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amrutam अमृतमपत्रिका, ग्वालियर | |||
खजूर खाने से क्या लाभ है। | |||
क्या खजूर सबको खाना चाहिए?.. | |||
क्या खजूर खाने से मर्दांग्नि भी बढ़ती है। | |||
खजूर के बारे में आयुर्वेद के किस ग्रन्थ में उल्लेख है। | |||
खजूर का संस्कृत मन्त्र या श्लोक किस किताब में लिखा है। | |||
खजूर की चटनी कैसे बनाएं?.. | |||
खजूर | |||
खजूर 50 से अधिक फायदे जानकर शरूर आ जायेगा। | |||
खजूर की बनी शराब पीने से चेहरे पर शबाब आ जाता है। | |||
खजूर दूध के साथ खाने से मोटापा बढ़ता है और पानी के साथ लें, तो चर्बी घटाता है। | |||
खजूर जरूर खाऐं, क्योंकि…खजूर खाने से पेट की खराबी, कब्ज की शिकायत दूर होती है और लिवर, इम्यून सिस्टम होता है मजबूत। | |||
खजूर उदर रोगों को चकनाचूर कर देता है। नियमित खजूर खाने वाले लोग कभी किसी चिकित्सक की जी हजूरी नहीं करते। | |||
खजूर के पेड़ जिस जगह ज्यादा लगे होतें है, वहाँ आंखों में रतोन्दी रोग नहीं होता। नेत्रज्योति भी बढ़ाता है खजूर। | |||
खजूर एक एंटी-एजिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह बुढापा रोकने में मददगार है। | |||
खजूर खाने से कैलोरी और मिठास शरीर को एनर्जी प्रदान करती है। | |||
खजूर कब्ज का शर्तिया इलाज है | |||
खजूर हड्डी को ताकत देता है। | |||
खजूर वात रोग तथा ग्रन्थिशोथ यानी थायराइड दूर करता है। | |||
खजूर, मजबूर मरीज को स्वस्थ्य करने में सहायक है। | |||
स्वस्थ तंत्रिका तंत्र को बनाए रखता है | |||
खजूर का सेवन करने से चेहरे पर चमक आती है। | |||
खजूर बालों को स्वस्थ रखता है | |||
बवासीर से पीड़ित प्राणियों के लिए खजूर अमृत है। | |||
अल्लाह की इबादत के लिए मुस्लिम धर्म के लोग खजूर की गुठली से जप करते हैं। | |||
रोजा खोलते वक्त हरेक मुसलमान सबसे पहले खजूर का सेवन करते हैं, फिर रोजा खोलते हैं। | |||
स्कंदपुराण के अनुसार राहु की शांति के लिए गुरुवार को खजूर अर्पित करने से राहु का प्रकोप कम होता है। | |||
खजूर फल नाडीसंस्थान-नाडीबलदायक, मस्तिष्कशामक और वातहर है। | |||
खजूर पाचनसंस्थान को ताकत देता है। | |||
खजूर स्नेहन, अनुलोमन और स्तम्भन है। | |||
खजूर अधिक खाने से विष्टम्भी है। | |||
खजूर के पत्ते पेट के कीड़े मरते हैं यानि कृमिघ्न है। | |||
खजूर- रक्तवहसंस्थान और रक्तपित्तशामक है! | |||
खजूर-श्वसनसंस्थान -कफनिःसारक है! | |||
खजूर महिलाओं के प्रजननसंस्थान को ठीक करता है। | |||
खजूर -वृष्य है। | |||
खजूर सात्मीकरण-श्रमहर बल्य और बृंहण है। | |||
खजूर का नीरा एवं गुड़ भी बल्य है। | |||
खजूर का ताजा नीरा बल्य, वृष्य और मूत्रल है | |||
खजूर से शराब बनती है। यह मद्य होने पर दीपन, पाचन और उत्तेजक होता है। | |||
खजूर खाने से पेशाब खुलकर आत्य है यानी मूत्रवहसंस्थान-मूत्रल है । | |||
खजूर-देह के तापक्रम-ज्वरघ्न, दाहप्रशमन को सन्तुलित करता है। | |||
