"नाइट्रोजन" के अवतरणों में अंतर

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'''नाइट्रोजन''' (Nitrogen), एक [[रासायनिक तत्व]] है जिसका प्रतीक '''N''' है। इसका [[परमाणु क्रमांक]] 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह [[गैस]] है तथा पृथ्वी के [[पृथ्वी का वायुमण्डल|वायुमण्डल]] का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1773 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी।


[[आवर्त सारणी]] के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी [[समस्थानिक]], द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं।
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नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को [[ऑक्सीजन]] (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया।
|pregnancy_category  = AN04
 
|ATC_suffix  = <Macro 'metabolism'>
== उपस्थिति ==
|ATC_supplemental  = केवल स्थानीय उपयोग के लिए, प्रोटीन के लिए बाध्य नहीं ।
वायुमंडल में आयतन के अनुसार नाइट्रोजन 78 प्रतिशत मात्रा में असंयुक्त अवस्था में उपस्थित है। प्रति वर्ष विद्युत विसर्जन तथा जीवाणुसक्रियता द्वारा कुछ नाइट्रोजन संयुक्त अवस्था में वायुमंडल से पृथ्वी पर आता है। इसके मुख्य यौगिक संयुक्त अवस्था में वायुमंडल से पृथ्वी पर आता है। इसके मुख्य यौगिक [[पोटैशियम नाइट्रेट|शोरा]] (पोटासियम नाइट्रेट) तथा [[चिली]] (दक्षिणी अमरीका) का [[साल्ट पीटर]] (सोडियम नाइट्रेट) पृथ्वी में पाए जाते हैं। [[प्रोटीन|प्रोटीनों]] में यह जटिल कार्बनिक पदार्थों के रूप में सदैव उपस्थित रहता है।
|IUPHAR_ligand        = DB09152
 
|UNII            = D00083
== निर्माण ==
|elimination_half-life    = 7727-37-9
[[प्रयोगशाला]] में नाइट्रोजन [[ऐमोनियम नाइट्राइट]] पर ताप के प्रभाव से मुक्त किया जाता है। अमोनियम नाइट्राइट अस्थायी पदार्थ है। इस कारण ऐमोनियम क्लोराइड एवं सोडियम नाइट्राइट के मिश्रित विलयन का उपयोग इस कार्य के लिए करते हैं।
|protein_bound =  
 
|metabolism = केवल स्थानीय उपयोग के लिए ।
नाइट्रोजन को वायुमंडल से भी तैयार कर सकते हैं, जिसमें ऑक्सीजन को रासायनिक क्रिया अथवा भौतिक साधनों द्वारा अलग करना होता है। यदि वायु को [[पायरोगैलिक अम्ल]] (pyrogallic acid) के क्षारीय विलयन अथवा अम्लीय क्रोमस क्लोराइड, (Cr Cl<sub>2</sub>), या वैनेडस सल्फेट, (VSO<sub>4</sub>) के विलयन में से प्रवाहित करें तो ऑक्सीजन रासायनिक क्रिया से अलग हो जाता है। बची गैस नाइट्रोजन होगी, जिसमें सूक्ष्म मात्रा में कुछ अनय निष्क्रिय गैसें भी मिली होंगी। औद्योगिक कार्यों के लिए आजकल द्रव वयु के प्रभाजी आसवन द्वारा नाइट्रोजन प्राप्त किया जाता है। इसका [[क्वथनांक]] ऑक्सीजन से नीचा है। इस कारण इसका ऑक्सीजन पहले वाष्प बनकर निकल जाता है और अवशेष द्रव में प्रधानतया नाइट्रोजन रहता है।
|excretion = केवल स्थानीय उपयोग के लिए ।
 
|synonyms =
== गुणधर्म ==
|melting_notes = V03
नाइट्रोजन रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन गैस है। इसका अणु दो परमाणुओं का बनता है। इसका संकेत ना (N), परमाणु संख्या 7, परमाणु भार 14.007, गलनांक - 210° या -209.8°c  सें., क्वथनांक - 195.8° सें., घनत्व 1.25 ग्राम प्रति लीटर, क्रांतिक ताप - 147° सें., 0° सें. तथा सामान्य दबाव पर जल में विलेयता 23.5 घन सेंमी. प्रति लीटर है।
}}
 
