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[[चित्र:Kalium.jpg|right|thumb|200px|पोटैशियम]]
'''पोटैशियम''' (Potassium) एक [[रासायनिक तत्व]] है। इसका प्रतीक ''''K'''' है। यह [[आवर्त सारणी|आर्वत सारणी]] के प्रथम मुख्य समूह का तत्व है। इसके दो स्थिर [[समस्थानिक]] (द्रव्यमान संख्या ३९ और ४१) ज्ञात हैं। एक अस्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ४०) प्रकृति में न्यून मात्रा में पाया जाता है। इनके अतिरिक्त तीन अन्य समस्थानिक ([[द्रव्यमान संख्या]] ३८, ४२ और ४३) कृत्रिम रूप से निर्मित हुए हैं। इसका नामकरण लैटिन भाषा के शब्द '''kailium''' (''कैलियम'')से हुआ है ।
== इतिहास ==
पोटैशियम के यौगिक पुरातन काल से ज्ञात हैं। [[चरक संहिता|चरकसंहिता]] में [[भस्म]] से [[क्षार]] बनाने की विधि का वर्णन आया है। चीनी तुर्किस्तान मे स्थित बुद्धमंदिर में एक चिकित्सा ग्रंथ की १८९० ई. में प्राप्ति हुई। इस ग्रंथ में यवक्षार (potassium carbonate) का वर्णन आया है। उपर्युक्त बातों से ज्ञात होता है कि पौटैशियम क्षारों का उपयोग पुरातन काल में ओषधि तथा रासायनिक क्रियाओं में होता था।
पोटैशियम तत्व का पृथक्करण १८०७ ई. में सर [[हंफ्री डेवी]] ने पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के विद्युद्विश्लैषण द्वारा किया। पोटाश शब्द के आधार पर डेवी ने इस तत्व का नाम पोटैशियम रखा।
== उपस्थिति ==
पोटैशियम अत्यंत सक्रिय तत्व होने के कारण यौगिक अवस्था में ही पाया जाता है। इसके यौगिक पृथ्वी में समुचित मात्रा में फैले हैं। अनेक चट्टानों में इसके जटिल सिलिकेट उपस्थित रहते हैं। भूपर्पटी में २.६ प्रतिशत पोटैशियम रहता है। समुद्र में इस तत्व के यौगिकों का प्रचुर परिमाण है, परंतु प्रतिशत मात्रा में कम होने के कारण अभी उसका अधिक उपयोग नहीं हो पाया। जर्मनी में [[स्ट्रैसफुर्ट]] (Strassfurt) प्रदेश में इसके बहुत समृद्ध स्रोत हैं, जिनमें पोटैशियम क्लोराइड या सिलवाइट (sylvite) बड़ी मात्रा में मैग्नीशियम और कैल्सियम लवणों के साथ मिश्रित दशा में पाया जाता है। [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य अमरीका]], के कैलोफॉनिया प्रदेश में पोटैशियम के लवण पाए जाते हैं। [[भारत]] में [[पोटैशियम नाइट्रेट|शोरा]] (saltpetre), केनाइट (kanite, KCl, MgSO<sub>4</sub>, 3H<sub>2</sub>O) और लैंगबीनाइट (langbenie, K<sub>2</sub>SO<sub>4</sub>, 2MgSO<sub>4</sub>) पोटैशियम के मुख्य प्राप्य यौगिक है। ये [[सांभर झील]] में समुचित मात्रा में मिलते हैं।
== निर्माण ==
पोटैशियम धातु का निर्माण डेवी की विधि पर निर्भर है। इसमें विशुद्ध पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड अथवा कॉस्टिक पोटाश (KOH) का संगलित अवस्था में विद्युद्विश्लेषण करने पर, पोटैशियम लौह के ऋण विद्युदग्र पर जमा हो जाता है। कॉस्टिक पोटाश के स्थान पर पोटैशियम क्लोराइड (KCl) और पोटैशियम फ्लोराइड (KF) का संमिश्रण भी लिया जाता है।
== गुण धर्म ==
[[चित्र:FlammenfärbungK.png|right|thumb|300px|[[ज्वाला परीक्षण]]]]
पोटैशियम नीलिमा लिए चमकदार श्वेत धातु है, जो ०० सें. ताप पर कठोर और [[भंगुर]] है, परंतु साधारण ताप पर इतना कोमल होता है कि चाकू से काटा जा सकता है। इसके कुछ भौतिक गुण निम्नांकित हैं : संकेत K, परमाणुसंख्या १९, परमाणुभार ३९.१०२, गलनांक ६२.५० सें., क्वथनांक ७६०० सें. घनत्व ०.८६५, परमाणुव्यास ४.७६ ऐंग्स्ट्रम, विद्युतप्रतिरोधकता ६.१५ माइक्रोओहम-मेंमी. तथा आयनीकरण विभव ४.३२९ इवो. है।
पोटैशियम वायु में शीघ्र मलिन हो जाता है और गर्म करने पर पिद्यलकर जलता है। जल में डालने पर विस्फोट के साथ क्रिया करके बैंगनी ज्वाला के साथ जलता है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन मुक्त होता है, जो उच्च ताप के कारण वायु के संपर्क में जलने लगता है। पोटैशियम के वाष्प के कारण ज्वाला रंग बैंगनी हो जाता है। पोटैशियम को तेल अथवा निष्क्रिय वातावरण में सुरक्षित रखते हैं।
[[सोडियम]] की भाँति पोटैशियम भी द्रव ऐमोनिया में घुलकर नीला विलयन देता है और पोटैशमाइड (potassamide, KNH<sub>2</sub>) बनता है। २००० सें. से ४००० सें. ताप पर पोटैशियम हाइड्रोजन को अपने अंदर अधिधारित कर लेता है। ऐसा अनुमान है कि इस दशा में एक यौगिक (ख़्क्त) बनता है।
== यौगिक ==
पोटैशियम एकसंयोजी यौगिक बनाता है। पोटैशियम परमाणु में चौथे कक्ष में केवल एक इलेक्ट्रान होता है। यदि यह इलेक्ट्रान परमाणु से निकल जाय, तो उसकी इलेक्ट्रान रचना आग्रन गैस के समान रह जायगी, जो स्थिर होती है। इस कारण प्रत्येक क्रिया में पोटैशियम की इस इलेक्ट्रॉन को प्रदान करने की प्रवृत्ति रहती है।
=== पोटैशियम के ऑक्साइड ===
पोटैशियम के निश्चित रूप से तीन ऑक्साइड, पोटैशियम ऑक्साइड (K<sub>2</sub>O), पोटैशियम डाइऑक्साइड (KO<sub>2</sub>) और पोटैशियम परऑक्साइड (K<sub>2</sub>O<sub>2</sub>), ज्ञात हैं। यदि पौटैशियम नाइट्राइड को पोटैशियम धातु के साथ वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाय, तो पोटैशियम ऑक्साइड प्राप्त होगा, जो मटमैला भंगुर पदार्थ है। यह बड़ा सक्रिय ऑक्साइड है और तीव्र गति से जल से अभिक्रिया कर पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है।
यदि पोटैशियम को अधिक ऑक्सीजन के वातावरण में जलाया जाय, तो नारंगी रंग का ठोस पोटैशियम डाऑक्साइड बनता है। यह अत्यंत सक्रिय यौगिक है और जल से क्रिया कर ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड दोनों मुक्त करता है। यह अनेक तत्वों का ऑक्सीकरण तीव्र गति से करता है।
यदि पोटैशियम को ऑक्सीजन की परिगणित मात्रा में गर्म किया जाय, तो पोटैशियम परऑक्साइड प्राप्त होगा, जो श्वेत रंग का ठोस पदार्थ है। यह जल से प्रक्रिया कर केवल हाइड्रोजन पर ऑक्साइड मुक्त करता है।
=== कॉस्टिक पोटाश ===
यह पोटैशियम क्लोराइड विलयन के वैद्युत् विघटन से बनता है। इदस क्रिया को केसनर-कैलनर विधि कहते हैं। यह श्वेत, अपारदर्शी, ठोस पदार्थ है और गरम करने पर शीघ्र ही गल जाता है। यह अत्यंत जलप्रिय तथा अत्यंत जल विलेय है। अम्लों से क्रिया कर यह विलेय लवण बनाता है।
=== पोटैशियम के हैलौजन यौगिक ===
फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन के साथ पोटैशियम के यौगिक ज्ञात हैं। कॉस्टिक पोटाश पर हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल (HF) की क्रिया से पोटैशियम फ्लोराइड, एक सामान्य फ्लोराइड (KF), दूसरा अम्लीय फ्लोराइड (KHF<sub>2</sub>) बनते हैं। पोटैशियम फ्लोराइड नमकीन स्वादवाला आर्द्रताग्राही ठोस पदार्थ है।
पोटैशियम क्लोराइड जर्मनी के स्ट्रैसफुर्ट प्रदेश में बहुत मात्रा में उपलब्ध है। मैग्नीशियम और कैल्सियम यौगिकों के साथ मिश्रित अवस्था में यह प्राय: मिलता है। यदि इसके विलयन में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस प्रवाहित की जाय, तो शुद्ध पोटैशियम क्लोराइड का अवक्षेप प्राप्त होगा और अन्य यौगिक विलयित अवस्था में रहेंगे। पोटैशियम क्लोराइड उर्वरक तथा अन्य पोटैशियम लवणों के बनाने के उद्योग में बड़ी मात्रा में काम आता है।