खजूर के अन्य प्रयोग तथा दोषप्रयोग-यह वातपत्तिक विकारों में प्रयुक्त होता है। | |||
खजूर के संस्थानिक प्रयोग-बाह्य-दन्तशूल में इसके मूल के क्वाथ से कुल्ला करते हैं या मूलचूर्ण लगाते हैं। | |||
खजूर-नाडीसंस्थान-मूर्छा, भ्रम, मदात्यय, मस्तिष्कदौर्बल्य तथा कटिशूल, गृध्रसी आदि वातविकारों में खजूर चमत्कारी रूप से लाभदायक होता है । | |||
पका हुआ खजूर पाचनसंस्थान-तृष्णा, छदि, कोष्ठगत वात तथा अतिसार में देते हैं । | |||
पेट की पुरानी तकलीफ मिटायें-खजूर…शरीर को रोग रहित, स्वस्थ्य,तंदरुस्त, शक्ति-सम्पन्न, एनर्जिक बनाने के लिए घरेलू उपचार करें- | |||
पिंड खजूर, मुनक्का, ८-८ नग, अंजीर, एक, हरड़ छोटी-4 नग, जीरा, धनिया, अजवायन, मेथीदाना, गुलाब फूल, कालीमिर्च, सौफ सभी 1–1 ग्राम 500 ml पानी में रात को जलाकर, छानें। फिर इसमें सेंधानमक, कालानमक दोनों 1–1 ग्राम मिलाकर सुबह खाली पेट 1 महीने तक पियें। इससे पेट के सभी विकार पखाने द्वारा साफ हो जाएंगे। | |||
यह ओषधि किराने या आयुर्वेद की दुकान या पंसारी से आसानी से मिल जाएगा। | |||
खजूर के बारे में द्रव्यगुण विज्ञान नामक ग्रन्थ में बहुत विस्तार से उल्लेख है। | |||
खजूर का संस्रिकृत श्लोक सहित सम्पूर्ण परिचय | |||
गण-श्रमहर, विरेचनोपग, मधुरस्कन्ध, कषायस्कन्ध, फलासव ( च० )। कुल-नारिकेल-कुल ( पामी-Palmae )। नाम--ले-फिनिक्स सिल्वेस्ट्रिस ( Phoenix sylvestris Roxb. ); सं०-खर्जूर; हि०-खजूर, बं०-खेजूरः म° गु०-खजूर, अ०-रुतबः फा-खुर्मा अं०-डेट (Date)। | |||
खजूर वृक्ष की पहचान एवं स्वरूप…-इसका वृक्ष ३०-५० फुट ऊँचा होता है। काण्ड-सरल धूसरवर्ण, लगभग ३ फुट मोटा होता है जिस पर पत्रवृन्त के स्थायी मूलभाग लगे रहते हैं । | |||
खजूर पत्र या पत्ता…-१०-१५ फुट लम्बा, धूसरहरित, मूलभाग में कुछ कंटकी, पक्षवत् होते हैं । पत्र अनेक, रेखाकार, ६-१८ इञ्च लम्बे, लगभग १ इञ्च चौड़े, तीक्ष्णाग्र, अभिमुख क्रम से स्थित होते हैं। | |||
खजूर का फूल या पुष्प….-एकलिंगी, अलग-अलग वृक्षों पर होते हैं । पुष्पध्वजों में छोटे, सुगन्धित पुप्प होते हैं। पुपुष्प श्वेत और स्त्रीपुष्प हरिताभ होते हैं । फलित पुष्पध्वज ३ फीट लंबा होता है जिसपर १-१३ इञ्च लंबे, अंडाकार, नारंगी पीतवर्ण, ( पकने पर रक्ताभ ) फल लगते हैं । | |||
खजूर फल के भीतर एक कठिन बीज १.७ मि० मी० लंबा, दोनों सिरों पर गोलाग्र तथा गभीरपरिखा युक्त होता है । ग्रीष्म में पुष्प तथा बाद में फल लगते हैं । | |||
खजूर के वृक्ष से एक प्रकार का रस निकलता है उसे नीरा ( खजूरी ) कहते हैं। कुछ काल तक रखने से यह मद्य में परिणत हो जाता है । रस से गुड़ भी बनाया जाता है । | |||
खजूर की जाति-यह दो प्रकार का होता है- (१) खर्जूर, (२) पिंडखजूर। पिंडखजूर का फल बड़ा, मांसल होता है। | |||
खजूर की पत्तियाँ अतितीक्ष्णाग्र होती है। इसका लैटिन नाम P. dactylifera Linn. है । इसी का फल सूखने पर 'छुहाड़ा' (गोस्तन खजूर ) कहलाता है। इन्हीं तीनों को भावमिश्र ने 'खर्जूरत्रितय' कहा है! | |||