==विवरण==
रासायनिक दृष्टि से नाइट्रोजन निष्क्रिय तत्व है। साधारण ताप पर न तो यह जलता है और न अन्य धातुओं से यौगिक बनाता है। उच्च ताप पर यह अनेक तत्वों (जैसे [[लिथियम|लीथियम]], [[मैग्नीसियम|मैग्नीशियम]], [[कैल्सियम]], [[बोरॉन]] आदि) से क्रिया कर [[नाइट्राइड]] पदार्थ बनाता है। नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन गैस मिश्रण में विद्युत्‌ स्फुलिंग (spark) उत्पन्न करने पर [[भूयाति एकजारेय|नाइट्रिक ऑक्साइड]] (NO) यौगिक बनता है।
नाइट्रोजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N और परमाणु क्रमांक है [7,] कमरे के तापमान पर, यह एक पारदर्शी, गंधहीन द्विपरमाणुक गैस है । तरल नाइट्रोजन का उपयोग मुख्यतः क्रायोथेरेपी में रोगग्रस्त त्वचा को हटाने के लिए किया जाता है । तरल नाइट्रोजन नेक्रोसिस के माध्यम से त्वचा के घावों को हटाने में मदद करता है, जो कोशिकाओं के जमने और विगलन के परिणामस्वरूप होता है । क्रायोथेरेपी आमतौर पर डॉक्टरों के कार्यालय में की जाती है । साथ ही, नाइट्रोजन उर्वरकों और ऊर्जा-भंडार में बहुत प्रसिद्ध घटक है।
 
न्यून दबाव की नाइट्रोजन गैस पर उच्च तनाव (high tension) विद्युद्विसर्जन करने पर नाइट्रोजन की एक सक्रिय किस्म बनती है, जिसे '''सक्रिय नाइट्रोजन''' कहते हैं। यह गैस गंधक, फॉस्फोरस तथा अनेक तत्वों एवं यौगिकों के साथ अभिक्रिया करती है। [[विसर्जन नलिका]] में यह पीले रंग की चमक उत्पन्न करती है।
==संकेत==
 
तरल नाइट्रोजन का उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न सौम्य और घातक त्वचा घावों के उपचार के लिए क्रायोजेनिक एजेंट के रूप में किया जाता है ।
== उपयोग ==
[[हाबर प्रक्रम|हाबर विधि]] से [[अमोनिया]] बनाने के लिए नाइट्रोजन गैस का बहुत उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त अन्य नाइट्रोजन यौगिकीकरण प्रक्रम (fixation process) में इसका उपयोग होता है। इसके यौगिक विशाल मात्रा में [[उर्वरक]] के रूप में काम आते हैं। नाइट्रोजन के अनेक यौगिक [[विस्फोटक]] (जैसे ट्राइनाइट्रोग्लिसरीन, ट्राइनाइट्रोटॉलूईन आदि) तथा औषधियाँ हैं।
==उपापचय==
[नाइट्रोजन गैस का उपयोग हवाई जहाज के टायरों
केवल स्थानीय उपयोग के लिए ।
में भरने के लिये किया जाता है।]
 
==अवशोषण==
अनेक स्थानों में नाइट्रोजन का उपयोग निष्क्रिय वातावरण बनाने में होता है। बिजली के बल्बों में नाइट्रोजन भरने से उनकी जीवन अवधि बढ़ जाती है।
केवल स्थानीय उपयोग के लिए, कोई प्रणालीगत अवशोषण नहीं ।
 
