"जायफल" के अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Myristica fragrans trunk W IMG 2464.jpg|thumb|190px|गोवा में मिरिस्टिका फ्रेग्रंस वृक्ष]]
[[चित्र:Nutmeg on Tree.jpg|thumb|right|वृक्ष पर जायफल (केरल)]]
'''जायफल''' ([[वानस्पतिक नाम]]: ''Myristica fragrans'' ; [[संस्कृत]]: जातीफल) एक सदाबहार वृक्ष है जो [[इण्डोनेशिया]] के मोलुकास द्वीप (Moluccas) का देशज है। इससे दो [[मसाला|मसाले]] प्राप्त होते हैं - जायफल (nutmeg) तथा जावित्री (mace)। यह चीन, ताइवान, मलेशिया, ग्रेनाडा, केरल, श्रीलंका, और दक्षिणी अमेरिका में खूब पैदा होता है।
मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है। मिरिस्टका की अनेक जातियाँ हैं परंतु व्यापारिक जायफल अधिकांश मिरिस्टिका फ्रैग्रैंस से ही प्राप्त होता है। मिरिस्टिका प्रजाति की लगभग ८० जातियाँ हैं, जो भारत, आस्ट्रेलिया तथा प्रशंत महासागर के द्वीपों में उपलब्ध हैं। यह पृथग्लिंगी (डायोशियस, dioecious) वृक्ष है। इसके पुष्प छोटे, गुच्छेदार तथा कक्षस्थ (एक्सिलरी, axillary) होते हैं।
मिरिस्टिका वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। यह बीज चारों ओर से बीजोपांग (aril) द्वारा ढँका रहता है। यही बीजोपांग व्यापारिक महत्व का पदार्थ जावित्री है। इस वृक्ष का फल छोटी [[नाशपाती]] के रूप का १ इंच से डेढ़ इंच तक लंबा, हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदा होता है। परिपक्व होने पर फल दो खंडों में फट जाता है और भीतर सिंदूरी रंग का बीजोपांग या जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके काष्ठवत् खोल को तोड़ने पर भीतर जायफल (nutmeg) प्राप्त होता है। जायफल तथा जावित्री व्यापार के लिये मुख्यत: पूर्वी ईस्ट इंडीज से प्राप्त होता हैं।
जायफल का वृक्ष समुद्रतट से ४००-५०० फुट तक की ऊँचाई पर उष्णकटिबंध की गरम तथा नम घाटियों में पैदा होता है। इसकी सफलता के लिये जल-निकास-युक्त गहरी तथा उर्वरा दूमट मिट्टी उपयुक्त है। इसके वृक्ष ६-७ वर्ष की आयु प्राप्त होने पर फूलते-फलते हैं। फूल लगने के पहले नर या मादा वृक्ष का पहचाना कठिन होता है। ग्रैनाडा (वेस्ट इंडीज) में साधारणत: नर तथा मादावृक्ष ३ : १ के अनुपात में पाए जाते हैं जमैका के वनस्पति उद्यान में जायफल के छोटे पौधों पर मादावृक्ष की टहनी कलम करके मादा वृक्ष की संख्यावृद्धि में सफलता प्राप्त की गई है।
==परिचय==
जीनस '''''मिरिस्टिका'' ''' में पेड़ों की कई प्रजातियों में '''जायफल''' होते हैं। व्यावसायिक प्रजातियों में से '''''मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस'' ''' सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है, यह [[सदा बहार]] [[वृक्ष]] मूल रूस से [[इंडोनेशिया]] के मोलुकस के [[बंडा द्वीप]] या [[स्पाइस द्वीप]] में पाए जाते हैं। जायफल वृक्ष दो [[मसालों]] के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो '''जायफल''' और '''जावित्री''' दो [[फलों]] से लिया गया है।<ref>{{Cite web |url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/422816/nutmeg |title=संग्रहीत प्रति |access-date=14 अप्रैल 2010 |archive-url=https://web.archive.org/web/20100413212402/http://www.britannica.com/EBchecked/topic/422816/nutmeg |archive-date=13 अप्रैल 2010 |url-status=live }}</ref>
वृक्ष की वास्तविक [[बीज]] जायफल है, जो मोटे तौर पर अंडे के आकार का होता है और {{Convert|20|to|30|mm|sigfig=1|abbr=on}} लंबा और {{Convert|15|to|18|mm|sigfig=1|abbr=on}} चौड़ा और {{Convert|5|and|10|g|sigfig=1|abbr=on}} के बीच वजन होता है, जबकि [[जावित्री]] एक सूखा "लैसदार" लाल कवर या [[बीज को ढ़कने वाला छिलका]] होता है। यही एक ऐसा उष्णकटिबंधीय फल है जिसका स्रोत दो अलग मसाले हैं।
इसके वृक्ष से कई अन्य व्यावसायिक उत्पादों का भी उत्पादन होता है, जिसमें [[आवश्यक तेल]], निचोड़े हुए [[ओलियोरेसिन्स]] और जायफल मक्खन शामिल हैं (नीचे देखें).
जायफल का बाहरी सतह आसानी से कुचल जाता है।
[[पेरिक्रेप]] (फल / फली) का प्रयोग ग्रेनाडा में जैम बनाने के लिया किया जाता है जिसे "मोर्ने डेलिस" कहा जाता है। [[इंडोनेशिया]] में भी इस फल से जैम बनाया जाता है जिसे ''सेलेई वुआह पाला'' कहा जाता है या इसे पतले रूप में काट कर चीनी के साथ पकाया जाता है और सुगंधित कैंडी बनाने के लिए उसे रवादार बनाया जाता है जिसे ''मनिसन पाला'' कहा जाता है ("जायफल मिठाई").