भावप्रकाश ने सुलेमानी खजूर का भी उल्लेख किया है, जो इसी का कोई भेद हैं । | |||
राजनिघण्टु में खजूरी, पिण्डखजूरी, राजखर्जूरी, मधुखर्जूरी, भूखजूरी ये भेद बतलाये गये हैं। | |||
भूखर्जुरी P. acaulis Roxb. या P. humilis Royle. है। P. paludosa Roxb. हिन्ताल है ( बं. उ. में इसे हिताल कहते हैं ) | |||
खजूर का उत्पत्तिस्थान…यह भारत में सर्वत्र होता है । पिण्डखजूर उत्तरी अफ्रिका, मिस्र, सीरिया और अरब का आदिवासी है । सम्प्रति पंजाब और सिन्धु में इसकी खेती की जाती है। | |||
खजूर का रासायनिक संघटन….-फल में प्रोटीन १२, वसा ०४, कार्बोहाइड्रेट ३३ ८, सूत्र ३७, खनिज द्रव्य १७, कैलशियम ० ०२२ तथा फास्फोरस ०.३८% होता है। | |||
खजूर के नीरा में विटामिन बी और सी पर्याप्त होता है। पिण्डखजूर में इसकी अपेक्षा पोषक तत्त्व अधिक होते है। पके पिण्डखजूर में ८५% तक शर्करा होती है । | |||
खजूर के गुण…स्निग्ध, गुरु विपाक-मधुर | |||
खजूर के कर्म दोषकर्म-यह वातपित्तशामक है । | |||
खजूर का रस…मधुर वीर्य-शीत -होता है। | |||
संस्थानिक कर्म-बाह्य-इसका मूल वेदनास्थापन है ।द्रव्यगुण-विज्ञान | |||
खजूर रक्तवहसंस्थान-ह्रदय दुर्बलता और रक्तपित्त में अधिक प्रयुक्त होता है। | |||
श्वसनसंस्थान-उरःक्षत, कास, श्वास, हिक्का में खजूर की गुठली देते हैं। | |||
खजूर फल प्रजननसंस्थान-शुक्रदोबल्य में दिया जाता है। मूत्रवहसंस्थान-मूत्रकृच्छ्र में खजूर अत्यंत लाभकर है । खजूर को बढ़े हुए तापक्रम -ज्वर और दाह में देते हैं। | |||
खजूर थकावट, क्षय, शोथ में प्रयुक्त होता है। क्षयरोग में नीरा भी पिलाते हैं। | |||
'खजूरीत्रितयं शीतं मधुरं रसपाकयो।। | |||
स्निग्धं रुचिकर हचं सततयहरं गुरु ॥ | |||
[[श्रेणी: | तर्पणं रक्तपित्तन पुष्टिविष्टम्भशुक्रदम् । | ||
[[श्रेणी: | |||
[[श्रेणी: | कोष्टमारुतहत् वायं बांतिवातकफापहम् ॥ ज्यरातिसारपुत्तृष्णाकासश्वासनिवारकम् । मदमूर्छाममपित्तमयोद्भूतमदान्तकृत् ॥' भावप्रकाश | ||
खजूरीतरुतोयं तु मदपित्तकरं भवेत् । | |||
वातश्लेष्महरं रुच्यं दीपनं बलशुक्रकृत् ॥' (भा. प्र.) | |||
( 'मधुरं बृहणं वृष्यं खर्जूरं गुरु शीतलम्। | |||
क्षयेऽभिधाते दाहे च वातपित्ते च तद्वितम्॥ च. सू. २७) | |||
'तक्षयापहं हृधं शीतलं तर्पणं गुरु। | |||
रसे पाके च मधुरं खारं रक्तपित्तनुत्॥ ( सु. सू. ४६) | |||
'दाहघ्नी मधुरात्रपित्तशमनी तृष्णार्तिदोषापहा, | |||
शीता श्वासकफश्रमोदयहरा सन्तर्पणी पुष्टिदा। वह्वन्धिकरी गुरुर्विषहरा हृद्या च दत्ते बलं, | |||
सिग्धा वीर्यविवर्धनी च कथिता पिडाख्यखजूरिका॥' (रा. नि.) | |||
'घते खजुरमृहीकाशक | |||
रामौत्रसंयुतम् । सपिप्पलीक वैस्वयंकासश्वासनिवईणम ॥ | |||
(च. चि.) 'खजूरमध्य मागध्यः । मधुद्वितीयाः कर्तव्याः ते हिक्कासु विजानता ॥' (सु.उ.५०) | |||
'काथं खरपत्राणां सक्षौद्रमुषितं पीरवा | |||