== नाइट्रोजन चक्र ==
==वितरण की मात्रा==
{{मुख्य|नाइट्रोजन चक्र}}
केवल स्थानीय उपयोग के लिए,
जैव पदार्थों के लिए नाइट्रोजन चक्र बहुत आवश्यक क्रिया है। वनस्पति एवं जैव पदार्थों का नाइट्रोजन खाद के रूप में मनुष्यों तथा पशुओं के काम आता है। वनस्पतियों में सामान्य अकार्बनिक यौगिकों से युक्त नाइट्रोजन पदार्थ बनते हैं। मिट्टी में असंख्य [[जीवाणु]] वायु के मुक्त नाइट्रोजन को जटिल कार्बनिक पदार्थ में परिणत करते रहते हैं। कुछ विशेष प्रकार के शिंबी पौधे (leguminous plants) नाइट्रोजन का सीधे यौगिकीकरण कर, उपयोगी नाइट्रोजन यौगिक बनाने की क्षमता रखते है। इनके अतिरिक्त, वायुमंडल में विद्युत विसर्जन द्वारा बना नाइट्रिक ऑक्साइड वर्षा के साथ आकर भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है। भूमि से पौधे अपनी जड़ द्वारा नाइट्रोजन पदार्थों का अवशोषण करते हैं। इन सब क्रियाओं द्वारा वायु का मुक्त नाइट्रोजन वनस्पति एवं जीवें के काम आता है। दलहनी फसलों की जड़ों में पाये जाने वाले राइजोबिअम नामक जीवाणु वायु नाइट्रोजन का मृदा में स्थिरीकरण करते है जिसे मृदा नाइट्रोजनीकरण कहते है।
 
==कार्रवाई की प्रणाली==
इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार के जीवाणु जटिल नाइट्रोजन यौगिकों का विघटन कर सरल यौगिक बनाते रहते हैं और इस विधि से समुचित मात्रा में नाइट्रोजन मुक्त होकर वायु में चला जाता है। इस प्रकार प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र चलता रहता है।
क्रायोथेरेपी में, क्रिया के तंत्र को तीन चरणों में वर्गीकृत किया जा सकता है: [1,] गर्मी हस्तांतरण, [2,] कोशिका की चोट और [3] सूजन । तरल नाइट्रोजन का क्वथनांक -196 डिग्री सेल्सियस है, जो प्रारंभिक चरण बनाने के लिए जिम्मेदार है जो गर्मी हस्तांतरण है । दूसरा चरण कोशिका की चोट है जो कोशिकाओं के विगलन की स्थिति के दौरान प्रेरित होता है । क्रायोथेरेपी में अंतिम चरण सूजन चरण है जो एडीमा और एरिथेमा द्वारा विशेषता है । सूजन कोशिकीय मृत्यु के परिणामस्वरूप होती है और यह स्थानीय कोशिका विनाश में मदद करती है।
 