पोटैशियम ब्रोमाइड (KBr) और आयोडाइड (KI) कॉस्टिक पोटाश पर क्रमश: ब्रोमीन और आयोडीन की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त हो सकते हैं। ये दोनों लवण क्लोराइड से समानता रखते हैं, परंतु जल में उससे अधिक विलेय हैं। पोटैशियम ब्रोमाइड का फोटोग्राफी उद्योग में उपयोग होता है। दोनों यौगिक ओषधि के रूप में तथा रासायनिक प्रयोगशालाओं की अनेक क्रियाओं में काम आते हैं।
{{drugbox
|name  =


|pregnancy_category  = AB03
=== पोटैशियम के गंधक यौगिक ===
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[[गंधक]] के साथ पोटैशियम सल्फाइड और इसका जल के ५ अणुओं से संयुक्त हो (K<sub>2</sub>S, 5H<sub>2</sub>O) क्रिस्टल बनता है। इसके अतिरिक्त कॉस्टिक पोटाश के विलयन में हाइड्रोजन सल्फाइड प्रवाहित करने से पोटैशियम हाइड्रोसल्फाइड (KHS) बनता है। कॉस्टिक पोटाश विलयन में सलफर डाइआक्साइड (SO<sub>2</sub>) प्रवाहित करने पर पर पोटैशियम सल्फाइट (K<sub>2</sub>SO<sub>3</sub>) बनेगा।
|ATC_suffix  = <Macro 'metabolism'>
 