निवारयत्याशु क्रिमिसंघमशेषतः ॥' ( भै. र. ) | |||
खजूर की चटनी बनाने की विधि.. खजूर की चटनी घर पर बनाएं। इसे खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगती है ये खट्टी मीठी बनती है। | |||
चटनी की सामग्री। | |||
500 ग्राम खजूर | |||
400ग्राम चीनी। | |||
5 सूखी लाल मिर्च। | |||
2 कली लहसुन। | |||
जीरा, हींग भूना हुआ, नमक स्वादानुसार। अदरक या सौंठ 10 ग्राम, 100 ग्राम किशमिश। | |||
नींबू का रस 20 ml | |||
खजूर की चटनी निर्माण की विधि। | |||
खजूर को धोकर उस में से गुठली। निकाल ले। | |||
खजूर को पीस ले ,या बारीक काट ले। | |||
अब इस में खजूर को छोड़ कर सभी सामग्री को मिला कर गाढ़ा होने तक पकाएं । | |||
जब चाशनी ठंडी हो जाए तब इस में खजूर को मिला दे। | |||
ओर चीनी की जगह पर गुड़ का प्रयोग भी अच्छा रहता है। | |||
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|name = ''खजूर''<br>''Phoenix dactylifera'' | |||
|image = Dates on date palm.jpg | |||
|image_caption = Dates on date palm | |||
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|binomial_authority = [[Carl Linnaeus|L.]] | |||
|synonyms_ref=<ref>[http://www.theplantlist.org/tpl1.1/record/kew-152659 The Plant List, ''Phoenix dactylifera'' L. ]</ref> | |||
|synonyms= | |||
*''Palma dactylifera'' <small>(L.) Mill.</small> | |||
*''Phoenix chevalieri'' <small>D.Rivera, S.Ríos & Obón</small> | |||
*''Phoenix iberica'' <small>D.Rivera, S.Ríos & Obón</small> | |||
}} | |||
[[चित्र:Phoenix dactylifera2.jpg|thumb|right|300px|खजूर]] | |||
'''खजूर''' (फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा) एक [[ताड़]] प्रजाति का वृक्ष है, जिसकी कृषि बड़े पैमाने पर इसके खाद्य [[फल]] के लिए की जाती है। चूँकि इसकी खेती बहुत पहले से हो रही है इसलिए इसका सटीक मूल स्थान तलाशना लगभग असंभव है, लेकिन जलवायु के परि इसकी अनुकूलता को देखते हुये कहा जा सकता है के इसका मूल शायद उत्तरी [[अफ़्रीका|अफ्रीका]] के किसी [[मरूद्यान|नख़लिस्तान]] या शायद दक्षिण पश्चिम [[एशिया]] में है। यह एक मध्यम आकार का [[वृक्ष|पेड़]] है और इसकी ऊँचाई 15-25 मीटर तक होती है, अक्सर कई तने एक ही मूल (जड़) प्रणाली से जुडे़ होते हैं पर यह अक्सर अकेले भी बढ़ते हैं। | |||
[[File:Date Palm,.JPG|thumb|खजूर का वृक्ष , [[कालका]] ,[[हरियाणा ]],[[भारत]]]] | |||
[[File:Date Palm ,Village Behlolpur,Punjab, India.JPG|thumb|खजूर का वृक्ष]] | |||
==चित्रदीर्घा== | |||
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Image:Sukkary date.jpg|Sukkary | |||
Image:Dattes-Ammari.JPG|Ammari | |||
Image:Tn Dates Angou.JPG|Angou | |||
Image:Dattes arichti.JPG|Arichti | |||
Image:1 Dattes Bejjou.JPG|Bejjou | |||
Image:Dattes-Bisr.JPG|Bisr Helou | |||