== नाइट्रोजन के यौगिक ==
==विषाक्तता==
हाइड्रोजन के साथ नाइट्रोजन के तीन यौगिक बनते हैं : ऐमोनिया (NH<sub>3</sub>), हाइड्रेज़ीन (N<sub>2</sub>H<sub>4</sub>) और हाइड्रेज़ोइक अम्ल (HN<sub>3</sub>)ऐमोनिया तथा हाइड्रेज़ीन में क्षार गुण वर्तमान हैं और हाइड्रेज़ोइक अम्ल में अम्लीय गुण होते हैं। ऐमोनिया साधारण ताप पर गैस और हाइड्रेज़ीन द्रव है। हाइड्रेज़ीन अस्थायी पदार्थ है, जो गरम करने पर शीघ्र विघटित हो नाइट्रोजन और ऐमोनिया बनाता है। यह अम्लों से क्रिया कर दो श्रेणी के लवण बनाता है (जैसे N<sub>2</sub>H<sub>5</sub>Cl और N<sub>2</sub>H6Cl<sub>2</sub>)। हाइड्रेज़ीन और उसके लवण विषैले होते हैं। हाइड्रेज़ोइक अम्ल (HN<sub>3</sub>) तीक्ष्ण गंध देनेवाला पदार्थ है (गलनांक - 80° सें., क्वथनांक 37° सें.)। यह जहरीला तथा विस्फोटक गुण वाला है। यह धातुओं से लवण बनाता है, जिन्हें ऐज़ाइड कहते हैं जैसे लीथियम ऐज़ाइड (LiN<sub>3</sub>), सिलवर ऐज़ाइड (AgN<sub>3</sub>)
तरल नाइट्रोजन: गंभीर प्रतिकूल प्रभावों में रक्तस्राव, संक्रमण, और अत्यधिक दानेदार ऊतक निर्माण शामिल हैं खालित्य, शोष, केलोइड्स, स्कारिंग, हाइपोपिगमेंटेशन और एक्ट्रोपियन गठन क्रायोथेरेपी की स्थायी जटिलताओं में से हैं ।  
 
नाइट्रोजन के पाँच स्थिर ऑक्साइड ज्ञात हैं : नाइट्रस ऑक्साइड (N<sub>2</sub>O), नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), डाइनाइट्रोजन ट्राइऑक्साइड (N<sub>2</sub>O<sub>3</sub>), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO<sub>2</sub> अथवा N<sub>2</sub>O<sub>4</sub>) और डाइनाइट्रोजन पेंटाऑक्साइड (N<sub>2</sub>O<sub>5</sub>)। नाइट्रस ऑक्साइड (N<sub>2</sub>O) को हंसाने वाली गैस (laughing gas) भी कहते हैं, क्योंकि इसे सूँघने पर कुछ देर मिरगी (hysteria) जैसा अनुभव होता है। ऐमोनियम नाइट्रेट गरम करने से यह बनता है :
==वर्गीकरण==
 
<table border="1" class="dataframe"><tr><td>साम्राज्य</td><td>अकार्बनिक यौगिक</td></tr><tr><td>सुपर वर्ग</td><td>सजातीय गैर-धातु यौगिक</td></tr><tr><td>वर्ग</td><td>अन्य गैर-धातु संगठन</td></tr><tr><td>उप वर्ग</td><td>अन्य गैर-धातु नाइट्राइड</td></tr></table>
ऐमोनियम नाइट्रेट = नाइट्रस ऑक्साइड + जल
 
==सन्दर्भ==
; NH<sub>4</sub>NO<sub>3</sub> = N<sub>2</sub>O + 2H<sub>2</sub>O
[[Category: तत्वों]]
 
[[Category: गैसों]]
नाइट्रोजन हैलोजन तत्वों के साथ अनेक यौगिक बनाता है। नाइट्रोजन ट्राइफ्लोराइड (NF<sub>3</sub>) रंगहीन गैस है, जो ऐमोनियम हाइड्रोजन फ्लोराइड (NH<sub>4</sub> HF<sub>2</sub>) के विद्युद्विश्लेषण द्वारा प्राप्त होती है। नाइट्रोजन क्लोराइड (NCl<sub>3</sub>) ऐमोनिया पर क्लोरीन की अभिक्रिया द्वारा प्राप्त वह पीले रंग का विस्फोटक तैल पदार्थ है, जो थोड़ा गरम करने पर, या तीव्र प्रकाश से, भयंकर विस्फोट द्वारा विघटित हो जाता है। ऐमोनिया विलयन पर आयोडीन की क्रिया से एक काला पदार्थ बनाता है, जिसे नाइट्रोजन आयोडाइड का संयुक्त यौगिक, (NL<sub>3</sub>, NH<sub>3</sub>) है।
[[Category: चिकित्सा गैसें]]
 