सामान्य या सुगंधित जायफल ''मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस'' का मूल उत्पादन इंडोनेशिया के [[बांडा द्वीप]] में होता है लेकिन मलेशिया के [[पेनांग]] द्वीप और [[कैरिबियन]] में भी इसका उत्पादन होता है, विशेष कर [[ग्रेनाडा]] में. साथ ही इसकी उपज केरल में भी होती है, जो भारत के दक्षिण भाग में स्थित एक राज्य है। जायफल के अन्य प्रजातियों में [[न्यू गुइयाना]] से पपुअन जायफल ''M. अर्जेनटिया'', [[भारत]] से बम्बई जायफल ''M. मालाबरिका'', जिसे हिन्दी में ''जायफल'' कहते हैं, शामिल हैं; दोनों का उपयोग ''M. फ्रेग्रेंस'' के [[अपमिश्रक]] उत्पाद के रूप में होता है।
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== प्रमुख ''मिरिस्टका'' प्रजातियां ==
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| &nbsp;&nbsp;
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| <font size="2">''[[M. अल्बा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. एम्पलियाटा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. अंडामानिका]]''</font><br /><font size="2">''[[M. अर्फाकेनसिस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. अर्जेंटिया]]''</font><br /><font size="2">''[[M. बसिलानिका]]''</font><br /><font size="2">''[[M. ब्राचेपोडाbrachypoda]]''</font><br /><font size="2">''[[M. ब्रेविटाइप्स]]''</font><br /><font size="2">''[[M. बुचनेरियाना]]''</font><br /><font size="2">''[[M. बिसासिया]]''</font><br /><font size="2">''[[M. सिलानिका]]''</font><br /><font size="2">''[[M. सिनामोमिया]]''</font><br /><font size="2">''[[M. कोयक्टा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. कोलिनरिड्सडालेई]]''</font><br /><font size="2">''[[M. कोंसपर्सा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. कोर्टीसाटा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. क्रासा]]''</font>
}}
| &nbsp;&nbsp;
==विवरण==
| <font size="2">''[[M. डेसीकार्पा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. डेप्रेसा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. डेवोजेली]]''</font><br /><font size="2">''[[M. एलिपटिका]]''</font><br /><font size="2">''[[M. एक्सटेंसा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. फेसीकुलाटा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. फिलिपेस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. फिसुराटा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. फ्लेवोविरेंस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. फ्रेग्रंस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. फ्रुगीफेरा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. जिगांटिया]]''</font><br /><font size="2">''[[M. गिलेसपियाना]]''</font><br /><font size="2">''[[M. ग्लोबोसा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. ग्रांडीफोलिया]]''</font><br /><font size="2">''[[M.ग्वाडालकेनालेंसिस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. ग्वेटरीफोलिया]]''</font>
जायफल एलर्जीनिक अर्क का उपयोग एलर्जीनिक परीक्षण में किया जाता है।
| &nbsp;
| <font size="2">''[[M.ग्विलामिनियाना]]''</font><br /><font size="2">''[[M. होल्लरूंगी]]''</font><br /><font size="2">''[[M. इनायक्वेलिस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. इनक्रेडिबिलिस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. इनर्स]]''</font><br /><font size="2">''[[M. इनुनडाटा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. इनुटिलिस]]''</font><br /><font size="2">''[[M. कल्कमनी]]''</font><br /><font size="2">''[[M. जेलबर्गी]]''</font><br /><font size="2">''[[M. लेप्टोफिला]]''</font><br /><font size="2">''[[M. मेक्रोफिला]]''</font><br /><font size="2">''[[M. मालाबरिका]]''</font><br /><font size="2">''[[M. मेक्सिमा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. ओटोबा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. प्लाटीपर्मा]]''</font><br /><font size="2">''[[M. सिंकलेयरी]]''</font><br /><font size="2">''[[M. जायलोकर्पाxylocarpa]]''</font>
==वर्गीकरण==
|
<table border="1" class="dataframe"><tr><td>साम्राज्य</td><td></td></tr><tr><td>सुपर वर्ग</td><td></td></tr><tr><td>वर्ग</td><td></td></tr><tr><td>उप वर्ग</td><td></td></tr></table>
|}
 
==सन्दर्भ==
== रसोई में प्रयोग ==
[[Category: कोष्ठिका मध्यस्थित उन्मुक्ति]]
[[चित्र:Myris fragr H 080112-3303 ipb.jpg|right|thumb|300px|जायफल का वृक्ष]]
[[Category: बढ़ी हुई हिस्टामाइन रिलीज]]
जायफल और जावित्री का स्वाद गुण लगभग समान होता है, जायफल थोड़ा अधिक मीठा होता है वहीं जावित्री का स्वाद अधिक स्वादिष्ट होता है। अक्सर जावित्री को हल्के खाद्य पदार्थों में इसके नारंगी और [[केसरिया]] रंग के कारण प्रयोग किया जाता है। जायफल में अतिरिक्त रूप से [[चीज़]] [[सॉस]] मिलाने से वह और भी स्वादिष्ट हो जाता है और वह सबसे ताजा अंगीठी है ([[अंगीठी जायफल]] देखें). [[म्यूल्ड साइडर]](बिना अल्कोहल वाला सेब की मदिरा),[[म्यूल्ड शराब]] और [[एग्गनोग]] में जायफल एक परंपरागत मसाला है।
[[Category: गैर-मानकीकृत खाद्य एलर्जीनिक अर्क]]
 
[[Category: गैर-मानकीकृत संयंत्र एलर्जेनिक अर्क]]
[[पेनांग व्यंजनों]] में जायफल का अचार बनाया जाता है और ये अचार टोपिंग्स के रूप में विशिष्ट पेनांग [[एस कसांग]] पर कटे होते हैं। जायफल मिश्रित भी होते हैं (ताजा बनाने के लिए, हरे, टंगी स्वाद और सफेद रंग का रस) या उबले हुए होते हैं (परिणामस्वरूप बहुत मीठा और भूरे रंग का रस होता है) जिससे आइस्ड जायफल का रस बनाया जाता है या पेनांग होक्केन जिसे "लाउ हउ पेंग" कहा जाता है, के रूप में बनाया जाता है।
[[Category: सेरोटोनिन सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ाने के लिए दिखाए गए सेरोटोनर्जिक ड्रग्स]]
 
[[भारतीय व्यंजनों]] में जायफल का प्रयोग मिठाई के साथ-साथ स्वादिष्ट व्यंजनों में किया जाता है (मुख्य रूप से [[मुगलाई व्यंजनों]] में). भारत के अधिकांश भागों में इसे ''जायफल'' के रूप में जाना जाता है वहीं केरल में इसे '''जतिपत्रि ''' और ''[[जथी]]'' बीज कहा जाता है। इसका प्रयोग कम मात्रा में [[गरम मसाले]] में भी किया जा सकता है। भारत में भूमि जायफल का प्रयोग धूम्रपान के लिए भी किया जाता है। {{Citation needed|date=December 2007}}
 
[[मध्य पूर्वी व्यंजनों]] में भूमि जायफल का इस्तेमाल अक्सर स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए एक मसाले के रूप में किया जाता है। [[अरबी]] में जायफल को ''Jawzt at-Tiyb'' कहा जाता है।
 
[[ग्रीस]] और [[साइप्रस]] में जायफल को μοσχοκάρυδο ''(मोस्चोकारीडो)'' (ग्रीक: "मुस्की नट") और खाना पकाने और स्वादिष्ट व्यंजनों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
 
[[यूरोपीय व्यंजनों]] में जायफल का इस्तेमाल विशेष रूप से [[आलू]] के व्यंजनो और परिष्कृत मांस उत्पादों में की जाती है; सूप, सॉस और पके हुए भोजन में भी वे इसका इस्तेमाल करते हैं। [[डच व्यंजनों]] में जायफल काफी लोकप्रिय है, चोकीगोभी, गोभी और पतले सेम की तरह सब्जियों में इसका उपयोग किया जाता है।
 
विभिन्न [[जापानी]] [[करी पाउडर]] में जायफल का इस्तेमाल एक घटक के रूप में शामिल किया जाता है।
 
कैरेबियन में जायफल का इस्तेमाल अक्सर बुशवेक्कर, पेनकिलर, बार्वाडोस [[रम]] पंच जैसे पेय पदार्थो में किया जाता है। आमतौर पर इसे सिर्फ पेय पदार्थ के ऊपर छिड़का जाता है।
 
== महत्वपूर्ण तेल ==
[[चित्र:muscade.jpg|thumb|right|190px|जायफल बीज]]
 