|ChemSpiderID  = 770
पोटैशियम सल्फेट (K<sub>2</sub>SO<sub>4</sub>) स्ट्रैसफुर्ट के खनिजों में उपलब्ध है। यह अनेक रासायनिक उद्योगों में उपजात के रूप में भी मिलता है। इसका अम्लीय रूप पोटैशियम हाइड्रोजन सल्फेट (KHSO<sub>4</sub>) है। पोटैशियम सल्फेट का उपयोग ओषधियों, उर्वरक और फिटकरी के बनाने में प्राय: होता है।
|IUPHAR_ligand        = DB14500
 
|routes_of_administration    = 1420
=== पोटैशियम नाइट्रेट ===
|elimination_half-life    = 7440-09-7
कीमियागर इसे साल्टपीटर के नाम से संबोधित करते थे। प्रकृति में कार्बनिक पदार्थो के क्षय द्वारा यह बनता रहता है। बिहार में नोनी मिट्टी से यह निकाला जाता था। राजस्थान में साँभर झील के प्रदेश में भी उपलब्ध है।
|protein_bound =  
 
|metabolism = पोटेशियम अपरिवर्तित रूप में अवशोषित और उत्सर्जित होता है। [ए 186967, एल 2652]
=== पोटैशियम कार्बोनेट ===
|excretion = पोटेशियम मुख्य रूप से मूत्र में उत्सर्जित होता है, मल में थोड़ी मात्रा में उत्सर्जित होता है, और लापरवाही से पसीने (पसीने) में होता है।आहार सेवन के अनुसार गुर्दे की प्रणाली पोटेशियम उत्सर्जन को नियंत्रित करती है । अंतर्ग्रहण के बाद स्वस्थ रोगियों में पोटेशियम का उत्सर्जन तेजी से बढ़ता है जब तक कि शरीर के भंडार समाप्त नहीं हो जाते। [L2652] पोटेशियम ग्लोमेरुलर निस्पंदन, ट्यूबलर पुनर्अवशोषण और डिस्टल ट्यूबलर स्राव से गुजरता है।नैदानिक ​​परिस्थितियों के आधार पर, शुद्ध ट्यूबलर स्राव और पुनर्अवशोषण के बीच पोटेशियम के गुर्दे की निकासी में बदलाव होता है। [A186967]
इसे पोटाश भी कहते हैं। बहुत काल तक यह काष्ठराख से प्राप्त किया जाता था, जिसको संस्कृत ग्रंथों में यवक्षार कहा गया है। आजकल लेब्लांक विधि से यह तैयार होता है। यह जल में बहुत विलेय है और क्षार गुण प्रधान है। यह कठोर काँच, पोटाश साबुन और कॉस्टिक पोटाश बनाने में काम आता है। इसके विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करने से पोटैशियम बाइकार्बोनेट (KHCO<sub>3</sub>) बनता है।
|synonyms =
 
|melting_point = 340 g/L
=== पोटैशियम के अविलेय यौगिक ===
|melting_notes = C03
पोटैशियम क्लोरोप्लैटिनेट (K<sub>2</sub>PtCl<sub>6</sub>) की [[विलेयता]] बहुत कम है। इसका पीला अवक्षेप पोटैशियम विश्लेषण में काम आता है। इसके अतिरिक्त पोटैशियम कोबाल्टीनाइट्राइट, K<sub>3</sub>, Co(NO<sub>2</sub>)<sub>6</sub>] भी अविलेय है, जो पोटैशियम और [[कोबाल्ट]] के विश्लेषण में प्रयुक्त होता है।
|boiling_point = https://www.chemicalbook.com/ChemicalProductProperty_EN_CB9137176.htm
 
|solubility = https://www.chemicalbook.com/ChemicalProductProperty_EN_CB9137176.htm
== उपयोग ==
}}
=== भोजन में===
==विवरण==
पोटैशियम क्लोराइड (KCl) का प्रयोग [[साधारण नमक]] (NaCl) के स्थान पर किया जाता है।
पोटेशियम एक आवश्यक पोषक तत्व है, जैसे [कैल्शियम] और [मैग्नीशियम] । अमेरिकियों के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देशों की 2015-2020 सलाहकार समिति द्वारा इसकी पहचान पोषक तत्व की कमी के रूप में की गई थी। [A186928] कई स्थितियां और बीमारियां शरीर के सामान्य पोटेशियम संतुलन में हस्तक्षेप करती हैं, और पोटेशियम की कम खपत इसका एक उदाहरण है।हाइपोकैलिमिया (कम पोटेशियम) या हाइपरकेलेमिया (उच्च पोटेशियम) का परिणाम हो सकता है, जो विभिन्न संकेतों और लक्षणों के रूप में प्रकट होता है । पोटेशियम से संबंधित जटिलताओं के कुछ उदाहरणों में जीवन के लिए खतरा अतालता, न्यूरोमस्कुलर डिसफंक्शन, दस्त, मतली और उल्टी शामिल हैं। [A32222, A38081, L2652] पोटेशियम की भरपाई के लिए विभिन्न औषधीय तैयारी तैयार की गई है।वे उपचार की सेटिंग और स्थिति के आधार पर टैबलेट, इंजेक्शन और अन्य रूपों के वर्गीकरण में उपलब्ध हैं । पोटेशियम अक्सर अंतःशिरा तरल पदार्थ के लिए एक प्रमुख घटक होता है, जो रोगियों को पुनर्जलीकरण, पोषण और इलेक्ट्रोलाइट्स की पुनःपूर्ति के लिए नैदानिक ​​​​सेटिंग्स में दिया जाता है।पोटेशियम फॉर्मूलेशन के उदाहरणों में पोटेशियम साइट्रेट, पोटेशियम क्लोराइड, और डेक्सट्रोज और सोडियम क्लोराइड के साथ पोटेशियम शामिल हैं।[L8744,L8747,L8753,L8759]
 