Image:Dattes Gounda.JPG|Gounda | |||
Image:GousbiDates.JPG|Gousbi | |||
Image:Dattes Hamraya branche.JPG|Branch of Hamraya dates | |||
Image:HissaDates.JPG|Hissa | |||
Image:HissaTNDates.JPG|Hissa | |||
Image:Dattes Kenta.JPG|Kenta | |||
Image:Dattes kentichi.JPG|Kentichi | |||
Image:Dattes Lagou.JPG|Lagou | |||
File:Dates Tozerzait.JPG|Touzerzayet from [[तूनिसीया|Tunisia]] | |||
Image:Tn Dattes Trounja.JPG|Trounja | |||
File:Date palm with fruits.jpg|Date palm with fruits at the Abdul Aziz Date Farm in [[Medina]]. | |||
File:Ripe and dry dates fruit bunches.jpg|Ripe and dry dates fruit bunches at the Khurram Abdullah Bajwa Date Farm in [[Medina]]. | |||
File:NRCSAZ02021 - Arizona (325)(NRCS Photo Gallery).jpg|Dates growing in [[Yuma, Arizona]] | |||
File:Dates 2005-07-17 Algarve.jpg|Dates from [[Algarve]], [[Portugal]] | |||
File:Rishon-LeZion-Gan-Moshava-0002.jpg|Palm Tree Boulevards in [[Rishon LeZion]] | |||
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== सन्दर्भ == | |||
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{{आधार}} | |||
[[श्रेणी:फल]] | |||
[[श्रेणी:उद्यान विज्ञान और बाग़बानी]] | |||
[[श्रेणी:वृक्ष]] |
१७:१६, २४ जून २०२२ का अवतरण
amrutam अमृतमपत्रिका, ग्वालियर
खजूर खाने से क्या लाभ है।
क्या खजूर सबको खाना चाहिए?..
क्या खजूर खाने से मर्दांग्नि भी बढ़ती है।
खजूर के बारे में आयुर्वेद के किस ग्रन्थ में उल्लेख है।
खजूर का संस्कृत मन्त्र या श्लोक किस किताब में लिखा है।
खजूर की चटनी कैसे बनाएं?..
खजूर 50 से अधिक फायदे जानकर शरूर आ जायेगा।
खजूर की बनी शराब पीने से चेहरे पर शबाब आ जाता है। खजूर दूध के साथ खाने से मोटापा बढ़ता है और पानी के साथ लें, तो चर्बी घटाता है।
खजूर जरूर खाऐं, क्योंकि…खजूर खाने से पेट की खराबी, कब्ज की शिकायत दूर होती है और लिवर, इम्यून सिस्टम होता है मजबूत।
खजूर उदर रोगों को चकनाचूर कर देता है। नियमित खजूर खाने वाले लोग कभी किसी चिकित्सक की जी हजूरी नहीं करते।
खजूर के पेड़ जिस जगह ज्यादा लगे होतें है, वहाँ आंखों में रतोन्दी रोग नहीं होता। नेत्रज्योति भी बढ़ाता है खजूर।
खजूर एक एंटी-एजिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह बुढापा रोकने में मददगार है।
खजूर खाने से कैलोरी और मिठास शरीर को एनर्जी प्रदान करती है।
खजूर कब्ज का शर्तिया इलाज है खजूर हड्डी को ताकत देता है।
खजूर वात रोग तथा ग्रन्थिशोथ यानी थायराइड दूर करता है।
खजूर, मजबूर मरीज को स्वस्थ्य करने में सहायक है।