भूमि जायफल के भाप [[आसवन]] द्वारा महत्वपूर्ण तेल प्राप्त किया जाता है और [[इत्रादि सुगंधित वस्‍तुऍं या सामग्री]] और [[दवा]] में उद्योगों में भारी मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल रंगहीन या हल्का पीले रंग की होती है और इसमें जायफल की खुशबू और स्वाद आती है। [[ओलियोकेमिकल]] उद्योग के लिए इसके अनेक अंश महत्वपूर्ण होते हैं और बेक किया हुए पदार्थों, सीरप्स, पेय पदार्थों और मिठाई में एक प्राकृतिक खाद्यपदार्थ के स्वाद के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह भूमि जायफल को प्रतिस्थापित करता है चूंकि यह भोजन में अंश को नहीं छोड़ता. इस महत्वपूर्ण तेल का इस्तेमाल कॉस्मेटिक और दवा उद्योगों में भी किया जाता है, उदाहरणस्वरूप [[टूथपेस्ट]] में और कुछ [[खांसी की दवाईयों]] प्रमुख संघटक के रूप में प्रयोग किया जाता है। परंपरागत चिकित्सा में जायफल और [[जायफल तेल]] का इस्तेमाल नसों और पाचन प्रणाली से संबंधित बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता था।
 
== जायफल मक्खन ==
जायफल के बीज के [[निष्पीड़न]] से जायफल बटर की प्राप्ती होती है। यह अर्ध-ठोस और भूरे रंग की लाल होती है और इसमें जायफल का स्वाद और खुशबू आती है। जायफल का लगभग 75% (वजन द्वारा) बटर [[ट्रिमिरिल्स्टिन]] होता है जिसे [[मिरिस्टिक एसिड]] में तब्दील किया जा सकता है, एक 14-कार्बन [[फैटी एसिड]], [[कोकोआ बटर]] के लिए एक स्थानापन्न के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और दूसरे चर्बियों के साथ मिश्रित किया जा सकता है जैसे [[कॉटनसीड तेल]] या [[ताड़ का तेल]] और एक औद्योगिक [[लुब्रिकेंट]] के रूप में भी संप्रयोग किया जाता है।
 
== इतिहास ==
[[चित्र:Nutmeg Zanz41.JPG|left|thumb|190px|जायफल के अंदर मेस (लाल)]]
 
कुछ सबूत सुझाव देते हैं कि [[रोमन]] [[पादरी]] जायफल का इस्तेमाल [[अगरबत्ती]] के रूप में करते थे, हालांकि यह विवादास्पद है। यह जाना जाता है कि [[मध्ययुगीन व्यंजनों]] में यह महत्वपूर्ण और महंगा मसाला था जिसका इस्तेमाल व्यंजनों में स्वाद के लिए और दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता था और साथ ही एजेंटो के संरक्षण में भी इसका इस्तेमाल था क्योंकि उस समय यूरोपीय बाजारों में ये काफी मूल्यवान था। [[सेंट थियोडेर द स्टुडिटे]] (ca. 758 -. Ca 826) अपने संन्यासियों को उनके [[मटर के हलवा]] पर जब खाने की आवश्यकता होती थी तब उस पर जायफल छिड़कने की अनुमति देने के लिए प्रसिद्ध था। एलिज़ाबेथन के समय में ऐसा माना जाता था कि जायफल ने प्लेग को दूर किया था इसलिए जायफल काफी लोकप्रिय था। {{Citation needed|date= जनवरी 2010}}
 
विश्व भर में एक छोटा सा [[बांडा द्वीप]] ही जायफल और जावित्री का एकमात्र स्रोत था। [[मध्य युग]] के दौरान जायफल का [[अरब]] द्वारा कारोबार किया गया और [[वेनिस]] को अत्यधिक कीमतों के लिए बेच दिया गया था, पर व्यापारियों ने लाभदायक [[हिंद महासागर]] [[व्यापार]] में उनके स्रोत के सटीक स्थान को प्रकट नहीं किया था और कोई भी यूरोपीयन उनके स्थान का पता लगाने में सक्षम नहीं थे।
अगस्त [[1511]] में [[पुर्तगाल]] के राजा की ओर से [[अफोंसो दे अल्बुकर्क]] ने [[मलक्का]] पर विजय प्राप्त की, जो उस समय एशियाई व्यापार का केंद्र था। मलक्का को प्राप्त करने और बांडा स्थान के अध्ययन के बाद उस साल के नवंबर में अल्बुकर्क ने अपने एक अच्छे दोस्त [[एंटोनियो डे एब्रियू]] के नेतृत्व में तीन जहाजों के एक अभियान के साथ उन्हें खोजने के लिए भेजा. [[मलय]] पायलटों को या तो भर्ती कराया गया था या जबरन रखा गया था, उन्हें [[जावा]] द्वारा [[लेसर संडस]] और [[अम्बों]] से बांडा तक का निर्देशन दिया गया और 1512 के प्रारम्भ में वहां पहुंचे।<ref>हन्नार्ड (1991), पृष्ठ 7 {{cite book | last =Milton | first =Giles | authorlink =Giles Milton | coauthors = | title =Nathaniel's Nutmeg | publisher =Sceptre | year =1999 | location =London | pages =5 and 7 | isbn = 978-0-340-69676-7 }}</ref> पहली बार यूरोपीयन बांडा तक पहुंचे और यह अभियान करीब एक महीने तक जारी बांडा में रहा और वे बांड़ा के जायफल और मेस की खरीदारी करते रहे और जहाज में रखते गए, साथ ही [[लाँग]] की भी खरीदारी [[एंटरपोट]] से की जिसका बंडा में एक सम्पन्न व्यापार था।<ref name="HANNARDp7">हन्नार्ड (1991), पृष्ठ 7</ref> ''सुमा ओरियंटल'' किताब में पहली बार बांडा के व्यापार का वर्णन किया गया है जिसे एक ''पुर्तगाली'' [[औषधकार]] [[टोमे पिरेस]] द्वारा लिखा गया था और 1512 से 1515 के मलक्का के आधार पर यह किताब लिखी गई है। लेकिन इस व्यापार का पूरा नियंत्रण संभव नहीं था और जब से टर्नेट अधिकारियों ने बांडा द्वीप के जायफल उत्पादन पर नियंत्रण रखा, जो काफी सीमित था, तबसे वे मालिक के बजाए केवल हिस्सेदार बनकर रह गए। इसलिए, द्वीप में पुर्तगाली अपनी पकड़ मज़बूत करने में विफल रहे।
 
बाद में 17 वीं शताब्दी में [[डच]] ने जायफल के व्यापार में अपना वर्चस्व कायम किया। ब्रिटिश और डच लंबे समय तक [[द्वीप पर नियंत्रण]] प्राप्त करने के लिए संघर्ष में लगे रहे, जो जायफल का एकमात्र स्रोत था। [[द्वितीय आंग्ल-डच युद्ध]] के अंत में ब्रिटिश के उत्तरी अमेरिका में [[न्यू एम्सटरडेम]] (न्यूयार्क) पर नियंत्रण करने के बदले डच को इसकी नियंत्रण प्राप्त हुई।
 