=== उद्योगों में ===
==संकेत==
<gallery>
{पोटेशियम के सामान्य उपयोग: पोटेशियम को विभिन्न स्थितियों के इलाज के लिए संकेत दिया जाता है । सबसे पहले, यह पोटेशियम को फिर से भरने के लिए प्रयोग किया जाता है जो कि कुअवशोषण, कम सेवन, या अतिरिक्त सोडियम सेवन सहित स्थितियों से समाप्त हो गया है, लेकिन इतनी ही सीमित नहीं है । पोटेशियम की कमी के कारण कई हैं । पोटेशियम के लिए निम्नलिखित संकेत व्यापक नहीं हैं, लेकिन इसमें मुख्य संकेत शामिल हैं जिनके लिए इस पोषक तत्व का उपयोग किया जाता है । विभिन्न उत्पादों और तैयारियों में पोटेशियम होता है । </li>
Image:Kalium.jpg
<li>पोटेशियम क्लोराइड: पोटेशियम क्लोराइड एक नैदानिक ​​​​सेटिंग में उपयोग किए जाने वाले पोटेशियम की मुख्य तैयारी में से एक है । पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों या मूत्रवर्धक खुराक अनुमापन के साथ रूढ़िवादी प्रबंधन में विफल रहे रोगियों में, चयापचय क्षारीय के साथ या बिना पेश हाइपोकैलिमिया की रोकथाम और उपचार के लिए मौखिक समाधान का संकेत दिया गया है। एल 8744 पोटेशियम क्लोराइड का इंजेक्शन फॉर्म पोटेशियम को भरने के लिए इंगित किया गया है। उन रोगियों में जो मौखिक पोटेशियम के लिए व्यवहार्य उम्मीदवार नहीं हैं । अत्यधिक केंद्रित पोटेशियम का उद्देश्य द्रव प्रतिबंधित व्यक्तियों में पोटेशियम की कमी के उपचार के लिए है, जो सामान्य रूप से इंजेक्शन वाले पोटेशियम समाधानों से जुड़े द्रव मात्रा को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं जिनमें कम सांद्रता होती है। एल 8768 अंत में, पोटेशियम क्लोराइड की विस्तारित-रिलीज़ टैबलेट तैयारी का उपयोग हाइपोकैलिमिया के इलाज के लिए किया जाता है। मेटाबोलिक अल्कलोसिस के साथ या बिना, डिजिटलिस नशा का इलाज करने के लिए, और हाइपोकैलेमिक पारिवारिक आवधिक पक्षाघात वाले रोगियों का प्रबंधन करने के लिए । इसका उपयोग उन लोगों में हाइपोकैलिमिया की रोकथाम में भी किया जाता है, जो हाइपोकैलिमिया होने पर नकारात्मक नैदानिक ​​​​परिणामों के उच्च जोखिम में होते हैं, डिजिटलिस या कार्डियक अतालता वाले रोगियों को नकारात्मक परिणामों का विशेष जोखिम होगा। L8771 </li>
Image:PotassiumFeldsparUSGOV.jpg|पोटैशियम फिल्डस्पार
<li>पोटेशियम क्लोराइड डेक्सट्रोज और सोडियम क्लोराइड के साथ:  यह तरल तैयारी पानी, कैलोरी और इलेक्ट्रोलाइट्स के स्रोत के रूप में नैदानिक ​​​​सेटिंग में इंगित की जाती है। एल 8747 पोटेशियम एसीटेट समाधान पोटेशियम क्लोराइड के विकल्प के रूप में होता है, पोटेशियम की भरपाई करता है और बड़ी मात्रा में जोड़ा जाता है। अंतःशिरा इंजेक्शन के लिए जलसेक तरल पदार्थ। L8759 </li>
Image:Manganistan draselný.PNG|Manganistan draselný - KMnO<sub>4</sub>
<li>पोटेशियम साइट्रेट:  पोटेशियम साइट्रेट की तैयारी का उपयोग गुर्दे के ट्यूबलर एसिडोसिस (RTA) के प्रबंधन के लिए किया जाता है जिसमें कैल्शियम स्टोन (नेफ्रोलिथियासिस), किसी भी कारण से कैल्शियम ऑक्सालेट स्टोन और यूरिक एसिड होता है। नेफ्रोलिथियासिस (कैल्शियम पत्थरों के साथ या बिना) । इस आहार में पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन (2 लीटर/दिन या उससे अधिक का पेशाब बाहर निकलना) और सोडियम प्रतिबंध भी शामिल है।L8753 }
</gallery>
==उपापचय==
पोटेशियम अपरिवर्तित रूप में अवशोषित और उत्सर्जित होता है। [ए 186967, एल 2652]
==अवशोषण==
जब एक आहार स्रोत से मौखिक रूप से लिया जाता है, तो पोटेशियम मुख्य रूप से छोटी आंत में निष्क्रिय प्रसार के माध्यम से अवशोषित होता है । लगभग 90 प्रतिशत पोटेशियम अवशोषित हो जाता है, और कोशिकाओं के अंदर और बाहर सांद्रता को बनाए रखता है। [L2652] गुर्दे स्वस्थ व्यक्तियों में परिवर्तनशील पोटेशियम सेवन के अनुकूल हो सकते हैं, लेकिन कम से कम 5 mmol (लगभग 195 मिलीग्राम) आहार पोटेशियम को उत्सर्जित करने के लिए मापा जाता है। मूत्र में। [एल 2652] कुछ अध्ययनों ने आहार की खुराक से पोटेशियम के विभिन्न रूपों के अवशोषण को मापा है । 2016 में एक नैदानिक ​​परीक्षण के परिणामों से पता चला कि पोटेशियम ग्लूकोनेट की खुराक 94 प्रतिशत अवशोषित होती है, जो आलू से अवशोषण दर के समान है।एक पुराने अध्ययन ने सलाह दी कि प्रशासन के कुछ घंटों बाद पोटेशियम के तरल रूप अवशोषित हो जाते हैं । पोटेशियम क्लोराइड की एंटेरिक लेपित गोलियां उनके विलंबित रिलीज डिजाइन के कारण, तरल रूपों के रूप में तेजी से अवशोषित नहीं होती हैं। [एल 2652]
==वितरण की मात्रा==
पोटेशियम लगभग सभी शरीर के ऊतकों में मौजूद होता है। [ए32167, ए32222] लगभग 98 प्रतिशत पोटेशियम मांसपेशियों के ऊतकों में इंट्रासेल्युलर रूप से बनाए रखा जाता है।,द लीवर,,लाल रक्त कोशिकाओं,शेष को बाह्य रूप से वितरित किया जाता है। [A186967]
==कार्रवाई की प्रणाली==
