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अंगूर के जबरदस्त फायदे आपको हैरान कर देंगे...amrutam
अमृतमपत्रिका, ग्वालियर...


अंगूर को द्राक्षा, मुनक्का, किसमिस भी कहते है।
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==विवरण==
अंगूर शूक्राणु बढ़ाता है।
अंगूर एलर्जीनिक अर्क का उपयोग एलर्जीनिक परीक्षण में किया जाता है।
 
अंगूर खाने से धातु गाढ़ी होती है।
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अंगूर मोटापा घटाए...
 
अंगूर खूबसूरती बढ़ाये।
 
अंगूर रक्तचाप यानि बीपी सन्तुलित करे।
 
शरीर की कमजोरी दूर कर आंखों की रोशनी बढ़ाने में कमाल का चमत्कारी है अंगूर, जानें 11 बेहतरीन परिणाम…
अंगूर को द्राक्षा भी कहते हैं। भावप्रकाशनिघण्टौ।
 
अंगूर या द्राक्षा के 25 फायदे जानने हेतु ये लेख मददगार है।
दिमाग में सुरूर लाने के लिए अंगूर से शराब बनती है। जब तन-मन थककर चूर होने लगे, तो अंगूर शक्ति देगा।
अंगूर अश्मीर यानि पथरी को चकनाचूर कर देता है।
अंगूर पित्त के गुरुर को तोड़ता है।
क्रूर कब्ज का नाश करता है अंगूर।
 
टूर के दौरान अंगूर खाएं, तो उल्टी का मन नही होता।
 
चेहरे पर नया नूर लाने के लिए अंगूर गर्मी के मौसम में अवश्य खाना चाहिए। यह शरीर के तापमान और वात-पित्त-कफ को सन्तुलित रखता है।
 
* अंगूर दिन में ही 50 से 80 ग्राम तक खाएं। ज्यादा या रात को खाने से हो सकता है-सर्दी-खांसी-जुकाम, निमोनिया। दमा की शिकायत।
 
* दमा-श्वांस के रोगी अंगूर भूलकर भी न खाएं।
    अंगूर खाने के बाद 2 से 3 घण्टे तक पानी न पिएं अन्यथा एलर्जी की समस्या करेगी परेशान।
 
काले अंगूर खाने से फायदा…ह्रदय को रखना है मजबूत काले अंगूर का करें सेवन. ..
अंगूर का सेवन कई पुराने रोगों को रोकने में सहायक है।
अंगूर में पोटेशियम होने से ब्लड प्रेशर सन्तुलित रखने में मददगार है.
अंगूर का सेवन पाचनतंत्र को करेक्ट करता है।
मेटाबॉलिज्म एवं लिवर के स्वास्थ्य को हेल्दी रखने में भी काफी लाभकारी है।
अंगूर/द्राक्षा या मुनक्का पीलिया से बचाता है।
रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी बढ़ाता है-
मधुमेह की मलिनता मिटाता है-अंगूर।
अंगूर चर्बी-मोटापा घटाता है।
अंगूर में विटामिन ई होता है, जो नेत्रज्योति तेज करता है।
अंगूर, द्राक्षा युक्त ओषधियाँ, अवलेह या माल्ट बालों और स्किन के लिए अच्छा माना जाता है।
अंगूर के गुण-पक्का अंगूर-दस्तावर, शीतल, नेत्रों को हितकारी, पुष्टिकारक, भारी, पाक वा रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाला, कसैला, मल,तथा मूत्र की प्रवृत्ति कराने वाला कोठे मैं वातवर्द्धक, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफ, पुष्टि तथा रुचि को उत्पन्न करने वाला है।
अंगूर के फायदे-तृषा, ज्वर, श्वास, कास, वात, वातरक्त, कामला, मूत्रकृच्छ, रक्तपित्त, मोह, दाह, शोष तथा मदात्यय नामक रोगों को नष्ट करता है।
कच्चा अंगूर-ऊपर के गुणों से हीन गुण वाला वा भारी होता है।
खट्टा अंगूर-वही यदि खट्टा हो तो रक्तपित्त को पैदा करने वाला है।
गोस्तनी मुनक्का (गोल गोल १-१॥ इंच लम्बे गोस्तन की तरह)-वीर्यवर्द्धक, भारी और कफ तथा पित्त को नष्ट करने वाली है।
किसमिस- (बिना बीज की छोटी)-गोस्तनी के सदृश ही गुणयुक्त है पर्वतीय द्राक्षा- हलकी, अम्ल तथा कफ वा अम्लपित्त को करने वाली है। करदिका--पर्वतीय दाख की तरह गुण वाली है।
पर्याय-द्राक्षा, स्वादुफला, मधुरसा, मृद्वीका, हारहूरा, गोस्तनी ये दाख के अन्य नाम हैं।
द्राक्षा/अंगूर भाषाभेद से नामभेद-हिंदी-अंगूर, दाख, मुनक्का। बंगाली-मनेका, बेदाना, अंगूर। मराठी—काली द्राक्षे।
गुजराती-दाक्ष, धराखा। कन्नड़-वेड गण द्राक्षे। त०ता०-कोडि मड्डि। फारसी-अंगूर, मुनक्का। अ०-एनवजवीव, हबुस, -- जवीव।
इंग्लिश-प्रेफ रेजिन्स Grape Raisins । लै-वाइटिन्स , विनिफेरा Witins Venifera.
हजारों साल पहले भोजपत्र पर रावण लिखे द्वारा अंगूर के बारे में संस्कृत का यह मन्त्र श्लोक दृष्टिनीय है-
स्वादुफला प्रोक्ता तथा मधुरसापि च।
 