[[Category: विविध चिकित्सीय एजेंट]]
== नाइट्रोजन यौगिकीकरण ==
[[Category: अन्य विविध चिकित्सीय एजेंट]]
असंयुक्त नाइट्रोजन को यौगिक रूप में परिवर्तित करने की क्रिया को नाइट्रोजन यौगिकीकरण कहते हैं। नाइट्रोजन के यौगिकों की उपयोगिता के कारण उनका बहुत मात्रा में व्यय होता है। भूमि की पैदावार बढ़ाने के लिए अपार मात्रा में खाद एवं उर्वरक का उपयोग होता है। पृथ्वी पर नाइट्रोजन यौगिकों की मात्रा सीमित है, परंतु वायुमंडल इस तत्व का अथाह स्रोत है। इस कारण वायु के नाइट्रोजन द्वारा नाइट्रोजन यौगिक बनाने का प्रयत्न बहुत काल से होता आया है।
 
प्रकृति में नाइट्रोजन यौगिकीकरण कार्य अनेक साधनों द्वारा होता है। भूमि के अनेक जीवाणु, जैसे एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter) तथा कुछ पौधों की जड़ों में स्थित जीवाणु, जैसे [[राइज़ोवियम]] (Rhizobium), इस कार्य को सदैव करते रहते हैं।
 
नाइट्रोजन यौगिकीकरण के अनेक प्रक्रम ज्ञात है। इनमें से एक में नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन की अभिक्रिया द्वारा [[भूयाति एकजारेय|नाइट्रिक ऑक्साइड]] बनाते हैं। इसमें ऊष्माशोषी (endothermic) क्रिया होने के कारण अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
 
इस क्रिया पर आधारित एक प्रक्रम को [[वर्कलैंड आइड प्रक्रम]] कहते हैं। इसमें विद्युच्चाप का [[चुम्बकीय क्षेत्र|चुंबकीय क्षेत्र]] द्वारा फैलाकर नाइट्रोजन ऑक्सीजन संमिश्रण को प्रवाहित करते हैं। अधिक विद्युदूर्जा के व्यय और उत्पाद की न्यून प्राप्ति के कारण यह प्रक्रम व्यापार में सफल न हो सका।
 
दूसरे प्रक्रम द्वारा कैल्सियम कार्बाइड (CaC<sub>2</sub>) को नाइट्रोजन के वातावरण में 1,000° सें. ताप तक गरम करते थे, जिससे कैल्सियम साइनेमाइड (CaCN<sub>2</sub>) बन जाता था :
 
कैल्सियम कार्बाइड + नाइट्रोजन = कैल्सियम साइनेमाइड + कार्बन
 
; CaC<sub>2</sub> + N<sub>2</sub> = CaCN<sub>2</sub> + C
 
कैल्सियम साइनेमाइड का उर्वरक के रूप में उपयोग हो सकता है। 1907 ई. से 1920 ई. तक अनेक राष्ट्रों में इसके औद्योगिक कारखाने बने हैं, परंतु खोज द्वारा अन्य सुलभ रीति के प्राप्त होने से अब इसका उपयोग बंद हो गया।
 
विभिन्न नाइट्रोजन यौगिकीकरण की विधियों में '''हाबर प्रक्रम''' द्वारा ऐमोनिया निर्माण करने की विधि सबसे उत्तम है। इसके द्वारा विश्व के अनेक देशों में ऐमोनिया और उससे अन्य नाइट्रोजन यौगिक बन रहे हैं। इन विधि में नाइट्रोजन और [[हाइड्रोजन]] के मिश्रण को 450° से 500° सें. के ताप पर 100 - 1,000 वायुमंडल दबाव पर उत्प्रेरक के मध्य प्रवाहित करते हैं। इस अवस्था में नाइट्रोजन और हाइड्रोजन अभिक्रिया कर ऐमोनिया बनाते हैं :
 
नाइट्रोजन + हाइड्रोजन = ऐमोनिया + 24,000 कैलॉरी ऊर्जा
 
; N<sub>2</sub> + 3H<sub>2</sub> = 2NH<sub>3</sub> + 24,000 Cal.
 