['पोटेशियम आयन लगभग सभी शरीर के ऊतकों में पाया जाने वाला प्राथमिक इंट्रासेल्युलर धनायन है। [L8771] वयस्कों में शरीर में पोटेशियम की कुल मात्रा का अनुमान 45 मिलीमोल (mmol)/kg शरीर के वजन (एक वयस्क के लिए लगभग 140 ग्राम वजन 175 पाउंड) है। 1 मिमीोल = 1 मिलीइक्विवेलेंट या [39,1] मिलीग्राम पोटेशियम) । पोटेशियम मुख्य रूप से कोशिकाओं में रहता है, और बाह्य तरल पदार्थ में थोड़ी मात्रा में पाया जा सकता है । पोटेशियम की मात्रा जो कोशिका (इंट्रासेलुलर) में रहती है, बाह्य कोशिकीय सांद्रता से 30 गुना अधिक होती है, जो सोडियम-पोटेशियम (Na+/K+) ATPase ट्रांसपोर्टर द्वारा नियंत्रित एक ट्रांसमेम्ब्रेन ग्रेडिएंट बनाता है।यह तंत्रिका चालन, मांसपेशियों के संकुचन और गुर्दे के कार्य के लिए एक महत्वपूर्ण ढाल है। [L2652] उल्टी, दस्त, गुर्दे की बीमारी, दवाएं, और अन्य स्थितियां जो पोटेशियम उत्सर्जन को बदल देती हैं या इसे कोशिकाओं के अंदर या बाहर स्थानांतरित कर देती हैं।स्वस्थ रोगियों में सामान्य गुर्दे समारोह वाले व्यक्ति, स्पष्ट रूप से उच्च या निम्न पोटेशियम के स्तर दुर्लभ होते हैं। [एल 2652] ', {'रक्तचाप पर प्रभाव': ' पोटेशियम मूत्र में सोडियम उत्सर्जन में वृद्धि के माध्यम से सोडियम पुन: अवशोषण को कम करके इंट्रावास्कुलर मात्रा को कम करता है।हालांकि, यह अल्पकालिक प्रभाव रक्तचाप पर पोटेशियम के दीर्घकालिक प्रभावों की व्याख्या नहीं करता है । सेवन के माध्यम से होने वाले प्लाज्मा पोटेशियम के स्तर में वृद्धि सोडियम-पोटेशियम एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट पंप (ना +/- के + एटीपीस) की उत्तेजना और सोडियम-पोटेशियम एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट पंप के पोटेशियम चैनल खोलने के माध्यम से होने वाली वासोडिलेशन से जुड़ी होती है।पोटेशियम के लिए कार्रवाई के अन्य संभावित तंत्रों में संवहनी चिकनी पेशी और सहानुभूति तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं में बैरोरफ्लेक्स संवेदनशीलता और हार्मोन संवेदनशीलता में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। [A32167] ',' इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और शरीर प्रणालियों पर प्रभाव ':' झिल्ली भर में पोटेशियम ढाल सेल झिल्ली क्षमता को नियंत्रित करता है, मुख्य रूप से सोडियम-पोटेशियम (Na +/- K + ATPase पंप) द्वारा बनाए रखा जाता है।ट्रांसमेम्ब्रेन इलेक्ट्रो-केमिकल ग्रेडिएंट्स Na + को बाह्य रूप से और K + इंट्रासेल्युलर रूप से प्रसार को प्रोत्साहित करते हैं । पोटेशियम सप्लीमेंट हाइपोकैलिमिया को इस संतुलन को बनाए रखने से रोकता है और अक्सर नैदानिक ​​सेटिंग में मौखिक समाधान या इंजेक्शन के रूप में उपयोग किया जाता है, अतालता, असामान्य मांसपेशी समारोह और तंत्रिका संबंधी गड़बड़ी जैसे हानिकारक प्रभावों को रोकता है। [A32167] सक्रिय होने पर, Na+/-K+ ATPase पंप तीन इंट्रासेल्युलर सोडियम (Na +) आयनों के लिए दो बाह्य K + आयनों का आदान-प्रदान करता है, जो उत्तेजना या अवरोध के माध्यम से झिल्ली क्षमता को प्रभावित करता है।यह विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र, गुर्दे और हृदय की मांसपेशियों के ऊतकों के होमियोस्टैसिस में महत्वपूर्ण है । सामान्य परिस्थितियों में शरीर और कोशिका वितरण को क्रमशः आंतरिक और बाहरी संतुलन के रूप में जाना जाता है। [A32222] कम सीरम पोटेशियम (या असंतुलन) से वेंट्रिकुलर अतालता, हृदय की विफलता और बाएं निलय अतिवृद्धि (LVH) का खतरा बढ़ जाता है। [A186173] '}]
==विषाक्तता==
[' चूहों में पोटेशियम क्लोराइड का मौखिक LD50 2600 mg/kg है।पोटेशियम की अधिक मात्रा के लक्षण और लक्षण मुख्य रूप से प्रकृति में कार्डियोवैस्कुलर, न्यूरोलॉजिकल और मस्कुलोस्केलेटल हैं । अतालता, हृदय की चालन में परिवर्तन, जिसमें ऐसिस्टोल, ब्रैडीकार्डिया, हार्ट ब्लॉक, वेंट्रल फाइब्रिलेशन और वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया शामिल हो सकते हैं । इसके अलावा, कार्डियक ईसीजी परिवर्तनों के साथ हाइपोटेंशन भी हो सकता है । पेरेस्टेसिया के अलावा, मांसपेशियों में कमजोरी और श्वसन पेशी पक्षाघात हो सकता है । ओवरडोज के मामले में, पोटेशियम प्रशासन को बंद कर दें, खुराक कम करें, और एसिड-बेस बैलेंस के अलावा द्रव स्तर और इलेक्ट्रोलाइट सांद्रता की निगरानी करें।सुधारात्मक चिकित्सा, जैसे इंसुलिन प्रशासन या पोटेशियम बाध्यकारी दवाओं की आवश्यकता हो सकती है । आवश्यक समझे जाने पर सहायक देखभाल और पुनर्जीवन की पेशकश करें। [A186200, A186203, L8771] ', 'हाइपरकेलेमिया के बारे में महत्वपूर्ण नोट': ' आम तौर पर, हाइपरकेलेमिया स्पर्शोन्मुख है और केवल प्रयोगशाला परीक्षण ([6,5] - [8 के मूल्यों पर) द्वारा पता लगाया जाता है। 0] mEq/L) और ईसीजी परिवर्तन (शिखर टी-तरंगें, खोई हुई पी-तरंगें, एसटी अवसाद, और लंबे समय तक क्यूटी अंतराल) । 9-12 mEq/L के पोटेशियम सांद्रता पर, हाइपरकेलेमिया के उन्नत चरणों में स्नायु पक्षाघात और हृदय की गिरफ्तारी हो सकती है। [L8771]'}]
==वर्गीकरण==
<table border="1" class="dataframe"><tr><td>साम्राज्य</td><td></td></tr><tr><td>सुपर वर्ग</td><td></td></tr><tr><td>वर्ग</td><td></td></tr><tr><td>उप वर्ग</td><td></td></tr></table>
==सन्दर्भ==
[[Category: हाइपरकेलेमिया पैदा करने वाले एजेंट]]
[[Category: मूत्रल]]
[[Category: तत्वों]]
[[Category: उच्च छत मूत्रवर्धक]]
[[Category: कम छत मूत्रवर्धक,बहिष्कृत,थियाज़ाइड्स]]
[[Category: धातुओं]]
[[Category: धातुओं,क्षार]]
[[Category: धातुओं,रोशनी]]
[[Category: खनिज पदार्थ]]
[[Category: पोटेशियम नमक]]
[[Category: प्रतिस्थापन की तैयारी]]