1621 में द्वीप के अधिकांश निवासियों की हत्या या निष्कासन को समाप्त करने के लिए विस्तृत सैन्य अभियान के बाद [[बांडा द्वीप]] पर नियंत्रण स्थापित करने में डच सफल रहे।  इसके बाद दूसरे स्थानों के जायफलों को उखाड़न के लिए वार्षिक स्थानीय युद्ध अभियानों को बढ़ाने के साथ बांडा द्वीप को वृक्षारोपण एस्टेट की एक श्रृंखला के रूप में नियंत्रित किया गया था।
 
[[नपालियान युद्धों]] के दौरान डच राजाओं के भीतर एक परिणाम के रूप में अंग्रेजों ने नेबांडा द्वीप पर अस्थायी रूप से नियंत्रण प्राप्त कर लिया और अपने औपनिवेशिक क्षेत्रों में जायफल का प्रतिरोपण किया, विशेष रूप से [[ज़ंजीबार]] और [[ग्रेनाडा]] में रोपण किया। आज एक जायफल की खंडित शैली [[ग्रेनाडा]] के राष्ट्रीय ध्वज पर पाई जाती है।
 
[[कनेक्टिकट]] से यह अपना उपनाम ("जायफल राज्य", [["नट्मेगर"]]) एक किंवदन्ति से प्राप्त करता है जिसमें कुछ विवेकहीन व्यापारी लकड़ी से खरोच-खरोच कर जायफल बना लेते थे जिसे "लकड़ी का जायफल" कहते थे (एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ किसी भी जालसाजी से था) [https://web.archive.org/web/20110905051813/http://www.cslib.org/nicknamesCT.htm ].
 
== विश्व उत्पादन ==
[[चित्र:Nutmeg.JPG|right|thumb|190px|मेस जायफल के लिए वाणिज्यिक जार]]
 
जायफल का विश्व उत्पादन प्रति वर्ष {{Convert|10000|and|12000|t|LT|sigfig=2}} के बीच अनुमानित है और विश्व भर में वार्षिक मांग {{Convert|9000|t|LT|sigfig=2}} का अनुमान लगाया गया है और मेस का उत्पादन {{Convert|1500|to|2000|t|LT|sigfig=2}} अनुमानित है। [[इंडोनेशिया]] और [[ग्रेनाडा]] में इसका उत्पादन सबसे अधिक है और विश्व बाजार में क्रमशः 75% और 20% की हिस्सेदारी के साथ दोनों उत्पादों का निर्यात करता है। अन्य निर्माताओं [[भारत]], [[मलेशिया]] (विशेष रूप से [[पेनांग]] शामिल है जहां जंगली क्षेत्रों में पेड़ देशी हैं), [[पापुआ न्यू गिनी]], [[श्रीलंका]] और कैरेबियाई द्वीप जैसे [[सेंट विन्सेन्ट]]. मुख्य आयात बाजारों में [[यूरोपीय समुदाय]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[जापान]] और [[भारत]] हैं। [[सिंगापुर]] और [[नीदरलैंड]] दोबारा निर्यातकों में प्रमुख हैं।
 
एक समय में जायफल सबसे मूल्यवान मसालों में से एक था। [[इंग्लैंड]] में यह कहा गया है कि, कई सैकड़ों वर्ष पहले जीवन के लिए वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कुछ जायफलों को पर्याप्त पैसे में बेचा जा सकता था।
 
जायफल के पहले फसल बोने के बाद 7-9 साल में यह परिपक्वता प्राप्त करती है और 20 साल के बाद वृक्ष अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सफल होती है।
 
== मानसिक प्रभाव और विषाक्तता ==
कम मात्रा में जायफल शारीरिक या न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया पैदा नहीं करता है।
 
जायफल में [[मिरिस्टिसिन]] होता है एक कमजोर [[मोनोमाइन ओक्सीडेस इन्हिबिटर]] होता है। मिरिस्टियन विषाक्तन [[संक्षौभ]], [[धकधकी]], उबकाई, संभावित [[निर्जलीकरण]] और सामान्यीकृत शरीर दर्द को उत्प्रेरित कर सकता है।<ref name="bmj">{{cite web|url=http://emj.bmj.com/cgi/content/full/22/3/223|title=BMJ|access-date=14 अप्रैल 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20081004125939/http://emj.bmj.com/cgi/content/full/22/3/223|archive-date=4 अक्तूबर 2008|url-status=live}}</ref> इसे एक मजबूत [[प्रलापक]] माना जाता है।<ref>{{cite web|url=http://www.erowid.org/plants/nutmeg/|title=Erowid|access-date=14 अप्रैल 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20100402041507/http://www.erowid.org/plants/nutmeg/|archive-date=2 अप्रैल 2010|url-status=live}}</ref>
 
घातक मिरिस्टिसिन विषाक्तन मानव में बहुत दुर्लभ होते हैं, लेकिन अब तक दो की जानकारी मिली है, पहला है 8 वर्षीय बच्चे में<ref>{{cite web|url=http://www.erowid.org/plants/nutmeg/nutmeg_journal1.shtml|title=The Use of Nutmeg as a Psychotropic Agent|access-date=14 अप्रैल 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20100429073428/http://www.erowid.org/plants/nutmeg/nutmeg_journal1.shtml|archive-date=29 अप्रैल 2010|url-status=live}}</ref> और एक 55 वर्षीय प्रौढ़ में<ref>{{cite web|url=http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/11343860|title=Nutmeg (myristicin) poisoning--report on a fatal case and a series of cases recorded by a poison information centre|access-date=14 अप्रैल 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20100222000719/http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/11343860|archive-date=22 फ़रवरी 2010|url-status=live}}</ref>.
 
मिरिस्टिसिन विषाक्तन यहां तक कि रसोई मात्रा में भी संभावित पालतू और पशुओं के लिए घातक होता है। इस कारण से, उदाहरण स्वरुप पशु के खाद्य में [[एग्गनोग]] मिलाकर कुत्तों को नहीं खिलाने की सिफारिश की गई है।<ref>{{cite web|url=http://www.dog-first-aid-101.com/toxic-foods.html|title=Don't Feed Your Dog Toxic Foods|access-date=14 अप्रैल 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20100208231140/http://www.dog-first-aid-101.com/toxic-foods.html|archive-date=8 फ़रवरी 2010|url-status=live}}</ref>
 
=== आनंददायक दवा के रूप में प्रयोग ===
जायफल का स्वाद में कड़वापन होने के चलते आनंददायक दवा के रूप में इसका सेवन अलोकप्रिय है और इसके संभावित नकारात्मक पक्ष भी होते हैं जिसमें चक्कर आना, तमतमाहट, शुष्क चेहरा, तेजी से दिल की धड़कन, अस्थायी कब्ज, पेशाब में कठिनाई, उबकाई शामिल हैं। इसके अलावा आमतौर पर इसका अनुभव 24 घंटे से भी अधिक रहता है और कभी-कभी 48 घंटे से भी अधिक होता है जो आनंददायक के बजाय अव्यावहारिक बनाता है। {{Citation needed|date=June 2009}}
 
