-LeZion-Gan-Moshava-0002.jpg|Palm Tree Boulevards in [[Rishon LeZion]]
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== सन्दर्भ ==
{{reflist|2}}
{{आधार}}
 
[[श्रेणी:फल]]
[[श्रेणी:उद्यान विज्ञान और बाग़बानी]]
[[श्रेणी:वृक्ष]]

१२:०३, १५ जुलाई २०२२ का अवतरण


साँचा:taxonomy
खजूर
Phoenix dactylifera0.jpg
Scientific classification
Binomial name
फीनिक्स डेक्टाइलिफेरा

खजूर की प्रभावशाली उपस्थिति होती है। इसमें शाही पत्ते, एक मोटी सूंड और मीठे फलों के बड़े गुच्छे हैं, जो इसे आपके बगीचे के लिए एक शानदार अतिरिक्त बनाते हैं। खजूर 80 फीट ऊंचा और 40 फीट चौड़ा हो सकता है, जिसमें बड़े, फैले हुए, हरे पत्ते अपने चरम पर होते हैं। फूल आने पर, यह पेड़ हल्के पीले फूलों के गुच्छों का उत्पादन करता है जो खजूर के प्रसिद्ध समूहों में बदल जाते हैं। हालांकि धीमी गति से बढ़ने वाली, ये हथेलियां उन लोगों को बड़ा पुरस्कार देती हैं जो उनकी देखभाल करने में धैर्यवान और मेहनती होते हैं।

नाम और वर्गीकरण

यह का एक प्रकार है।इसके अन्य नाम है।इसका वानस्पतिक नाम फीनिक्स डेक्टाइलिफेरा है।यह परिवार का सदस्य है।====नाम की उत्पत्ति====

पहचान

मूल क्षेत्र

खजूर का मूल क्षेत्र है।

उगाना

किस्म

परिदृश्य

वातावरण से संबंधित जरूरतें

इष्टतम प्रकाश

अनुकूल भूमि

अनुकूल तापमान

इष्टतम पानी

पात्र

उर्वरक

देखभाल

यदि आप गर्म, धूप, शुष्क जलवायु में रहते हैं, तो आपके पास इस बड़े, सुंदर ताड़ के पेड़ की किस्म को उगाने के लिए सही परिस्थितियाँ हो सकती हैं। खजूर लगाते समय, यदि आपका उद्देश्य फल पैदा करना है, तो आपको नर और मादा दोनों पेड़ों की आवश्यकता होगी। अन्यथा, आप लम्बे, आलीशान पेड़ और उसके घने पत्ते का आनंद लेने के लिए एक खजूर लगा सकते हैं-बिना किसी फसल काटे। आमतौर पर अपनी हथेलियों को वसंत या पतझड़ में लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। खजूर के पेड़ों के लिए एक उपयुक्त स्थान चुनना महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें बहुत अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी और पूर्ण सूर्य के संपर्क की आवश्यकता होती है। खजूर के पेड़ों को धीमी गति से बढ़ने वाली प्रजाति माना जाता है, इसलिए इसे परिपक्वता तक पहुंचने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। यदि आप फल काटने की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको और भी अधिक धैर्य की आवश्यकता होगी क्योंकि किसी भी फल के उत्पादन में तीन से आठ साल तक का समय लग सकता है।

रोपण

बाहर ले जाना

छंटाई

प्रसारण

कटाई

निराकरण (हटाना)

तापमान सम्बन्धी देखभाल