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०९:३७, ७ अप्रैल २०२२ के समय का अवतरण


पोटैशियम / Potassium
रासायनिक तत्व
K,19.jpg
रासायनिक चिन्ह: K
परमाणु संख्या: 19
रासायनिक शृंखला: क्षार धातु
K-TableImage.svg
आवर्त सारणी में स्थिति
Electron shell 019 Potassium.svg
अन्य भाषाओं में नाम: Potassium (अंग्रेज़ी), Калий (रूसी), દહાતુ (गुजराती), पलाश (मराठी), カリウム (जापानी)
पोटैशियम

पोटैशियम (Potassium) एक रासायनिक तत्व है। इसका प्रतीक 'K' है। यह आर्वत सारणी के प्रथम मुख्य समूह का तत्व है। इसके दो स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ३९ और ४१) ज्ञात हैं। एक अस्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ४०) प्रकृति में न्यून मात्रा में पाया जाता है। इनके अतिरिक्त तीन अन्य समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ३८, ४२ और ४३) कृत्रिम रूप से निर्मित हुए हैं। इसका नामकरण लैटिन भाषा के शब्द kailium (कैलियम)से हुआ है ।

इतिहास

पोटैशियम के यौगिक पुरातन काल से ज्ञात हैं। चरकसंहिता में भस्म से क्षार बनाने की विधि का वर्णन आया है। चीनी तुर्किस्तान मे स्थित बुद्धमंदिर में एक चिकित्सा ग्रंथ की १८९० ई. में प्राप्ति हुई। इस ग्रंथ में यवक्षार (potassium carbonate) का वर्णन आया है। उपर्युक्त बातों से ज्ञात होता है कि पौटैशियम क्षारों का उपयोग पुरातन काल में ओषधि तथा रासायनिक क्रियाओं में होता था।

