"क्लोरीन" के अवतरणों में अंतर

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{{आज का आलेख}}{{ज्ञानसन्दूक क्लोरीन}}
'''क्लोरीन''' ([[यूनानी भाषा|यूनानी]]: χλωρóς (''ख्लोरोस''), 'फीका हरा') एक [[रासायनिक तत्व]] है, जिसकी [[परमाणु क्रमांक|परमाणु संख्या]] १७ तथा संकेत '''Cl''' है। ऋणात्मक आयन क्लोराइड के रूप में यह साधारण [[साधारण नमक|नमक]] में उपस्थित होती है और सागर के जल में घुले लवण में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-120047.html क्लोरीन] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150919185608/http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-120047.html |date=19 सितंबर 2015 }}। हिन्दुस्तान लाइव। ३१ मई २०१०</ref> सामान्य [[तापमान]] और [[दाब]] पर क्लोरीन (Cl<sub>2</sub> या "डाईक्लोरीन") [[गैस]] के रूप में पायी जाती है। इसका प्रयोग तरणतालों को कीटाणुरहित बनाने में किया जाता है। यह एक हैलोजन है और [[आवर्त सारणी]] में [[समूह (आवर्त सारणी)|समूह १७]] (पूर्व में समूह ७, ७ए या ७बी) में रखी गयी है। यह एक पीले और हरे रंग की हवा से हल्की प्राकृतिक गैस जो एक निश्चित [[दाब]] और [[तापमान]] पर [[द्रव]] में बदल जाती है। यह [[पृथ्वी]] के साथ ही [[सागर|समुद्र]] में भी पाई जाती है। क्लोरीन पौधों और मनुष्यों के लिए आवश्यक है। इसका प्रयोग कागज और कपड़े बनाने में किया जाता है। इसमें यह ब्लीचिंग एजेंट (धुलाई करने वाले/ रंग उड़ाने वाले द्रव्य) के रूप में काम में लाई जाती है। वायु की उपस्थिति में यह जल के साथ क्रिया कर [[हाइड्रोक्लोरिक अम्ल]] का निर्माण करती है। मूलत: गैस होने के कारण यह खाद्य श्रृंखला का भाग नहीं है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। तरणताल में इसका प्रयोग कीटाणुनाशक की तरह किया जाता है। साधारण धुलाई में इसे ब्लीचिंग एजेंट रूप में प्रयोग करते हैं। ब्लीच और कीटाणुनाशक बनाने के कारखाने में काम करने वाले लोगों में इससे प्रभावित होने की आशंका अधिक रहती है। यदि कोई लंबे समय तक इसके संपर्क में रहता है तो उसके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।<ref name="हिन्दुस्तान"/> इसकी तेज गंध आंखों, त्वचा और श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है। इससे गले में घाव, [[कुक्कुर खाँसी|खांसी]] और आंखों व त्वचा में जलन हो सकती है, इससे सांस लेने में समस्या होती है।<ref>[http://www.livehindustan.com/news/1/1/1-1-41048.html बेंगलुरु : क्लोरीन गैस सूंघने से 25 छात्राएं बीमार] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150919184917/http://www.livehindustan.com/news/1/1/1-1-41048.html |date=19 सितंबर 2015 }}|हिन्दुस्टान लाइव। २ जून २०१०। बंगलुरु</ref>


