"शिशु" के अवतरणों में अंतर
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[[File:A grand mother with a baby.jpg|thumb|एक शिशु अपनी दादी के साथ]] | |||
[[File:New Born Male Baby.jpg|thumb|30 मिनट पहले जन्मा एक भारतीय नवजात शिशु]] | |||
[[चित्र:Human-Male-White-Newborn-Baby-Crying.jpg|thumb|200x200px|एक रोता हुआ नवजात शिशु]] | |||
'''शिशु''' पृथ्वी पर किसी भी मानव (प्राणी) की सबसे पहली अवस्था है। जन्म से एक मास तक की आयु का शिशु '''नवजात''' (नया जन्मा) कहलाता है जबकि एक महीने से तीन साल तक के बच्चे को सिर्फ शिशु कहते हैं। आम बोल चाल की भाषा मे नवजात और शिशु दोनो को ही '''बच्चा''' कहते हैं। एक दूसरी परिभाषा के अनुसार जबतक बालक या बालिका आठ वर्ष के नहीं हो जाते तब तक वे शिशु कहलाते हैं। | |||
== शिशु देखभाल == | |||
शिशुओं का रोना एक [[स्वाभाविक क्रिया]] है, जो उनके लिए [[संचार]] का बुनियादी साधन है। एक शिशु रोकर [[भूख]], [[बेचैनी]], [[उब]] या अकेलापन जैसी कई भावनाओं को अभिव्यक्त करने की कोशिश करता है। | |||
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[[स्तनपान]] की सिफारिश सभी प्रमुख शिशु स्वास्थ्य संगठन करते हैं। अगर किसी कारण वश स्तनपान संभव नहीं है तो शिशु को बोतल से दूध पिलाया जा सकता है जिसके लिए माता का निकाला हुआ दूध या फिर डिब्बे का शिशु फार्मूला दिया जा सकता है। | |||
शिशु [[चूषण|चूसने]] की एक स्वाभाविक प्रवृति के साथ जन्म लेते है और इसके द्वारा वो [[स्तनाग्र]] (चुचुक) से या बोतल के निप्पल से दूध चूसते हैं। कई बार शिशुओं को दूध पिलाने के लिये [[धाय]] को रखा जाता है पर आजकल यह बिरले ही होता है विशेष रूप से विकसित देशों में। | |||
जैसे जैसे शिशु की आयु मे वृद्धि होती है उसे दूध के अतिरिक्त [[ठोस आहार]] की आवश्यकता भी होती है, कई माता पिता इसकी पूर्ति के लिए डिब्बा बंद शिशु आहार (जैसे सेरेलेक) का चयन करते हैं मां के दूध या दुग्ध फार्मूला का पूरक होता है। बाकी लोग अपने बच्चे के आहार की जरूरत के लिए अपने सामान्य भोजन को उसकी आवश्यकताओं को अनुसार अनुकूलित कर लेते है (जैसे पतली खिचड़ी या दलिया)। | |||
जब तक शिशु स्वयं शौचालय जाने के लिए प्रशिक्षित होते है, वो [[लंगोट]], पोतड़ा या [[डाइपर]] (औद्योगीकृत देशों में) पहनते हैं। | |||
बच्चे वयस्कों की तुलना में अधिक सोते है पर जैसे जैसे उनकी आयु बढ़ती है उनके [[निंद्राकाल]] मे गिरावट आती है। नवजात शिशुओं के लिए 18 घंटे तक की नींद की आवश्यकता होती है। जब तक बच्चे चलना सीखते हैं उन्हें गोद मे उठाया जाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें बच्चागाड़ी या प्राम मे भी बैठा कर या लिटा कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। | |||
अधिकतर विकसित देशों मे कानूनन मोटर वाहनों में शिशुओं को सिर्फ उनके लिए विशेष रूप से बनी सुरक्षा सीट मे ही बिठाया जा सकता है। | |||
[[श्रेणी:मानव जीवन]] | |||
[[श्रेणी:शैशव]] |
१०:५२, १५ फ़रवरी २०२१ के समय का अवतरण
शिशु पृथ्वी पर किसी भी मानव (प्राणी) की सबसे पहली अवस्था है। जन्म से एक मास तक की आयु का शिशु नवजात (नया जन्मा) कहलाता है जबकि एक महीने से तीन साल तक के बच्चे को सिर्फ शिशु कहते हैं। आम बोल चाल की भाषा मे नवजात और शिशु दोनो को ही बच्चा कहते हैं। एक दूसरी परिभाषा के अनुसार जबतक बालक या बालिका आठ वर्ष के नहीं हो जाते तब तक वे शिशु कहलाते हैं।
शिशु देखभाल
शिशुओं का रोना एक स्वाभाविक क्रिया है, जो उनके लिए संचार का बुनियादी साधन है। एक शिशु रोकर भूख, बेचैनी, उब या अकेलापन जैसी कई भावनाओं को अभिव्यक्त करने की कोशिश करता है।
स्तनपान की सिफारिश सभी प्रमुख शिशु स्वास्थ्य संगठन करते हैं। अगर किसी कारण वश स्तनपान संभव नहीं है तो शिशु को बोतल से दूध पिलाया जा सकता है जिसके लिए माता का निकाला हुआ दूध या फिर डिब्बे का शिशु फार्मूला दिया जा सकता है।
शिशु चूसने की एक स्वाभाविक प्रवृति के साथ जन्म लेते है और इसके द्वारा वो स्तनाग्र (चुचुक) से या बोतल के निप्पल से दूध चूसते हैं। कई बार शिशुओं को दूध पिलाने के लिये धाय को रखा जाता है पर आजकल यह बिरले ही होता है विशेष रूप से विकसित देशों में।
जैसे जैसे शिशु की आयु मे वृद्धि होती है उसे दूध के अतिरिक्त ठोस आहार की आवश्यकता भी होती है, कई माता पिता इसकी पूर्ति के लिए डिब्बा बंद शिशु आहार (जैसे सेरेलेक) का चयन करते हैं मां के दूध या दुग्ध फार्मूला का पूरक होता है। बाकी लोग अपने बच्चे के आहार की जरूरत के लिए अपने सामान्य भोजन को उसकी आवश्यकताओं को अनुसार अनुकूलित कर लेते है (जैसे पतली खिचड़ी या दलिया)।
जब तक शिशु स्वयं शौचालय जाने के लिए प्रशिक्षित होते है, वो लंगोट, पोतड़ा या डाइपर (औद्योगीकृत देशों में) पहनते हैं।
बच्चे वयस्कों की तुलना में अधिक सोते है पर जैसे जैसे उनकी आयु बढ़ती है उनके निंद्राकाल मे गिरावट आती है। नवजात शिशुओं के लिए 18 घंटे तक की नींद की आवश्यकता होती है। जब तक बच्चे चलना सीखते हैं उन्हें गोद मे उठाया जाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें बच्चागाड़ी या प्राम मे भी बैठा कर या लिटा कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है।
अधिकतर विकसित देशों मे कानूनन मोटर वाहनों में शिशुओं को सिर्फ उनके लिए विशेष रूप से बनी सुरक्षा सीट मे ही बिठाया जा सकता है।