पोटैशियम तत्व का पृथक्करण १८०७ ई. में सर हंफ्री डेवी ने पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के विद्युद्विश्लैषण द्वारा किया। पोटाश शब्द के आधार पर डेवी ने इस तत्व का नाम पोटैशियम रखा।

उपस्थिति

पोटैशियम अत्यंत सक्रिय तत्व होने के कारण यौगिक अवस्था में ही पाया जाता है। इसके यौगिक पृथ्वी में समुचित मात्रा में फैले हैं। अनेक चट्टानों में इसके जटिल सिलिकेट उपस्थित रहते हैं। भूपर्पटी में २.६ प्रतिशत पोटैशियम रहता है। समुद्र में इस तत्व के यौगिकों का प्रचुर परिमाण है, परंतु प्रतिशत मात्रा में कम होने के कारण अभी उसका अधिक उपयोग नहीं हो पाया। जर्मनी में स्ट्रैसफुर्ट (Strassfurt) प्रदेश में इसके बहुत समृद्ध स्रोत हैं, जिनमें पोटैशियम क्लोराइड या सिलवाइट (sylvite) बड़ी मात्रा में मैग्नीशियम और कैल्सियम लवणों के साथ मिश्रित दशा में पाया जाता है। संयुक्त राज्य अमरीका, के कैलोफॉनिया प्रदेश में पोटैशियम के लवण पाए जाते हैं। भारत में शोरा (saltpetre), केनाइट (kanite, KCl, MgSO4, 3H2O) और लैंगबीनाइट (langbenie, K2SO4, 2MgSO4) पोटैशियम के मुख्य प्राप्य यौगिक है। ये सांभर झील में समुचित मात्रा में मिलते हैं।

निर्माण

पोटैशियम धातु का निर्माण डेवी की विधि पर निर्भर है। इसमें विशुद्ध पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड अथवा कॉस्टिक पोटाश (KOH) का संगलित अवस्था में विद्युद्विश्लेषण करने पर, पोटैशियम लौह के ऋण विद्युदग्र पर जमा हो जाता है। कॉस्टिक पोटाश के स्थान पर पोटैशियम क्लोराइड (KCl) और पोटैशियम फ्लोराइड (KF) का संमिश्रण भी लिया जाता है।

गुण धर्म

पोटैशियम नीलिमा लिए चमकदार श्वेत धातु है, जो ०० सें. ताप पर कठोर और भंगुर है, परंतु साधारण ताप पर इतना कोमल होता है कि चाकू से काटा जा सकता है। इसके कुछ भौतिक गुण निम्नांकित हैं : संकेत K, परमाणुसंख्या १९, परमाणुभार ३९.१०२, गलनांक ६२.५० सें., क्वथनांक ७६०० सें. घनत्व ०.८६५, परमाणुव्यास ४.७६ ऐंग्स्ट्रम, विद्युतप्रतिरोधकता ६.१५ माइक्रोओहम-मेंमी. तथा आयनीकरण विभव ४.३२९ इवो. है।

पोटैशियम वायु में शीघ्र मलिन हो जाता है और गर्म करने पर पिद्यलकर जलता है। जल में डालने पर विस्फोट के साथ क्रिया करके बैंगनी ज्वाला के साथ जलता है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन मुक्त होता है, जो उच्च ताप के कारण वायु के संपर्क में जलने लगता है। पोटैशियम के वाष्प के कारण ज्वाला रंग बैंगनी हो जाता है। पोटैशियम को तेल अथवा निष्क्रिय वातावरण में सुरक्षित रखते हैं।

सोडियम की भाँति पोटैशियम भी द्रव ऐमोनिया में घुलकर नीला विलयन देता है और पोटैशमाइड (potassamide, KNH2) बनता है। २००० सें. से ४००० सें. ताप पर पोटैशियम हाइड्रोजन को अपने अंदर अधिधारित कर लेता है। ऐसा अनुमान है कि इस दशा में एक यौगिक (ख़्क्त) बनता है।

यौगिक

पोटैशियम एकसंयोजी यौगिक बनाता है। पोटैशियम परमाणु में चौथे कक्ष में केवल एक इलेक्ट्रान होता है। यदि यह इलेक्ट्रान परमाणु से निकल जाय, तो उसकी इलेक्ट्रान रचना आग्रन गैस के समान रह जायगी, जो स्थिर होती है। इस कारण प्रत्येक क्रिया में पोटैशियम की इस इलेक्ट्रॉन को प्रदान करने की प्रवृत्ति रहती है।

पोटैशियम के ऑक्साइड

पोटैशियम के निश्चित रूप से तीन ऑक्साइड, पोटैशियम ऑक्साइड (K2O), पोटैशियम डाइऑक्साइड (KO2) और पोटैशियम परऑक्साइड (K2O2), ज्ञात हैं। यदि पौटैशियम नाइट्राइड को पोटैशियम धातु के साथ वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाय, तो पोटैशियम ऑक्साइड प्राप्त होगा, जो मटमैला भंगुर पदार्थ है। यह बड़ा सक्रिय ऑक्साइड है और तीव्र गति से जल से अभिक्रिया कर पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है।