नशा और (आनंद) जायफल के प्रभावों की उन्मत्तता और [[MDMA]] (आनंद) के बीच प्रत्याशित तुलना की गई है।<ref>{{cite web|url=http://leda.lycaeum.org/?ID=5469|title=MDMA|access-date=14 अप्रैल 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20051219031042/http://leda.lycaeum.org/?ID=5469|archive-date=19 दिसंबर 2005|url-status=dead}}</ref>
 
[[मैल्कम एक्स]] अपनी आत्मकथा में [[जेल]] [[कैदियों]] के जायफल पाउडर लेने की घटनाओं को बताया है, जो आमतौर पर एक गिलास पानी में पाउडर को मिलाकर पीते हैं और [[नशे में धुत]] हो जाते हैं। जेल गार्ड अंततः उनके इस अभ्यास को पकड़ लेता है और जेल प्रणाली में [[आनंददायक]] के रूप जायफल के इस्तेमाल पर रोक लगाने की कोशिश करता है। [[विलियम बुरोघ]] के ''[[नेकेड लंच]]'' की परिशिष्ट में उन्होंने उल्लेख किया है कि मरिजुआना की ही तरह जायफल भी अनुभव पैदा करता है लेकिन उबकाई से राहत देने के बजाए ये उसका कारण बन जाता है।
 
=== गर्भावस्था के दौरान विषाक्तता ===
जायफल को एक बार [[गर्भस्त्राव]] माना जाता था, लेकिन [[गर्भावस्था]] के दौरान रसोई उपयोग के लिए यह सुरक्षित हो सकता है। तथापि यह [[प्रोस्टाग्लैंडीन]] उत्पादन को रोकता है और इसमें विभ्रमजनक औषधियां होती हैं जिनका सेवन अधिक मात्रा में करने से गर्भ प्रभावित हो सकता है।<ref>[http://www.babycentre.co.uk/pregnancy/isitsafeto/herb&amp;drugchart/ Herb and drug safety chart] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20121015052448/http://www.babycentre.co.uk/pregnancy/isitsafeto/herb%26drugchart |date=15 अक्तूबर 2012 }} ब्रिटेन के बेबीसेंटर से हर्ब और दवा सुरक्षा चार्ट</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[जायफल का वृक्ष]] (Myristica fragrans)
* [[नियंत्रण (द्वीप)]]: सत्रहवीं शताब्दी में जायफल के स्रोत के लिए ब्रिटिश डच में प्रतिद्वंद्विता.
{{Commons category}}
{{wikispecies}}
 
== फूटनोट्स ==
<references></references>
 
== सन्दर्भ ==
* शूल्जिन, A. T., सर्जेंट, T.W और नारान्जो, C. (1967). केमिस्ट्री एण्ड साइकोफार्माकॉलोजी ऑफ नट्मेग एण्ड ऑफ सेवेरल रीलेटेड फेनिलिजोप्रोपिलामाइन्स. ''यूनाइटेड स्टेट्स पब्लिक हेल्थ सर्विसेस पब्लिकेशन'' 1645: 202-214.
* गेबल, R. S. (2006). द टोक्सीसिटी ऑफ रिक्रिएशनल ड्रग्स ''अमेरिकन साइंसटिस्ट'' 94: 206-208.
* डेवेरिएक्स, P. (1996). ''री-विजनिंग द अर्थ: ए गाइड टू ओपनिंग द हिलिंग चैनल्स बिटविन माइन्ड एण्ड नेचर'' . न्यू यॉर्क: फायरसाइड. pp.&nbsp;261–262.
* मिल्टन, गाइल्स (1999), ''नेथेनियल्स नट्मेग: हाउ वन मैन्स कॉरेज चेंज्ड द कोर्स ऑफ हिस्ट्री''
* [https://web.archive.org/web/20100410030143/http://www.erowid.org/plants/nutmeg/nutmeg.shtml Erowid Nutmeg Information]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20091207015926/http://www.alternet.org/drugreporter/140480/do_you_know_about_the_narcotic_effects_of_nutmeg Do You Know About the Narcotic Effects of Nutmeg?]
* [https://web.archive.org/web/20050527134308/http://pages.unibas.ch/mdpi/ecsoc-3/d0002/d0002.html Antifungal Properties of Nutmeg Essential oil]


{{जड़ी बूटी एवं मसाले}}


[[श्रेणी:मिरिस्टिका]]
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गोवा में मिरिस्टिका फ्रेग्रंस वृक्ष
वृक्ष पर जायफल (केरल)

जायफल (वानस्पतिक नाम: Myristica fragrans ; संस्कृत: जातीफल) एक सदाबहार वृक्ष है जो इण्डोनेशिया के मोलुकास द्वीप (Moluccas) का देशज है। इससे दो मसाले प्राप्त होते हैं - जायफल (nutmeg) तथा जावित्री (mace)। यह चीन, ताइवान, मलेशिया, ग्रेनाडा, केरल, श्रीलंका, और दक्षिणी अमेरिका में खूब पैदा होता है।

मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है। मिरिस्टका की अनेक जातियाँ हैं परंतु व्यापारिक जायफल अधिकांश मिरिस्टिका फ्रैग्रैंस से ही प्राप्त होता है। मिरिस्टिका प्रजाति की लगभग ८० जातियाँ हैं, जो भारत, आस्ट्रेलिया तथा प्रशंत महासागर के द्वीपों में उपलब्ध हैं। यह पृथग्लिंगी (डायोशियस, dioecious) वृक्ष है। इसके पुष्प छोटे, गुच्छेदार तथा कक्षस्थ (एक्सिलरी, axillary) होते हैं।

मिरिस्टिका वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। यह बीज चारों ओर से बीजोपांग (aril) द्वारा ढँका रहता है। यही बीजोपांग व्यापारिक महत्व का पदार्थ जावित्री है। इस वृक्ष का फल छोटी नाशपाती के रूप का १ इंच से डेढ़ इंच तक लंबा, हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदा होता है। परिपक्व होने पर फल दो खंडों में फट जाता है और भीतर सिंदूरी रंग का बीजोपांग या जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके काष्ठवत् खोल को तोड़ने पर भीतर जायफल (nutmeg) प्राप्त होता है। जायफल तथा जावित्री व्यापार के लिये मुख्यत: पूर्वी ईस्ट इंडीज से प्राप्त होता हैं।

जायफल का वृक्ष समुद्रतट से ४००-५०० फुट तक की ऊँचाई पर उष्णकटिबंध की गरम तथा नम घाटियों में पैदा होता है। इसकी सफलता के लिये जल-निकास-युक्त गहरी तथा उर्वरा दूमट मिट्टी उपयुक्त है। इसके वृक्ष ६-७ वर्ष की आयु प्राप्त होने पर फूलते-फलते हैं। फूल लगने के पहले नर या मादा वृक्ष का पहचाना कठिन होता है। ग्रैनाडा (वेस्ट इंडीज) में साधारणत: नर तथा मादावृक्ष ३ : १ के अनुपात में पाए जाते हैं जमैका के वनस्पति उद्यान में जायफल के छोटे पौधों पर मादावृक्ष की टहनी कलम करके मादा वृक्ष की संख्यावृद्धि में सफलता प्राप्त की गई है।