स्वस्थ तंत्रिका तंत्र को बनाए रखता है खजूर का सेवन करने से चेहरे पर चमक आती है। खजूर बालों को स्वस्थ रखता है बवासीर से पीड़ित प्राणियों के लिए खजूर अमृत है। अल्लाह की इबादत के लिए मुस्लिम धर्म के लोग खजूर की गुठली से जप करते हैं। रोजा खोलते वक्त हरेक मुसलमान सबसे पहले खजूर का सेवन करते हैं, फिर रोजा खोलते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार राहु की शांति के लिए गुरुवार को खजूर अर्पित करने से राहु का प्रकोप कम होता है। खजूर फल नाडीसंस्थान-नाडीबलदायक, मस्तिष्कशामक और वातहर है। खजूर पाचनसंस्थान को ताकत देता है। खजूर स्नेहन, अनुलोमन और स्तम्भन है। खजूर अधिक खाने से विष्टम्भी है। खजूर के पत्ते पेट के कीड़े मरते हैं यानि कृमिघ्न है। खजूर- रक्तवहसंस्थान और रक्तपित्तशामक है! खजूर-श्वसनसंस्थान -कफनिःसारक है! खजूर महिलाओं के प्रजननसंस्थान को ठीक करता है। खजूर -वृष्य है। खजूर सात्मीकरण-श्रमहर बल्य और बृंहण है। खजूर का नीरा एवं गुड़ भी बल्य है। खजूर का ताजा नीरा बल्य, वृष्य और मूत्रल है खजूर से शराब बनती है। यह मद्य होने पर दीपन, पाचन और उत्तेजक होता है। खजूर खाने से पेशाब खुलकर आत्य है यानी मूत्रवहसंस्थान-मूत्रल है । खजूर-देह के तापक्रम-ज्वरघ्न, दाहप्रशमन को सन्तुलित करता है। खजूर के अन्य प्रयोग तथा दोषप्रयोग-यह वातपत्तिक विकारों में प्रयुक्त होता है। खजूर के संस्थानिक प्रयोग-बाह्य-दन्तशूल में इसके मूल के क्वाथ से कुल्ला करते हैं या मूलचूर्ण लगाते हैं। खजूर-नाडीसंस्थान-मूर्छा, भ्रम, मदात्यय, मस्तिष्कदौर्बल्य तथा कटिशूल, गृध्रसी आदि वातविकारों में खजूर चमत्कारी रूप से लाभदायक होता है । पका हुआ खजूर पाचनसंस्थान-तृष्णा, छदि, कोष्ठगत वात तथा अतिसार में देते हैं । पेट की पुरानी तकलीफ मिटायें-खजूर…शरीर को रोग रहित, स्वस्थ्य,तंदरुस्त, शक्ति-सम्पन्न, एनर्जिक बनाने के लिए घरेलू उपचार करें-
पिंड खजूर, मुनक्का, ८-८ नग, अंजीर, एक, हरड़ छोटी-4 नग, जीरा, धनिया, अजवायन, मेथीदाना, गुलाब फूल, कालीमिर्च, सौफ सभी 1–1 ग्राम 500 ml पानी में रात को जलाकर, छानें। फिर इसमें सेंधानमक, कालानमक दोनों 1–1 ग्राम मिलाकर सुबह खाली पेट 1 महीने तक पियें। इससे पेट के सभी विकार पखाने द्वारा साफ हो जाएंगे। यह ओषधि किराने या आयुर्वेद की दुकान या पंसारी से आसानी से मिल जाएगा।
खजूर के बारे में द्रव्यगुण विज्ञान नामक ग्रन्थ में बहुत विस्तार से उल्लेख है।
खजूर का संस्रिकृत श्लोक सहित सम्पूर्ण परिचय
गण-श्रमहर, विरेचनोपग, मधुरस्कन्ध, कषायस्कन्ध, फलासव ( च० )। कुल-नारिकेल-कुल ( पामी-Palmae )। नाम--ले-फिनिक्स सिल्वेस्ट्रिस ( Phoenix sylvestris Roxb. ); सं०-खर्जूर; हि०-खजूर, बं०-खेजूरः म° गु०-खजूर, अ०-रुतबः फा-खुर्मा अं०-डेट (Date)।
खजूर वृक्ष की पहचान एवं स्वरूप…-इसका वृक्ष ३०-५० फुट ऊँचा होता है। काण्ड-सरल धूसरवर्ण, लगभग ३ फुट मोटा होता है जिस पर पत्रवृन्त के स्थायी मूलभाग लगे रहते हैं ।
खजूर पत्र या पत्ता…-१०-१५ फुट लम्बा, धूसरहरित, मूलभाग में कुछ कंटकी, पक्षवत् होते हैं । पत्र अनेक, रेखाकार, ६-१८ इञ्च लम्बे, लगभग १ इञ्च चौड़े, तीक्ष्णाग्र, अभिमुख क्रम से स्थित होते हैं।