मृद्वीका हारहूरा च गोस्तनी चापि कीतिता।
 
द्राक्षा पक्वा सरा शीता चक्षुष्या बृहणी गुरुः।स्वादुपाकरसा स्व- तुवरा सृष्टमूत्रविट ।।
 
कोष्ठमारुतहृद् वृष्या कफपुष्टिरुचिप्रदा ॥१११॥
 
हन्ति तृष्णाज्वरश्वासवातवातास्त्रकामलाः।
 
कृच्छात्रपित्तसम्मोहदोहशोषमदात्ययान् ।११२।
 
आमा स्वल्पगुरुगु: सैवाम्ला रक्तपित्तकृत्।
 
वृष्या स्याद् गोस्तनी द्राक्षा गुर्वी च कफपित्तनुता अबोजाऽन्या स्वल्पतरा गोस्तनी सदृशी गुणैः।
 
द्राक्षा पर्वतजा लघ्वी
साम्ला श्लेष्माम्लपित्तकृत।
 
द्राक्षा पर्वतजा यादृक् तादृशी करमर्दिका।
 
अंगूर के घटक-द्रव्य…पाश्चात्यमत-विश्लेषण से इसमें अंगूरी शर्करा, टारटरिक एसिड, गम वा मलिक एसिड पाया जाता है।
 
अंगूर चेहरे पर लाये नूर…जाने गुण-- अंगूर के प्रयोग से पूर्व दाख के बीज वा छिल्के दूर कर देना चाहिए। मुनक्का, धमहर शीत, स्निग्ध वा मृदु रेचक है।
 
यह औषधियों को मीठा करने के लिए प्रयुक्त होता है। यह ज्वर की प्यास, प्रदाहमूलक पीड़ा वा कोष्ठबद्धता में हितकर है।
 
पत्र--कषाय होने से अतिसार में देने योग्य है।
 
अंगूर के लता की भस्म-अश्मरी यानि पथरी की पूर्वावस्था में वा मूत्र में तलछंट (यूरिकएसिड) अधिक आने पर सेवन करने से अगर इन्हें नष्ट करता है।
 