परिचय

जीनस मिरिस्टिका में पेड़ों की कई प्रजातियों में जायफल होते हैं। व्यावसायिक प्रजातियों में से मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है, यह सदा बहार वृक्ष मूल रूस से इंडोनेशिया के मोलुकस के बंडा द्वीप या स्पाइस द्वीप में पाए जाते हैं। जायफल वृक्ष दो मसालों के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो जायफल और जावित्री दो फलों से लिया गया है।[१]

वृक्ष की वास्तविक बीज जायफल है, जो मोटे तौर पर अंडे के आकार का होता है और स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। लंबा और स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। चौड़ा और स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। के बीच वजन होता है, जबकि जावित्री एक सूखा "लैसदार" लाल कवर या बीज को ढ़कने वाला छिलका होता है। यही एक ऐसा उष्णकटिबंधीय फल है जिसका स्रोत दो अलग मसाले हैं।

इसके वृक्ष से कई अन्य व्यावसायिक उत्पादों का भी उत्पादन होता है, जिसमें आवश्यक तेल, निचोड़े हुए ओलियोरेसिन्स और जायफल मक्खन शामिल हैं (नीचे देखें).

जायफल का बाहरी सतह आसानी से कुचल जाता है।

पेरिक्रेप (फल / फली) का प्रयोग ग्रेनाडा में जैम बनाने के लिया किया जाता है जिसे "मोर्ने डेलिस" कहा जाता है। इंडोनेशिया में भी इस फल से जैम बनाया जाता है जिसे सेलेई वुआह पाला कहा जाता है या इसे पतले रूप में काट कर चीनी के साथ पकाया जाता है और सुगंधित कैंडी बनाने के लिए उसे रवादार बनाया जाता है जिसे मनिसन पाला कहा जाता है ("जायफल मिठाई").

सामान्य या सुगंधित जायफल मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस का मूल उत्पादन इंडोनेशिया के बांडा द्वीप में होता है लेकिन मलेशिया के पेनांग द्वीप और कैरिबियन में भी इसका उत्पादन होता है, विशेष कर ग्रेनाडा में. साथ ही इसकी उपज केरल में भी होती है, जो भारत के दक्षिण भाग में स्थित एक राज्य है। जायफल के अन्य प्रजातियों में न्यू गुइयाना से पपुअन जायफल M. अर्जेनटिया, भारत से बम्बई जायफल M. मालाबरिका, जिसे हिन्दी में जायफल कहते हैं, शामिल हैं; दोनों का उपयोग M. फ्रेग्रेंस के अपमिश्रक उत्पाद के रूप में होता है।

प्रमुख मिरिस्टका प्रजातियां

   M. अल्बा
M. एम्पलियाटा
M. अंडामानिका
M. अर्फाकेनसिस
M. अर्जेंटिया
M. बसिलानिका
M. ब्राचेपोडाbrachypoda
M. ब्रेविटाइप्स
M. बुचनेरियाना
M. बिसासिया
M. सिलानिका
M. सिनामोमिया
M. कोयक्टा
M. कोलिनरिड्सडालेई
M. कोंसपर्सा
M. कोर्टीसाटा
M. क्रासा
   M. डेसीकार्पा
M. डेप्रेसा
M. डेवोजेली
M. एलिपटिका
M. एक्सटेंसा
M. फेसीकुलाटा
M. फिलिपेस
M. फिसुराटा
M. फ्लेवोविरेंस
M. फ्रेग्रंस
M. फ्रुगीफेरा
M. जिगांटिया
M. गिलेसपियाना
M. ग्लोबोसा
M. ग्रांडीफोलिया
M.ग्वाडालकेनालेंसिस
M. ग्वेटरीफोलिया
  M.ग्विलामिनियाना
M. होल्लरूंगी
M. इनायक्वेलिस
M. इनक्रेडिबिलिस
M. इनर्स
M. इनुनडाटा
M. इनुटिलिस
M. कल्कमनी
M. जेलबर्गी
M. लेप्टोफिला
M. मेक्रोफिला
M. मालाबरिका
M. मेक्सिमा
M. ओटोबा
M. प्लाटीपर्मा
M. सिंकलेयरी
M. जायलोकर्पाxylocarpa

रसोई में प्रयोग

जायफल का वृक्ष

जायफल और जावित्री का स्वाद गुण लगभग समान होता है, जायफल थोड़ा अधिक मीठा होता है वहीं जावित्री का स्वाद अधिक स्वादिष्ट होता है। अक्सर जावित्री को हल्के खाद्य पदार्थों में इसके नारंगी और केसरिया रंग के कारण प्रयोग किया जाता है। जायफल में अतिरिक्त रूप से चीज़ सॉस मिलाने से वह और भी स्वादिष्ट हो जाता है और वह सबसे ताजा अंगीठी है (अंगीठी जायफल देखें). म्यूल्ड साइडर(बिना अल्कोहल वाला सेब की मदिरा),म्यूल्ड शराब और एग्गनोग में जायफल एक परंपरागत मसाला है।

पेनांग व्यंजनों में जायफल का अचार बनाया जाता है और ये अचार टोपिंग्स के रूप में विशिष्ट पेनांग एस कसांग पर कटे होते हैं। जायफल मिश्रित भी होते हैं (ताजा बनाने के लिए, हरे, टंगी स्वाद और सफेद रंग का रस) या उबले हुए होते हैं (परिणामस्वरूप बहुत मीठा और भूरे रंग का रस होता है) जिससे आइस्ड जायफल का रस बनाया जाता है या पेनांग होक्केन जिसे "लाउ हउ पेंग" कहा जाता है, के रूप में बनाया जाता है।

भारतीय व्यंजनों में जायफल का प्रयोग मिठाई के साथ-साथ स्वादिष्ट व्यंजनों में किया जाता है (मुख्य रूप से मुगलाई व्यंजनों में). भारत के अधिकांश भागों में इसे जायफल के रूप में जाना जाता है वहीं केरल में इसे जतिपत्रि और जथी बीज कहा जाता है। इसका प्रयोग कम मात्रा में गरम मसाले में भी किया जा सकता है। भारत में भूमि जायफल का प्रयोग धूम्रपान के लिए भी किया जाता है। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]

मध्य पूर्वी व्यंजनों में भूमि जायफल का इस्तेमाल अक्सर स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए एक मसाले के रूप में किया जाता है। अरबी में जायफल को Jawzt at-Tiyb कहा जाता है।

ग्रीस और साइप्रस में जायफल को μοσχοκάρυδο (मोस्चोकारीडो) (ग्रीक: "मुस्की नट") और खाना पकाने और स्वादिष्ट व्यंजनों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

यूरोपीय व्यंजनों में जायफल का इस्तेमाल विशेष रूप से आलू के व्यंजनो और परिष्कृत मांस उत्पादों में की जाती है; सूप, सॉस और पके हुए भोजन में भी वे इसका इस्तेमाल करते हैं। डच व्यंजनों में जायफल काफी लोकप्रिय है, चोकीगोभी, गोभी और पतले सेम की तरह सब्जियों में इसका उपयोग किया जाता है।

विभिन्न जापानी करी पाउडर में जायफल का इस्तेमाल एक घटक के रूप में शामिल किया जाता है।