== स्वास्थ्य पर प्रभाव ==
{{drugbox
विश्व में लगभग २५ हजार लोग प्रतिदिन पानी से होने वाले रोगों से मर जाते हैं। इसे रोकने के लिए पानी को क्लोरीन से साफ करना बहुत आवश्यक है।<ref name="भास्कर">[http://www.bhaskar.com/2010/05/11/chlorine-missing-from-drinking-water-959208.html danik bhaskarट्विन सिटी में पानी से क्लोरीन गायब]{{Dead link|date=सितंबर 2021 |bot=InternetArchiveBot }}। दैनिक भास्कर। ११ मई २०१०। हरियाणा</ref> [[१९९१]] में [[पेरू]] में सरकार ने पानी की सप्लाई में क्लोरीन के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। क्लोरीन से पूरे [[दक्षिण अफ्रीका]] में [[हैजा]] फैल गया था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। किन्तु इसके अच्छे प्रयोग भी होते हैं। क्लोरीन औषधि निर्माण में प्रयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण औषधीय घटक भी है।<ref name="हिन्दुस्तान"/> [[मलेरिया]], [[कुक्कुर खाँसी|खांसी]], [[आंत्र ज्वर|टाइफाइड]] और [[रक्त का कैंसर|ल्यूकेमिया]] आदि के उपचार के लिए प्रयोग होने वाली दवाओं में क्लोरीन मिलाई जाती है। पानी के शुद्धिकरण के लिए इसका प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। कई देशों ने पानी के शुद्धिकरण के लिए इसके प्रयोग के लिए कानूनी नियम भी बना रखे हैं। क्लोरीन जल के कोलीफार्म जीवाणु को नष्ट तो करता है किन्तु उसका अधिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। भारत में नदियों में अधिक मात्रा में क्लोरीन के प्रयोग से झाग जैसी समस्या देखने को मिल जाती है परन्तु ऐसा फंगल इन्फेक्शन जैसी समस्या से बचने के लिए करना पड़ता है। जल से होने वाले रोगों का प्रमुख कारण उसमें पाए जाने वाले कोलीफार्म जीवाणु होते है। इसको नष्ट करने के लिए पानी में क्लोरीन मिलाया जाता है। पानी में क्लोरीन की स्थिति की जांच अंतिम छोर पर पहुंचने वाले पानी के माध्यम से की जाती है। टेल पर ओ टी टैस्ट पॉजिटिव मिलने पर ही माना जाता है कि सही मात्रा में क्लोरीन मिली है। टेल तक क्लोरीनयुक्त पानी पहुंचाने के लिए जल संस्थान अनेक स्थानों पर क्लोरीन मिलाने वाले डोजर लगा कर रखते हैं। सबसे पहले निर्धारित मात्रा में क्लोरीन जल संस्थान में मिल जाती है। उसके बाद हर मोहल्ले में जलापूर्ति करने वाले जल-पंपों से भी क्लोरीन मिला कर आगे भेजा जाता है। [[काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय|काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के विशेषज्ञों के अनुसार<ref>काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के गैस्ट्रोइंटेराटिस विभाग के डॉ॰ सुनीत कुमार शुक्ला</ref> पानी में कैल्शियम हाइपो क्लोराइड मिलाई जाती है जो हानिकारक सिद्ध होती है। यह शरीर के ऑक्सीजन के फ्री रेडिकल को समाप्त कर देती है। पानी में कैल्शियम हाइपो क्लोराइड के कारण पानी रखने वाले बर्तनों में कैल्शियम की सफेद परत जमा हो जाती है। इससे जलापूर्ति के पाइपों और भंडारण बर्तनों, टंकियों में भी कैल्शियम के कण जमा हो जाते हैं। इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के अनुसार<ref>इंडियन मैडिकल एसोसिएशन की पत्रिका, आपका स्वास्थ्य के संपादक डॉ॰ अरविंद सिंह का कहना है</ref> कैल्शियम हाइपो क्लोराइड एक लवण होता है और उसका दुष्प्रभाव भी होता है। इसकी निश्चित से अधिक मात्रा आंतों की अंदरूनी परत, गैस्ट्रिक म्युकोसा में जलन है। इससे अंदरूनी अम्लों के स्राव में वृद्धि होती है। इसके कारण अम्ल के बढ़ने से गैस बनने, अल्सर, बालों के झड़ने, त्वचा की चमक में कमी आने जैसे दुष्प्रभाव दिखाई देते हैं।<ref name="वॉटर">[http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B9-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8 नुकसानदेह है क्लोरीन ] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100622073737/http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B9-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A8 |date=22 जून 2010 }}। इंडिया वॉटर पोर्टल।</ref>
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|ATC_suffix  = <Macro 'metabolism'>
== चित्र दीर्घा ==
|IUPHAR_ligand        = DB11109
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}}
<!-- File:Chlorine_attack1.jpg |पाइप के जोड़ पर क्लोरीन -->
==विवरण==
</gallery>
क्लोरीन एक प्रबल ऑक्सीकरण एजेंट है और तीसरा सबसे अधिक विद्युत ऋणात्मक तत्व है जो परमाणु संख्या 17 और प्रतीक Cl के साथ हैलोजन के समूह से संबंधित है।कमरे के तापमान पर पीले-हरे रंग की गैस होने के कारण, क्लोरीन पृथ्वी पर दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में हलोजन है । यह आमतौर पर स्वच्छता, कीटाणुशोधन और एंटीसेप्टिक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है । इसका उपयोग रासायनिक युद्ध और रॉकेट ईंधन में भी किया जाता था।
==वर्गीकरण==
<table border="1" class="dataframe"><tr><td>साम्राज्य</td><td>अकार्बनिक यौगिक</td></tr><tr><td>सुपर वर्ग</td><td>सजातीय गैर-धातु यौगिक</td></tr><tr><td>वर्ग</td><td>सजातीय हलोजन</td></tr><tr><td>उप वर्ग</td><td></td></tr></table>
==सन्दर्भ==
[[Category: एक शोध में प्रयुक्त यौगिक,औद्योगिक,या घरेलू सेटिंग]]
[[Category: तत्वों]]
[[Category: गैसों]]
[[Category: हैलोजन]]
[[Category: Noxae]]
[[Category: जहर]]
[[Category: विषाक्त क्रियाएं]]


== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}


== बाहरी कड़ियाँ ==
 
{{दो परमाणुओं वाले तत्व}}
{{संक्षिप्त आवर्त सारणी}}
 
[[श्रेणी:रासायनिक तत्व]]
[[श्रेणी:द्विपरमाणुक अधातु]]
[[श्रेणी:गैसें]]
[[श्रेणी:क्लोरीन|*]]
[[श्रेणी:हैलोजन]]
[[श्रेणी:वायु प्रदूषक]]
[[श्रेणी:हानिकारक रसायन]]
[[श्रेणी:ऑक्सीकारक]]
[[श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना]]

०५:१२, २३ सितंबर २०२१ के समय का अवतरण

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गंधकनीरजीनिरुद्यतीमा
F

Cl

Br
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | दर्शन
फीकी पीली-हरी गैस
Chlorine-sample-flip.jpg
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | सामान्य
नाम, चिह्न, संख्या नीरजी, Cl, १७
तत्त्व वर्ग हैलोजन
समूह, आवर्त, ब्लॉक 173, p
मानक परमाणु भार 35.453(2) ग्रा•मोल−1
इलेक्ट्रॉन कॉन्फिगरेशन [Ne] 3s2 3p5
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल 2, 8, 7 (आरेख)
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | भौतिक गुण
अवस्था गैस
घनत्व (0 °C, 101.325 kPa)
3.2 g/L
गलनांक 171.6 K, -101.5 °C, -150.7 °F
क्वथनांक 239.11 K, -34.04 °C, -29.27 °F
संकट बिंदु 416.9 K, 7.991 MPa
विलय ऊष्मा (Cl2) 6.406 कि.जूल•मोल−1
वाष्पीकरण ऊष्मा (Cl2) 20.41 कि.जूल•मोल−1
विशिष्ट ऊष्मा क्षमता (२५ °से.) (Cl2)
33.949 जू•मोल−1•केल्विन−1
वाष्प दबाव
P/पास्कल १० १०० १ k १० k १०० k
T/कै. पर 128 139 153 170 197 239
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | परमाण्विक गुण
ऑक्सीकरण स्थितियां 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1, -1
(शक्तिशाली अम्लीय ऑक्साइड)
इलेक्ट्रोनेगेटिविटी 3.16 (पाइलिंग पैमाना)
आयनीकरण ऊर्जाएं
(अधिक)
1st: 1251.2 कि.जूल•मोल−1
2nd: 2298 कि.जूल•मोल−1
3rd: 3822 कि.जूल•मोल−1
संयोजी त्रिज्या 102±4 pm
en:Van der Waals radius 175 pm
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | विविध
चुंबकीय क्रम द्विचुम्बकीय[१]
विद्युत प्रतिरोधकता (२० °से.) > 10 Ω•m
तापीय चालकता (300 K) 8.9x10-3  W•m−1•K−1
ध्वनि की गति (gas, 0 °C) 206 मी./सेकिंड
सी.ए.एस पंजी.संख्या 7782-50-5
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | सर्वाधिक स्थिर समस्थानिक
मुख्य लेख: नीरजी के समस्थानिक
समस्थानिक प्राकृतिक प्रचुरता अर्धायु काल क्षय मोड क्षय ऊर्जा
(MeV)
क्षय उत्पाद
35Cl 75.77% 35Cl 18 न्यूट्रॉनों के संग स्थिर है।
36Cl ट्रेस 3.01×105 y β 0.709 36Ar
ε - 36S
37Cl 24.23% 37Cl 20 न्यूट्रॉनों के संग स्थिर है।
colspan=2 style="text-align: center; साँचा:elementbox/headers" | साँचा:navbar