कालादाख-रेचनार्थही प्रयुक्त होती है। (आर० एन० क्षौरि० २य खण्ड १३७पृ०) फलादिवर्गः
वर्णन-इसकी लताएँ ऊपर की तरफ चलती हैं। पत्र/पत्ते-गोल, बड़े, अनीदार, हरे वा बैंगनी रंग मिश्रित होते हैं। लता लाल रंग की मटमैली होती है।
पुष्पकाल-वर्षा प्रारंभ फलकाल--शिशिर।
लता मे पुष्प लगने के बाद गुच्छों में अंगूर लगते हैं। कच्चे रहने पर हरे, पकने पर श्वेत, हरित पीत हो जाते हैं। सूखने पर यही मुनक्का हो जाता है। छोटे किस्म का अंगूर सूख कर किसमिस हो जाता है। भूमि-लवणावत, चूर्ण मिश्रित। व्यवहारांश-क्षार, फल।
अंगूर/द्राक्षा/मुनक्का/किसमिस से बनने वाले आयुर्वेदिक उत्पाद…
 
कुन्तल केयर माल्ट
 
नारिसौन्दर्य माल्ट
 
amrutam gold malt
zeo malt
 
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[[चित्र:Ripe grapes.jpg|thumb|225px|अंगूर]]
'''अंगूर''' ([[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]: ''द्राक्षा'') एक [[फल]] है। अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। ये अंगूर की बेलों पर बड़े-बड़े गुच्छों में उगता है। अंगूर सीधे खाया भी जा सकता है,
 
== लाभ ==
अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऐसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढ़ाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिए। अंगूर के सेवन से फेफड़े में जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। श्वास [[रोग]] व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रुकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत तो ""अमृत तुल्य"" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। [[विटामिन ए|विटामिन]] "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकड़न होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में अंगूर से बढ़कर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोड़ा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढ़ता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।
 
== इतिहास ==
अंगूर की खेती का प्रारंभ अाज से ५०००-८००० साल पहले भारत से हुआ था। <ref>{{cite journal |author=Patrice This, Thierry Lacombe, Mark R. Thomash |title=Historical Origins and Genetic Diversity of Wine Grapes |work=Trends in Genetics |volume=22 |issue=8 |url=http://oak.cats.ohiou.edu/~ballardh/pbio480/thisetal2006-winegrapegeneticdiversity.pdf |journal= |access-date=22 सितंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20081012013815/http://oak.cats.ohiou.edu/%7Eballardh/pbio480/thisetal2006-winegrapegeneticdiversity.pdf |archive-date=12 अक्तूबर 2008 |url-status=dead }}</ref>
[[File:Stone Work at Sadar Manjil Bhopal (1).jpg|thumb|300px|पत्थर की नक्काशी में प्रदर्शित अंगूर की बेल]]
[[File:Stone Work at Sadar Manjil Bhopal (2).jpg|thumb|300px|पत्थर की नक्काशी में प्रदर्शित अंगूर की बेल]]
 
== अंगूर चिकित्सा ==
अंगूर [[चिकित्सा]] को एम्पिलोथेरेपी  (प्राचीन ग्रीक “एम्फ़ीलोस” यानि “वाइन”) के नाम से भी जाना जाता है। यह  नैसर्गिक चिकित्सा या वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें अंगूरों का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है, इसमें अंगूर के बीज, फल और पत्तियों का उपयोग किया जाता है I यद्यपि स्वास्थ्य प्रयोजनों में अंगूर के उपभोग से सकारात्मक लाभ के कुछ सीमित प्रमाण ही हैं, किन्तु कुछ चरम दावे भी हैं, जैसे कि अंगूर चिकित्सा द्वारा, कैंसर का इलाज संभव है लेकिन ये दावे महज़  नीमहकीमों  के व्यंग्यात्मक दावे हैं। <ref>[http://pubs.acs.org/doi/abs/10.1021/jf040087y]</ref>
 