खजूर का फूल या पुष्प….-एकलिंगी, अलग-अलग वृक्षों पर होते हैं । पुष्पध्वजों में छोटे, सुगन्धित पुप्प होते हैं। पुपुष्प श्वेत और स्त्रीपुष्प हरिताभ होते हैं । फलित पुष्पध्वज ३ फीट लंबा होता है जिसपर १-१३ इञ्च लंबे, अंडाकार, नारंगी पीतवर्ण, ( पकने पर रक्ताभ ) फल लगते हैं ।
खजूर फल के भीतर एक कठिन बीज १.७ मि० मी० लंबा, दोनों सिरों पर गोलाग्र तथा गभीरपरिखा युक्त होता है । ग्रीष्म में पुष्प तथा बाद में फल लगते हैं ।
खजूर के वृक्ष से एक प्रकार का रस निकलता है उसे नीरा ( खजूरी ) कहते हैं। कुछ काल तक रखने से यह मद्य में परिणत हो जाता है । रस से गुड़ भी बनाया जाता है ।
खजूर की जाति-यह दो प्रकार का होता है- (१) खर्जूर, (२) पिंडखजूर। पिंडखजूर का फल बड़ा, मांसल होता है। खजूर की पत्तियाँ अतितीक्ष्णाग्र होती है। इसका लैटिन नाम P. dactylifera Linn. है । इसी का फल सूखने पर 'छुहाड़ा' (गोस्तन खजूर ) कहलाता है। इन्हीं तीनों को भावमिश्र ने 'खर्जूरत्रितय' कहा है! भावप्रकाश ने सुलेमानी खजूर का भी उल्लेख किया है, जो इसी का कोई भेद हैं । राजनिघण्टु में खजूरी, पिण्डखजूरी, राजखर्जूरी, मधुखर्जूरी, भूखजूरी ये भेद बतलाये गये हैं। भूखर्जुरी P. acaulis Roxb. या P. humilis Royle. है। P. paludosa Roxb. हिन्ताल है ( बं. उ. में इसे हिताल कहते हैं ) खजूर का उत्पत्तिस्थान…यह भारत में सर्वत्र होता है । पिण्डखजूर उत्तरी अफ्रिका, मिस्र, सीरिया और अरब का आदिवासी है । सम्प्रति पंजाब और सिन्धु में इसकी खेती की जाती है।
खजूर का रासायनिक संघटन….-फल में प्रोटीन १२, वसा ०४, कार्बोहाइड्रेट ३३ ८, सूत्र ३७, खनिज द्रव्य १७, कैलशियम ० ०२२ तथा फास्फोरस ०.३८% होता है।
खजूर के नीरा में विटामिन बी और सी पर्याप्त होता है। पिण्डखजूर में इसकी अपेक्षा पोषक तत्त्व अधिक होते है। पके पिण्डखजूर में ८५% तक शर्करा होती है ।
खजूर के गुण…स्निग्ध, गुरु विपाक-मधुर
खजूर के कर्म दोषकर्म-यह वातपित्तशामक है ।
खजूर का रस…मधुर वीर्य-शीत -होता है।
संस्थानिक कर्म-बाह्य-इसका मूल वेदनास्थापन है ।द्रव्यगुण-विज्ञान
खजूर रक्तवहसंस्थान-ह्रदय दुर्बलता और रक्तपित्त में अधिक प्रयुक्त होता है।
श्वसनसंस्थान-उरःक्षत, कास, श्वास, हिक्का में खजूर की गुठली देते हैं।
खजूर फल प्रजननसंस्थान-शुक्रदोबल्य में दिया जाता है। मूत्रवहसंस्थान-मूत्रकृच्छ्र में खजूर अत्यंत लाभकर है । खजूर को बढ़े हुए तापक्रम -ज्वर और दाह में देते हैं।
खजूर थकावट, क्षय, शोथ में प्रयुक्त होता है। क्षयरोग में नीरा भी पिलाते हैं।
'खजूरीत्रितयं शीतं मधुरं रसपाकयो।।
स्निग्धं रुचिकर हचं सततयहरं गुरु ॥
तर्पणं रक्तपित्तन पुष्टिविष्टम्भशुक्रदम् ।
कोष्टमारुतहत् वायं बांतिवातकफापहम् ॥ ज्यरातिसारपुत्तृष्णाकासश्वासनिवारकम् । मदमूर्छाममपित्तमयोद्भूतमदान्तकृत् ॥' भावप्रकाश
खजूरीतरुतोयं तु मदपित्तकरं भवेत् ।
वातश्लेष्महरं रुच्यं दीपनं बलशुक्रकृत् ॥' (भा. प्र.)