कैरेबियन में जायफल का इस्तेमाल अक्सर बुशवेक्कर, पेनकिलर, बार्वाडोस रम पंच जैसे पेय पदार्थो में किया जाता है। आमतौर पर इसे सिर्फ पेय पदार्थ के ऊपर छिड़का जाता है।

महत्वपूर्ण तेल

जायफल बीज

भूमि जायफल के भाप आसवन द्वारा महत्वपूर्ण तेल प्राप्त किया जाता है और इत्रादि सुगंधित वस्‍तुऍं या सामग्री और दवा में उद्योगों में भारी मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल रंगहीन या हल्का पीले रंग की होती है और इसमें जायफल की खुशबू और स्वाद आती है। ओलियोकेमिकल उद्योग के लिए इसके अनेक अंश महत्वपूर्ण होते हैं और बेक किया हुए पदार्थों, सीरप्स, पेय पदार्थों और मिठाई में एक प्राकृतिक खाद्यपदार्थ के स्वाद के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह भूमि जायफल को प्रतिस्थापित करता है चूंकि यह भोजन में अंश को नहीं छोड़ता. इस महत्वपूर्ण तेल का इस्तेमाल कॉस्मेटिक और दवा उद्योगों में भी किया जाता है, उदाहरणस्वरूप टूथपेस्ट में और कुछ खांसी की दवाईयों प्रमुख संघटक के रूप में प्रयोग किया जाता है। परंपरागत चिकित्सा में जायफल और जायफल तेल का इस्तेमाल नसों और पाचन प्रणाली से संबंधित बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता था।

जायफल मक्खन

जायफल के बीज के निष्पीड़न से जायफल बटर की प्राप्ती होती है। यह अर्ध-ठोस और भूरे रंग की लाल होती है और इसमें जायफल का स्वाद और खुशबू आती है। जायफल का लगभग 75% (वजन द्वारा) बटर ट्रिमिरिल्स्टिन होता है जिसे मिरिस्टिक एसिड में तब्दील किया जा सकता है, एक 14-कार्बन फैटी एसिड, कोकोआ बटर के लिए एक स्थानापन्न के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और दूसरे चर्बियों के साथ मिश्रित किया जा सकता है जैसे कॉटनसीड तेल या ताड़ का तेल और एक औद्योगिक लुब्रिकेंट के रूप में भी संप्रयोग किया जाता है।

इतिहास

जायफल के अंदर मेस (लाल)

कुछ सबूत सुझाव देते हैं कि रोमन पादरी जायफल का इस्तेमाल अगरबत्ती के रूप में करते थे, हालांकि यह विवादास्पद है। यह जाना जाता है कि मध्ययुगीन व्यंजनों में यह महत्वपूर्ण और महंगा मसाला था जिसका इस्तेमाल व्यंजनों में स्वाद के लिए और दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता था और साथ ही एजेंटो के संरक्षण में भी इसका इस्तेमाल था क्योंकि उस समय यूरोपीय बाजारों में ये काफी मूल्यवान था। सेंट थियोडेर द स्टुडिटे (ca. 758 -. Ca 826) अपने संन्यासियों को उनके मटर के हलवा पर जब खाने की आवश्यकता होती थी तब उस पर जायफल छिड़कने की अनुमति देने के लिए प्रसिद्ध था। एलिज़ाबेथन के समय में ऐसा माना जाता था कि जायफल ने प्लेग को दूर किया था इसलिए जायफल काफी लोकप्रिय था। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]

विश्व भर में एक छोटा सा बांडा द्वीप ही जायफल और जावित्री का एकमात्र स्रोत था। मध्य युग के दौरान जायफल का अरब द्वारा कारोबार किया गया और वेनिस को अत्यधिक कीमतों के लिए बेच दिया गया था, पर व्यापारियों ने लाभदायक हिंद महासागर व्यापार में उनके स्रोत के सटीक स्थान को प्रकट नहीं किया था और कोई भी यूरोपीयन उनके स्थान का पता लगाने में सक्षम नहीं थे।

अगस्त 1511 में पुर्तगाल के राजा की ओर से अफोंसो दे अल्बुकर्क ने मलक्का पर विजय प्राप्त की, जो उस समय एशियाई व्यापार का केंद्र था। मलक्का को प्राप्त करने और बांडा स्थान के अध्ययन के बाद उस साल के नवंबर में अल्बुकर्क ने अपने एक अच्छे दोस्त एंटोनियो डे एब्रियू के नेतृत्व में तीन जहाजों के एक अभियान के साथ उन्हें खोजने के लिए भेजा. मलय पायलटों को या तो भर्ती कराया गया था या जबरन रखा गया था, उन्हें जावा द्वारा लेसर संडस और अम्बों से बांडा तक का निर्देशन दिया गया और 1512 के प्रारम्भ में वहां पहुंचे।[२] पहली बार यूरोपीयन बांडा तक पहुंचे और यह अभियान करीब एक महीने तक जारी बांडा में रहा और वे बांड़ा के जायफल और मेस की खरीदारी करते रहे और जहाज में रखते गए, साथ ही लाँग की भी खरीदारी एंटरपोट से की जिसका बंडा में एक सम्पन्न व्यापार था।[३] सुमा ओरियंटल किताब में पहली बार बांडा के व्यापार का वर्णन किया गया है जिसे एक पुर्तगाली औषधकार टोमे पिरेस द्वारा लिखा गया था और 1512 से 1515 के मलक्का के आधार पर यह किताब लिखी गई है। लेकिन इस व्यापार का पूरा नियंत्रण संभव नहीं था और जब से टर्नेट अधिकारियों ने बांडा द्वीप के जायफल उत्पादन पर नियंत्रण रखा, जो काफी सीमित था, तबसे वे मालिक के बजाए केवल हिस्सेदार बनकर रह गए। इसलिए, द्वीप में पुर्तगाली अपनी पकड़ मज़बूत करने में विफल रहे।

बाद में 17 वीं शताब्दी में डच ने जायफल के व्यापार में अपना वर्चस्व कायम किया। ब्रिटिश और डच लंबे समय तक द्वीप पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए संघर्ष में लगे रहे, जो जायफल का एकमात्र स्रोत था। द्वितीय आंग्ल-डच युद्ध के अंत में ब्रिटिश के उत्तरी अमेरिका में न्यू एम्सटरडेम (न्यूयार्क) पर नियंत्रण करने के बदले डच को इसकी नियंत्रण प्राप्त हुई।

1621 में द्वीप के अधिकांश निवासियों की हत्या या निष्कासन को समाप्त करने के लिए विस्तृत सैन्य अभियान के बाद बांडा द्वीप पर नियंत्रण स्थापित करने में डच सफल रहे। इसके बाद दूसरे स्थानों के जायफलों को उखाड़न के लिए वार्षिक स्थानीय युद्ध अभियानों को बढ़ाने के साथ बांडा द्वीप को वृक्षारोपण एस्टेट की एक श्रृंखला के रूप में नियंत्रित किया गया था।

नपालियान युद्धों के दौरान डच राजाओं के भीतर एक परिणाम के रूप में अंग्रेजों ने नेबांडा द्वीप पर अस्थायी रूप से नियंत्रण प्राप्त कर लिया और अपने औपनिवेशिक क्षेत्रों में जायफल का प्रतिरोपण किया, विशेष रूप से ज़ंजीबार और ग्रेनाडा में रोपण किया। आज एक जायफल की खंडित शैली ग्रेनाडा के राष्ट्रीय ध्वज पर पाई जाती है।

कनेक्टिकट से यह अपना उपनाम ("जायफल राज्य", "नट्मेगर") एक किंवदन्ति से प्राप्त करता है जिसमें कुछ विवेकहीन व्यापारी लकड़ी से खरोच-खरोच कर जायफल बना लेते थे जिसे "लकड़ी का जायफल" कहते थे (एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ किसी भी जालसाजी से था) [१].