वाइन” का स्वास्थ्य पर प्रभाव मुख्य रूप से, इसके सक्रिय घटक अल्कोहल के आधार पर निर्धारित होता है। <ref>[http://www.annualreviews.org/doi/10.1146/annurev-nutr-011215-025104]</ref><ref>{{Cite web |url=https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/9420448 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=22 मार्च 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170326174026/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/9420448 |archive-date=26 मार्च 2017 |url-status=live }}</ref> कुछ अध्ययनों के अनुसार वाइन” की अल्प मात्रा (महिलाओं के लिए प्रति दिन एक मानक पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन एक से दो मानक पेय) पीने से दिल की बीमारी, स्ट्रोक, [[मधुमेह]], मेलिटस,मेटाबोलिक सिंड्रोम और शीघ्र मृत्यु का खतरा कम होता है। <ref>[https://dx.doi.org/10.1146%2Fannurev-nutr-011215-025104]</ref> हालांकि, अन्य अध्ययनों में इस तरह का कोई प्रभाव नहीं पाया गया। न्यू साइंटिफिक डेटा एंड रिसर्च के अनुसार, [[डॉ.पंकज नरम]] ने, [[वाइन मेकिंग (वाइन बनाना)|वाइन]] के नियंत्रित सेवन से, होने वाले लाभों को सूचीबद्ध  किया  है I<ref>{{Cite web |url=http://totesnewsworthy.com/dr-pankaj-naram-fresh-research-wine/ |title=संग्रहीत प्रति |access-date=22 मार्च 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170323052522/http://totesnewsworthy.com/dr-pankaj-naram-fresh-research-wine/ |archive-date=23 मार्च 2017 |url-status=dead }}</ref> मानक पेय मात्रा, की तुलना में वाइन के अधिक सेवन  से हृदय रोग,उच्च रक्तचाप, आर्टियल फाईब्रिलेशन, स्ट्रोक और [[कर्कट रोग|कैंसर]] का खतरा बढ़ जाता है। <ref>[http://annonc.oxfordjournals.org/content/24/3/807]</ref> बहुत कम मात्रा में वाइन के सेवन से  कैंसर द्वारा मृत्यु दर में, मिश्रित परिणाम भी पाए गए हैं ।<ref>{{Cite web |url=http://www.bmj.com/content/351/bmj.h4238 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=22 मार्च 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170315210252/http://www.bmj.com/content/351/bmj.h4238/ |archive-date=15 मार्च 2017 |url-status=live }}</ref>
==चित्रदीर्घा==
<gallery >
File:GrapesBuds.JPG|Flower buds
File:GrapesFlowers.JPG|Flowers
File:TenderGrapes.JPG|Immature fruit
File:Grapes Angoor.JPG|Grapes in Iran
File:Grapes.jpg|Wine grapes
File:Cyprusgrapefarm.jpg|Vineyard in the [[Troodos Mountains]]
File:Seedless grapes of Kallidaikurichi.jpg|seedless grapes
File:Grapes in the Philippines 1.jpg|Grapes in the [[फ़िलीपीन्स|La Union, Philippines]]
</gallery>
 
== अन्य नाम ==
* द्राक्षा
==सन्दर्भ==
==सन्दर्भ==
[[Category: कोष्ठिका मध्यस्थित उन्मुक्ति]]
{{Reflist}}
[[Category: बढ़ी हुई हिस्टामाइन रिलीज]]
{{फल}}
[[Category: गैर-मानकीकृत खाद्य एलर्जीनिक अर्क]]
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[हाला]] (वाइन)
 
== बाहरी कड़ियाँ ==


== सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}


[[श्रेणी:अंगूर|*]]
[[श्रेणी:फल]]

११:४४, १३ मार्च २०२२ के समय का अवतरण

अंगूर के जबरदस्त फायदे आपको हैरान कर देंगे...amrutam अमृतमपत्रिका, ग्वालियर...

अंगूर को द्राक्षा, मुनक्का, किसमिस भी कहते है।

पेट की किसी भी बीमारी से बचने के लिए अंगूर एक औषधि की तरह खाएं। अंगूर एसिडिटी मिटाता है।

अंगूर वीर्य की वृद्धि करता है।

अंगूर शूक्राणु बढ़ाता है।

अंगूर खाने से धातु गाढ़ी होती है।

अंगूर मोटापा घटाए...