प्राप्त ऐमोनिया द्वारा ऐमोनियम लवण (जैसे ऐमोनियम सल्फेट) बनाया जा सकता है, अथवा [[ऑस्टवल्ड विधि]] द्वारा उसका ऑक्सीकरण कर [[नाइट्रिक अम्ल]], या नाइट्रेट लवण, भी बनाए जाते हैं।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==


{{दो परमाणुओं वाले तत्व}}
{{संक्षिप्त आवर्त सारणी}}


[[श्रेणी:रासायनिक तत्व]]
[[श्रेणी:द्विपरमाणुक अधातु]]
[[श्रेणी:निक्टोजन]]
[[श्रेणी:गैसें]]

०२:०३, २ जून २०२२ का अवतरण


साँचा:drugbox

विवरण

नाइट्रोजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N और परमाणु क्रमांक है [7,] कमरे के तापमान पर, यह एक पारदर्शी, गंधहीन द्विपरमाणुक गैस है । तरल नाइट्रोजन का उपयोग मुख्यतः क्रायोथेरेपी में रोगग्रस्त त्वचा को हटाने के लिए किया जाता है । तरल नाइट्रोजन नेक्रोसिस के माध्यम से त्वचा के घावों को हटाने में मदद करता है, जो कोशिकाओं के जमने और विगलन के परिणामस्वरूप होता है । क्रायोथेरेपी आमतौर पर डॉक्टरों के कार्यालय में की जाती है । साथ ही, नाइट्रोजन उर्वरकों और ऊर्जा-भंडार में बहुत प्रसिद्ध घटक है।

संकेत

तरल नाइट्रोजन का उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न सौम्य और घातक त्वचा घावों के उपचार के लिए क्रायोजेनिक एजेंट के रूप में किया जाता है ।

उपापचय

केवल स्थानीय उपयोग के लिए ।

अवशोषण

केवल स्थानीय उपयोग के लिए, कोई प्रणालीगत अवशोषण नहीं ।

वितरण की मात्रा

केवल स्थानीय उपयोग के लिए,

कार्रवाई की प्रणाली

क्रायोथेरेपी में, क्रिया के तंत्र को तीन चरणों में वर्गीकृत किया जा सकता है: [1,] गर्मी हस्तांतरण, [2,] कोशिका की चोट और [3] सूजन । तरल नाइट्रोजन का क्वथनांक -196 डिग्री सेल्सियस है, जो प्रारंभिक चरण बनाने के लिए जिम्मेदार है जो गर्मी हस्तांतरण है । दूसरा चरण कोशिका की चोट है जो कोशिकाओं के विगलन की स्थिति के दौरान प्रेरित होता है । क्रायोथेरेपी में अंतिम चरण सूजन चरण है जो एडीमा और एरिथेमा द्वारा विशेषता है । सूजन कोशिकीय मृत्यु के परिणामस्वरूप होती है और यह स्थानीय कोशिका विनाश में मदद करती है।

विषाक्तता

तरल नाइट्रोजन: गंभीर प्रतिकूल प्रभावों में रक्तस्राव, संक्रमण, और अत्यधिक दानेदार ऊतक निर्माण शामिल हैं । खालित्य, शोष, केलोइड्स, स्कारिंग, हाइपोपिगमेंटेशन और एक्ट्रोपियन गठन क्रायोथेरेपी की स्थायी जटिलताओं में से हैं ।

वर्गीकरण

साम्राज्यअकार्बनिक यौगिक
सुपर वर्गसजातीय गैर-धातु यौगिक
वर्गअन्य गैर-धातु संगठन
उप वर्गअन्य गैर-धातु नाइट्राइड

सन्दर्भ