क्लोरीन (यूनानी: χλωρóς (ख्लोरोस), 'फीका हरा') एक रासायनिक तत्व है, जिसकी परमाणु संख्या १७ तथा संकेत Cl है। ऋणात्मक आयन क्लोराइड के रूप में यह साधारण नमक में उपस्थित होती है और सागर के जल में घुले लवण में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।[२] सामान्य तापमान और दाब पर क्लोरीन (Cl2 या "डाईक्लोरीन") गैस के रूप में पायी जाती है। इसका प्रयोग तरणतालों को कीटाणुरहित बनाने में किया जाता है। यह एक हैलोजन है और आवर्त सारणी में समूह १७ (पूर्व में समूह ७, ७ए या ७बी) में रखी गयी है। यह एक पीले और हरे रंग की हवा से हल्की प्राकृतिक गैस जो एक निश्चित दाब और तापमान पर द्रव में बदल जाती है। यह पृथ्वी के साथ ही समुद्र में भी पाई जाती है। क्लोरीन पौधों और मनुष्यों के लिए आवश्यक है। इसका प्रयोग कागज और कपड़े बनाने में किया जाता है। इसमें यह ब्लीचिंग एजेंट (धुलाई करने वाले/ रंग उड़ाने वाले द्रव्य) के रूप में काम में लाई जाती है। वायु की उपस्थिति में यह जल के साथ क्रिया कर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का निर्माण करती है। मूलत: गैस होने के कारण यह खाद्य श्रृंखला का भाग नहीं है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। तरणताल में इसका प्रयोग कीटाणुनाशक की तरह किया जाता है। साधारण धुलाई में इसे ब्लीचिंग एजेंट रूप में प्रयोग करते हैं। ब्लीच और कीटाणुनाशक बनाने के कारखाने में काम करने वाले लोगों में इससे प्रभावित होने की आशंका अधिक रहती है। यदि कोई लंबे समय तक इसके संपर्क में रहता है तो उसके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।[२] इसकी तेज गंध आंखों, त्वचा और श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है। इससे गले में घाव, खांसी और आंखों व त्वचा में जलन हो सकती है, इससे सांस लेने में समस्या होती है।[३]