अंगूर खूबसूरती बढ़ाये।

अंगूर रक्तचाप यानि बीपी सन्तुलित करे।

शरीर की कमजोरी दूर कर आंखों की रोशनी बढ़ाने में कमाल का चमत्कारी है अंगूर, जानें 11 बेहतरीन परिणाम… अंगूर को द्राक्षा भी कहते हैं। भावप्रकाशनिघण्टौ।

अंगूर या द्राक्षा के 25 फायदे जानने हेतु ये लेख मददगार है। दिमाग में सुरूर लाने के लिए अंगूर से शराब बनती है। जब तन-मन थककर चूर होने लगे, तो अंगूर शक्ति देगा। अंगूर अश्मीर यानि पथरी को चकनाचूर कर देता है। अंगूर पित्त के गुरुर को तोड़ता है। क्रूर कब्ज का नाश करता है अंगूर।

टूर के दौरान अंगूर खाएं, तो उल्टी का मन नही होता।

चेहरे पर नया नूर लाने के लिए अंगूर गर्मी के मौसम में अवश्य खाना चाहिए। यह शरीर के तापमान और वात-पित्त-कफ को सन्तुलित रखता है।

  • अंगूर दिन में ही 50 से 80 ग्राम तक खाएं। ज्यादा या रात को खाने से हो सकता है-सर्दी-खांसी-जुकाम, निमोनिया। दमा की शिकायत।
  • दमा-श्वांस के रोगी अंगूर भूलकर भी न खाएं।
   अंगूर खाने के बाद 2 से 3 घण्टे तक पानी न पिएं अन्यथा एलर्जी की समस्या करेगी परेशान।

काले अंगूर खाने से फायदा…ह्रदय को रखना है मजबूत काले अंगूर का करें सेवन. .. अंगूर का सेवन कई पुराने रोगों को रोकने में सहायक है। अंगूर में पोटेशियम होने से ब्लड प्रेशर सन्तुलित रखने में मददगार है. अंगूर का सेवन पाचनतंत्र को करेक्ट करता है। मेटाबॉलिज्म एवं लिवर के स्वास्थ्य को हेल्दी रखने में भी काफी लाभकारी है। अंगूर/द्राक्षा या मुनक्का पीलिया से बचाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी बढ़ाता है- मधुमेह की मलिनता मिटाता है-अंगूर। अंगूर चर्बी-मोटापा घटाता है। अंगूर में विटामिन ई होता है, जो नेत्रज्योति तेज करता है। अंगूर, द्राक्षा युक्त ओषधियाँ, अवलेह या माल्ट बालों और स्किन के लिए अच्छा माना जाता है। अंगूर के गुण-पक्का अंगूर-दस्तावर, शीतल, नेत्रों को हितकारी, पुष्टिकारक, भारी, पाक वा रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाला, कसैला, मल,तथा मूत्र की प्रवृत्ति कराने वाला कोठे मैं वातवर्द्धक, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफ, पुष्टि तथा रुचि को उत्पन्न करने वाला है। अंगूर के फायदे-तृषा, ज्वर, श्वास, कास, वात, वातरक्त, कामला, मूत्रकृच्छ, रक्तपित्त, मोह, दाह, शोष तथा मदात्यय नामक रोगों को नष्ट करता है। कच्चा अंगूर-ऊपर के गुणों से हीन गुण वाला वा भारी होता है। खट्टा अंगूर-वही यदि खट्टा हो तो रक्तपित्त को पैदा करने वाला है। गोस्तनी मुनक्का (गोल गोल १-१॥ इंच लम्बे गोस्तन की तरह)-वीर्यवर्द्धक, भारी और कफ तथा पित्त को नष्ट करने वाली है। किसमिस- (बिना बीज की छोटी)-गोस्तनी के सदृश ही गुणयुक्त है पर्वतीय द्राक्षा- हलकी, अम्ल तथा कफ वा अम्लपित्त को करने वाली है। करदिका--पर्वतीय दाख की तरह गुण वाली है। पर्याय-द्राक्षा, स्वादुफला, मधुरसा, मृद्वीका, हारहूरा, गोस्तनी ये दाख के अन्य नाम हैं। द्राक्षा/अंगूर भाषाभेद से नामभेद-हिंदी-अंगूर, दाख, मुनक्का। बंगाली-मनेका, बेदाना, अंगूर। मराठी—काली द्राक्षे। गुजराती-दाक्ष, धराखा। कन्नड़-वेड गण द्राक्षे। त०ता०-कोडि मड्डि। फारसी-अंगूर, मुनक्का। अ०-एनवजवीव, हबुस, -- जवीव। इंग्लिश-प्रेफ रेजिन्स Grape Raisins । लै-वाइटिन्स , विनिफेरा Witins Venifera. हजारों साल पहले भोजपत्र पर रावण लिखे द्वारा अंगूर के बारे में संस्कृत का यह मन्त्र श्लोक दृष्टिनीय है- स्वादुफला प्रोक्ता तथा मधुरसापि च।