यदि पोटैशियम को अधिक ऑक्सीजन के वातावरण में जलाया जाय, तो नारंगी रंग का ठोस पोटैशियम डाऑक्साइड बनता है। यह अत्यंत सक्रिय यौगिक है और जल से क्रिया कर ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड दोनों मुक्त करता है। यह अनेक तत्वों का ऑक्सीकरण तीव्र गति से करता है।

यदि पोटैशियम को ऑक्सीजन की परिगणित मात्रा में गर्म किया जाय, तो पोटैशियम परऑक्साइड प्राप्त होगा, जो श्वेत रंग का ठोस पदार्थ है। यह जल से प्रक्रिया कर केवल हाइड्रोजन पर ऑक्साइड मुक्त करता है।

कॉस्टिक पोटाश

यह पोटैशियम क्लोराइड विलयन के वैद्युत् विघटन से बनता है। इदस क्रिया को केसनर-कैलनर विधि कहते हैं। यह श्वेत, अपारदर्शी, ठोस पदार्थ है और गरम करने पर शीघ्र ही गल जाता है। यह अत्यंत जलप्रिय तथा अत्यंत जल विलेय है। अम्लों से क्रिया कर यह विलेय लवण बनाता है।

पोटैशियम के हैलौजन यौगिक

फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन के साथ पोटैशियम के यौगिक ज्ञात हैं। कॉस्टिक पोटाश पर हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल (HF) की क्रिया से पोटैशियम फ्लोराइड, एक सामान्य फ्लोराइड (KF), दूसरा अम्लीय फ्लोराइड (KHF2) बनते हैं। पोटैशियम फ्लोराइड नमकीन स्वादवाला आर्द्रताग्राही ठोस पदार्थ है।

पोटैशियम क्लोराइड जर्मनी के स्ट्रैसफुर्ट प्रदेश में बहुत मात्रा में उपलब्ध है। मैग्नीशियम और कैल्सियम यौगिकों के साथ मिश्रित अवस्था में यह प्राय: मिलता है। यदि इसके विलयन में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस प्रवाहित की जाय, तो शुद्ध पोटैशियम क्लोराइड का अवक्षेप प्राप्त होगा और अन्य यौगिक विलयित अवस्था में रहेंगे। पोटैशियम क्लोराइड उर्वरक तथा अन्य पोटैशियम लवणों के बनाने के उद्योग में बड़ी मात्रा में काम आता है।

पोटैशियम ब्रोमाइड (KBr) और आयोडाइड (KI) कॉस्टिक पोटाश पर क्रमश: ब्रोमीन और आयोडीन की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त हो सकते हैं। ये दोनों लवण क्लोराइड से समानता रखते हैं, परंतु जल में उससे अधिक विलेय हैं। पोटैशियम ब्रोमाइड का फोटोग्राफी उद्योग में उपयोग होता है। दोनों यौगिक ओषधि के रूप में तथा रासायनिक प्रयोगशालाओं की अनेक क्रियाओं में काम आते हैं।

पोटैशियम के गंधक यौगिक

गंधक के साथ पोटैशियम सल्फाइड और इसका जल के ५ अणुओं से संयुक्त हो (K2S, 5H2O) क्रिस्टल बनता है। इसके अतिरिक्त कॉस्टिक पोटाश के विलयन में हाइड्रोजन सल्फाइड प्रवाहित करने से पोटैशियम हाइड्रोसल्फाइड (KHS) बनता है। कॉस्टिक पोटाश विलयन में सलफर डाइआक्साइड (SO2) प्रवाहित करने पर पर पोटैशियम सल्फाइट (K2SO3) बनेगा।

पोटैशियम सल्फेट (K2SO4) स्ट्रैसफुर्ट के खनिजों में उपलब्ध है। यह अनेक रासायनिक उद्योगों में उपजात के रूप में भी मिलता है। इसका अम्लीय रूप पोटैशियम हाइड्रोजन सल्फेट (KHSO4) है। पोटैशियम सल्फेट का उपयोग ओषधियों, उर्वरक और फिटकरी के बनाने में प्राय: होता है।

पोटैशियम नाइट्रेट

कीमियागर इसे साल्टपीटर के नाम से संबोधित करते थे। प्रकृति में कार्बनिक पदार्थो के क्षय द्वारा यह बनता रहता है। बिहार में नोनी मिट्टी से यह निकाला जाता था। राजस्थान में साँभर झील के प्रदेश में भी उपलब्ध है।

पोटैशियम कार्बोनेट

इसे पोटाश भी कहते हैं। बहुत काल तक यह काष्ठराख से प्राप्त किया जाता था, जिसको संस्कृत ग्रंथों में यवक्षार कहा गया है। आजकल लेब्लांक विधि से यह तैयार होता है। यह जल में बहुत विलेय है और क्षार गुण प्रधान है। यह कठोर काँच, पोटाश साबुन और कॉस्टिक पोटाश बनाने में काम आता है। इसके विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करने से पोटैशियम बाइकार्बोनेट (KHCO3) बनता है।

पोटैशियम के अविलेय यौगिक

पोटैशियम क्लोरोप्लैटिनेट (K2PtCl6) की विलेयता बहुत कम है। इसका पीला अवक्षेप पोटैशियम विश्लेषण में काम आता है। इसके अतिरिक्त पोटैशियम कोबाल्टीनाइट्राइट, K3, Co(NO2)6] भी अविलेय है, जो पोटैशियम और कोबाल्ट के विश्लेषण में प्रयुक्त होता है।

उपयोग

भोजन में

पोटैशियम क्लोराइड (KCl) का प्रयोग साधारण नमक (NaCl) के स्थान पर किया जाता है।

उद्योगों में

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