स्वास्थ्य पर प्रभाव

विश्व में लगभग २५ हजार लोग प्रतिदिन पानी से होने वाले रोगों से मर जाते हैं। इसे रोकने के लिए पानी को क्लोरीन से साफ करना बहुत आवश्यक है।[४] १९९१ में पेरू में सरकार ने पानी की सप्लाई में क्लोरीन के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। क्लोरीन से पूरे दक्षिण अफ्रीका में हैजा फैल गया था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। किन्तु इसके अच्छे प्रयोग भी होते हैं। क्लोरीन औषधि निर्माण में प्रयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण औषधीय घटक भी है।[२] मलेरिया, खांसी, टाइफाइड और ल्यूकेमिया आदि के उपचार के लिए प्रयोग होने वाली दवाओं में क्लोरीन मिलाई जाती है। पानी के शुद्धिकरण के लिए इसका प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। कई देशों ने पानी के शुद्धिकरण के लिए इसके प्रयोग के लिए कानूनी नियम भी बना रखे हैं। क्लोरीन जल के कोलीफार्म जीवाणु को नष्ट तो करता है किन्तु उसका अधिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। भारत में नदियों में अधिक मात्रा में क्लोरीन के प्रयोग से झाग जैसी समस्या देखने को मिल जाती है परन्तु ऐसा फंगल इन्फेक्शन जैसी समस्या से बचने के लिए करना पड़ता है। जल से होने वाले रोगों का प्रमुख कारण उसमें पाए जाने वाले कोलीफार्म जीवाणु होते है। इसको नष्ट करने के लिए पानी में क्लोरीन मिलाया जाता है। पानी में क्लोरीन की स्थिति की जांच अंतिम छोर पर पहुंचने वाले पानी के माध्यम से की जाती है। टेल पर ओ टी टैस्ट पॉजिटिव मिलने पर ही माना जाता है कि सही मात्रा में क्लोरीन मिली है। टेल तक क्लोरीनयुक्त पानी पहुंचाने के लिए जल संस्थान अनेक स्थानों पर क्लोरीन मिलाने वाले डोजर लगा कर रखते हैं। सबसे पहले निर्धारित मात्रा में क्लोरीन जल संस्थान में मिल जाती है। उसके बाद हर मोहल्ले में जलापूर्ति करने वाले जल-पंपों से भी क्लोरीन मिला कर आगे भेजा जाता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के अनुसार[५] पानी में कैल्शियम हाइपो क्लोराइड मिलाई जाती है जो हानिकारक सिद्ध होती है। यह शरीर के ऑक्सीजन के फ्री रेडिकल को समाप्त कर देती है। पानी में कैल्शियम हाइपो क्लोराइड के कारण पानी रखने वाले बर्तनों में कैल्शियम की सफेद परत जमा हो जाती है। इससे जलापूर्ति के पाइपों और भंडारण बर्तनों, टंकियों में भी कैल्शियम के कण जमा हो जाते हैं। इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के अनुसार[६] कैल्शियम हाइपो क्लोराइड एक लवण होता है और उसका दुष्प्रभाव भी होता है। इसकी निश्चित से अधिक मात्रा आंतों की अंदरूनी परत, गैस्ट्रिक म्युकोसा में जलन है। इससे अंदरूनी अम्लों के स्राव में वृद्धि होती है। इसके कारण अम्ल के बढ़ने से गैस बनने, अल्सर, बालों के झड़ने, त्वचा की चमक में कमी आने जैसे दुष्प्रभाव दिखाई देते हैं।[७]

चित्र दीर्घा

सन्दर्भ

  1. Magnetic susceptibility of the elements and inorganic compounds, in Handbook of Chemistry and Physics 81st edition, CRC press.
  2. क्लोरीन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। हिन्दुस्तान लाइव। ३१ मई २०१०
  3. बेंगलुरु : क्लोरीन गैस सूंघने से 25 छात्राएं बीमार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।|हिन्दुस्टान लाइव। २ जून २०१०। बंगलुरु
  4. danik bhaskarट्विन सिटी में पानी से क्लोरीन गायबसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]। दैनिक भास्कर। ११ मई २०१०। हरियाणा
  5. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के गैस्ट्रोइंटेराटिस विभाग के डॉ॰ सुनीत कुमार शुक्ला
  6. इंडियन मैडिकल एसोसिएशन की पत्रिका, आपका स्वास्थ्य के संपादक डॉ॰ अरविंद सिंह का कहना है
  7. नुकसानदेह है क्लोरीन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। इंडिया वॉटर पोर्टल।

बाहरी कड़ियाँ

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