मृद्वीका हारहूरा च गोस्तनी चापि कीतिता।

द्राक्षा पक्वा सरा शीता चक्षुष्या बृहणी गुरुः।स्वादुपाकरसा स्व- तुवरा सृष्टमूत्रविट ।।

कोष्ठमारुतहृद् वृष्या कफपुष्टिरुचिप्रदा ॥१११॥

हन्ति तृष्णाज्वरश्वासवातवातास्त्रकामलाः।

कृच्छात्रपित्तसम्मोहदोहशोषमदात्ययान् ।११२।

आमा स्वल्पगुरुगु: सैवाम्ला रक्तपित्तकृत्।

वृष्या स्याद् गोस्तनी द्राक्षा गुर्वी च कफपित्तनुता अबोजाऽन्या स्वल्पतरा गोस्तनी सदृशी गुणैः।

द्राक्षा पर्वतजा लघ्वी साम्ला श्लेष्माम्लपित्तकृत।

द्राक्षा पर्वतजा यादृक् तादृशी करमर्दिका।

अंगूर के घटक-द्रव्य…पाश्चात्यमत-विश्लेषण से इसमें अंगूरी शर्करा, टारटरिक एसिड, गम वा मलिक एसिड पाया जाता है।

अंगूर चेहरे पर लाये नूर…जाने गुण-- अंगूर के प्रयोग से पूर्व दाख के बीज वा छिल्के दूर कर देना चाहिए। मुनक्का, धमहर शीत, स्निग्ध वा मृदु रेचक है।

यह औषधियों को मीठा करने के लिए प्रयुक्त होता है। यह ज्वर की प्यास, प्रदाहमूलक पीड़ा वा कोष्ठबद्धता में हितकर है।

पत्र--कषाय होने से अतिसार में देने योग्य है।

अंगूर के लता की भस्म-अश्मरी यानि पथरी की पूर्वावस्था में वा मूत्र में तलछंट (यूरिकएसिड) अधिक आने पर सेवन करने से अगर इन्हें नष्ट करता है।

कालादाख-रेचनार्थही प्रयुक्त होती है। (आर० एन० क्षौरि० २य खण्ड १३७पृ०) फलादिवर्गः वर्णन-इसकी लताएँ ऊपर की तरफ चलती हैं। पत्र/पत्ते-गोल, बड़े, अनीदार, हरे वा बैंगनी रंग मिश्रित होते हैं। लता लाल रंग की मटमैली होती है। पुष्पकाल-वर्षा प्रारंभ फलकाल--शिशिर। लता मे पुष्प लगने के बाद गुच्छों में अंगूर लगते हैं। कच्चे रहने पर हरे, पकने पर श्वेत, हरित पीत हो जाते हैं। सूखने पर यही मुनक्का हो जाता है। छोटे किस्म का अंगूर सूख कर किसमिस हो जाता है। भूमि-लवणावत, चूर्ण मिश्रित। व्यवहारांश-क्षार, फल। अंगूर/द्राक्षा/मुनक्का/किसमिस से बनने वाले आयुर्वेदिक उत्पाद…