( 'मधुरं बृहणं वृष्यं खर्जूरं गुरु शीतलम्।
क्षयेऽभिधाते दाहे च वातपित्ते च तद्वितम्॥ च. सू. २७)
'तक्षयापहं हृधं शीतलं तर्पणं गुरु।
रसे पाके च मधुरं खारं रक्तपित्तनुत्॥ ( सु. सू. ४६)
'दाहघ्नी मधुरात्रपित्तशमनी तृष्णार्तिदोषापहा,
शीता श्वासकफश्रमोदयहरा सन्तर्पणी पुष्टिदा। वह्वन्धिकरी गुरुर्विषहरा हृद्या च दत्ते बलं,
सिग्धा वीर्यविवर्धनी च कथिता पिडाख्यखजूरिका॥' (रा. नि.) 'घते खजुरमृहीकाशक रामौत्रसंयुतम् । सपिप्पलीक वैस्वयंकासश्वासनिवईणम ॥
(च. चि.) 'खजूरमध्य मागध्यः । मधुद्वितीयाः कर्तव्याः ते हिक्कासु विजानता ॥' (सु.उ.५०)
'काथं खरपत्राणां सक्षौद्रमुषितं पीरवा
निवारयत्याशु क्रिमिसंघमशेषतः ॥' ( भै. र. )
खजूर की चटनी बनाने की विधि.. खजूर की चटनी घर पर बनाएं। इसे खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगती है ये खट्टी मीठी बनती है।
चटनी की सामग्री।
500 ग्राम खजूर 400ग्राम चीनी। 5 सूखी लाल मिर्च। 2 कली लहसुन।
जीरा, हींग भूना हुआ, नमक स्वादानुसार। अदरक या सौंठ 10 ग्राम, 100 ग्राम किशमिश।
नींबू का रस 20 ml खजूर की चटनी निर्माण की विधि।
खजूर को धोकर उस में से गुठली। निकाल ले।
खजूर को पीस ले ,या बारीक काट ले।
अब इस में खजूर को छोड़ कर सभी सामग्री को मिला कर गाढ़ा होने तक पकाएं ।
जब चाशनी ठंडी हो जाए तब इस में खजूर को मिला दे।
ओर चीनी की जगह पर गुड़ का प्रयोग भी अच्छा रहता है।
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खजूर (फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा) एक ताड़ प्रजाति का वृक्ष है, जिसकी कृषि बड़े पैमाने पर इसके खाद्य फल के लिए की जाती है। चूँकि इसकी खेती बहुत पहले से हो रही है इसलिए इसका सटीक मूल स्थान तलाशना लगभग असंभव है, लेकिन जलवायु के परि इसकी अनुकूलता को देखते हुये कहा जा सकता है के इसका मूल शायद उत्तरी अफ्रीका के किसी नख़लिस्तान या शायद दक्षिण पश्चिम एशिया में है। यह एक मध्यम आकार का पेड़ है और इसकी ऊँचाई 15-25 मीटर तक होती है, अक्सर कई तने एक ही मूल (जड़) प्रणाली से जुडे़ होते हैं पर यह अक्सर अकेले भी बढ़ते हैं।
चित्रदीर्घा
Touzerzayet from Tunisia
Date palm with fruits at the Abdul Aziz Date Farm in Medina.
Ripe and dry dates fruit bunches at the Khurram Abdullah Bajwa Date Farm in Medina.
Dates growing in Yuma, Arizona
Palm Tree Boulevards in Rishon LeZion