विश्व उत्पादन

चित्र:Nutmeg.JPG
मेस जायफल के लिए वाणिज्यिक जार

जायफल का विश्व उत्पादन प्रति वर्ष स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। के बीच अनुमानित है और विश्व भर में वार्षिक मांग स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। का अनुमान लगाया गया है और मेस का उत्पादन स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। अनुमानित है। इंडोनेशिया और ग्रेनाडा में इसका उत्पादन सबसे अधिक है और विश्व बाजार में क्रमशः 75% और 20% की हिस्सेदारी के साथ दोनों उत्पादों का निर्यात करता है। अन्य निर्माताओं भारत, मलेशिया (विशेष रूप से पेनांग शामिल है जहां जंगली क्षेत्रों में पेड़ देशी हैं), पापुआ न्यू गिनी, श्रीलंका और कैरेबियाई द्वीप जैसे सेंट विन्सेन्ट. मुख्य आयात बाजारों में यूरोपीय समुदाय, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और भारत हैं। सिंगापुर और नीदरलैंड दोबारा निर्यातकों में प्रमुख हैं।

एक समय में जायफल सबसे मूल्यवान मसालों में से एक था। इंग्लैंड में यह कहा गया है कि, कई सैकड़ों वर्ष पहले जीवन के लिए वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कुछ जायफलों को पर्याप्त पैसे में बेचा जा सकता था।

जायफल के पहले फसल बोने के बाद 7-9 साल में यह परिपक्वता प्राप्त करती है और 20 साल के बाद वृक्ष अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सफल होती है।

मानसिक प्रभाव और विषाक्तता

कम मात्रा में जायफल शारीरिक या न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया पैदा नहीं करता है।

जायफल में मिरिस्टिसिन होता है एक कमजोर मोनोमाइन ओक्सीडेस इन्हिबिटर होता है। मिरिस्टियन विषाक्तन संक्षौभ, धकधकी, उबकाई, संभावित निर्जलीकरण और सामान्यीकृत शरीर दर्द को उत्प्रेरित कर सकता है।[४] इसे एक मजबूत प्रलापक माना जाता है।[५]

घातक मिरिस्टिसिन विषाक्तन मानव में बहुत दुर्लभ होते हैं, लेकिन अब तक दो की जानकारी मिली है, पहला है 8 वर्षीय बच्चे में[६] और एक 55 वर्षीय प्रौढ़ में[७].

मिरिस्टिसिन विषाक्तन यहां तक कि रसोई मात्रा में भी संभावित पालतू और पशुओं के लिए घातक होता है। इस कारण से, उदाहरण स्वरुप पशु के खाद्य में एग्गनोग मिलाकर कुत्तों को नहीं खिलाने की सिफारिश की गई है।[८]

आनंददायक दवा के रूप में प्रयोग

जायफल का स्वाद में कड़वापन होने के चलते आनंददायक दवा के रूप में इसका सेवन अलोकप्रिय है और इसके संभावित नकारात्मक पक्ष भी होते हैं जिसमें चक्कर आना, तमतमाहट, शुष्क चेहरा, तेजी से दिल की धड़कन, अस्थायी कब्ज, पेशाब में कठिनाई, उबकाई शामिल हैं। इसके अलावा आमतौर पर इसका अनुभव 24 घंटे से भी अधिक रहता है और कभी-कभी 48 घंटे से भी अधिक होता है जो आनंददायक के बजाय अव्यावहारिक बनाता है। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]

नशा और (आनंद) जायफल के प्रभावों की उन्मत्तता और MDMA (आनंद) के बीच प्रत्याशित तुलना की गई है।[९]

मैल्कम एक्स अपनी आत्मकथा में जेल कैदियों के जायफल पाउडर लेने की घटनाओं को बताया है, जो आमतौर पर एक गिलास पानी में पाउडर को मिलाकर पीते हैं और नशे में धुत हो जाते हैं। जेल गार्ड अंततः उनके इस अभ्यास को पकड़ लेता है और जेल प्रणाली में आनंददायक के रूप जायफल के इस्तेमाल पर रोक लगाने की कोशिश करता है। विलियम बुरोघ के नेकेड लंच की परिशिष्ट में उन्होंने उल्लेख किया है कि मरिजुआना की ही तरह जायफल भी अनुभव पैदा करता है लेकिन उबकाई से राहत देने के बजाए ये उसका कारण बन जाता है।

गर्भावस्था के दौरान विषाक्तता

जायफल को एक बार गर्भस्त्राव माना जाता था, लेकिन गर्भावस्था के दौरान रसोई उपयोग के लिए यह सुरक्षित हो सकता है। तथापि यह प्रोस्टाग्लैंडीन उत्पादन को रोकता है और इसमें विभ्रमजनक औषधियां होती हैं जिनका सेवन अधिक मात्रा में करने से गर्भ प्रभावित हो सकता है।[१०]

इन्हें भी देखें

साँचा:wikispecies

फूटनोट्स

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. हन्नार्ड (1991), पृष्ठ 7 साँचा:cite book
  3. हन्नार्ड (1991), पृष्ठ 7
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite web
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite web
  10. Herb and drug safety chart स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। ब्रिटेन के बेबीसेंटर से हर्ब और दवा सुरक्षा चार्ट

सन्दर्भ

  • शूल्जिन, A. T., सर्जेंट, T.W और नारान्जो, C. (1967). केमिस्ट्री एण्ड साइकोफार्माकॉलोजी ऑफ नट्मेग एण्ड ऑफ सेवेरल रीलेटेड फेनिलिजोप्रोपिलामाइन्स. यूनाइटेड स्टेट्स पब्लिक हेल्थ सर्विसेस पब्लिकेशन 1645: 202-214.
  • गेबल, R. S. (2006). द टोक्सीसिटी ऑफ रिक्रिएशनल ड्रग्स अमेरिकन साइंसटिस्ट 94: 206-208.
  • डेवेरिएक्स, P. (1996). री-विजनिंग द अर्थ: ए गाइड टू ओपनिंग द हिलिंग चैनल्स बिटविन माइन्ड एण्ड नेचर . न्यू यॉर्क: फायरसाइड. pp. 261–262.
  • मिल्टन, गाइल्स (1999), नेथेनियल्स नट्मेग: हाउ वन मैन्स कॉरेज चेंज्ड द कोर्स ऑफ हिस्ट्री
  • Erowid Nutmeg Information

बाहरी कड़ियाँ