कुन्तल केयर माल्ट

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साँचा:other

अंगुर
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 70 किलो कैलोरी   290 kJ
कार्बोहाइड्रेट     18.1 g
- शर्करा 15.48 g
- आहारीय रेशा  0.9 g  
वसा 0.0 g
प्रोटीन 0.72 g
थायमीन (विट. B1)  0.069 mg   5%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.07 mg   5%
नायसिन (विट. B3)  0.188 mg   1%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.05 mg  1%
विटामिन B6  0.086 mg 7%
फोलेट (Vit. B9)  2 μg  1%
विटामिन B12  0 μg   0%
विटामिन C  10.8 mg 18%
विटामिन K  22 μg 21%
कैल्शियम  10 mg 1%
लोहतत्व  0.36 mg 3%
मैगनीशियम  7 mg 2% 
मैगनीज़  0.071 mg 4% 
फॉस्फोरस  20 mg 3%
पोटेशियम  191 mg   4%
सोडियम  3.02 mg 0%
जस्ता  0.07 mg 1%
प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.
स्रोत: USDA Nutrient database
अंगूर

अंगूर (संस्कृत: द्राक्षा) एक फल है। अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। ये अंगूर की बेलों पर बड़े-बड़े गुच्छों में उगता है। अंगूर सीधे खाया भी जा सकता है,

लाभ

अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऐसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढ़ाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिए। अंगूर के सेवन से फेफड़े में जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रुकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत तो ""अमृत तुल्य"" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। विटामिन "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकड़न होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में अंगूर से बढ़कर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोड़ा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढ़ता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।

इतिहास

अंगूर की खेती का प्रारंभ अाज से ५०००-८००० साल पहले भारत से हुआ था। [१]

पत्थर की नक्काशी में प्रदर्शित अंगूर की बेल
पत्थर की नक्काशी में प्रदर्शित अंगूर की बेल

अंगूर चिकित्सा

अंगूर चिकित्सा को एम्पिलोथेरेपी  (प्राचीन ग्रीक “एम्फ़ीलोस” यानि “वाइन”) के नाम से भी जाना जाता है। यह  नैसर्गिक चिकित्सा या वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें अंगूरों का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है, इसमें अंगूर के बीज, फल और पत्तियों का उपयोग किया जाता है I यद्यपि स्वास्थ्य प्रयोजनों में अंगूर के उपभोग से सकारात्मक लाभ के कुछ सीमित प्रमाण ही हैं, किन्तु कुछ चरम दावे भी हैं, जैसे कि अंगूर चिकित्सा द्वारा, कैंसर का इलाज संभव है लेकिन ये दावे महज़  नीमहकीमों  के व्यंग्यात्मक दावे हैं। [२]

वाइन” का स्वास्थ्य पर प्रभाव मुख्य रूप से, इसके सक्रिय घटक अल्कोहल के आधार पर निर्धारित होता है। [३][४] कुछ अध्ययनों के अनुसार वाइन” की अल्प मात्रा (महिलाओं के लिए प्रति दिन एक मानक पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन एक से दो मानक पेय) पीने से दिल की बीमारी, स्ट्रोक, मधुमेह, मेलिटस,मेटाबोलिक सिंड्रोम और शीघ्र मृत्यु का खतरा कम होता है। [५] हालांकि, अन्य अध्ययनों में इस तरह का कोई प्रभाव नहीं पाया गया। न्यू साइंटिफिक डेटा एंड रिसर्च के अनुसार, डॉ.पंकज नरम ने, वाइन के नियंत्रित सेवन से, होने वाले लाभों को सूचीबद्ध  किया  है I[६] मानक पेय मात्रा, की तुलना में वाइन के अधिक सेवन  से हृदय रोग,उच्च रक्तचाप, आर्टियल फाईब्रिलेशन, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। [७] बहुत कम मात्रा में वाइन के सेवन से  कैंसर द्वारा मृत्यु दर में, मिश्रित परिणाम भी पाए गए हैं ।[८]

चित्रदीर्घा

अन्य नाम

  • द्राक्षा

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite journal
  2. [१]
  3. [२]
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  5. [३]
  6. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  7. [४]
  8. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।


इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