हेनरी वाड्सवर्थ लांगफेलो
हेनरी वाड्सवर्थ लांगफेलो (Henry Wadsworth Longfellow ; 27 फ़रवरी 1807 – 24 मार्च 1882)) अमरीका का प्रथम राष्ट्रीय कवि थे जिन्होने सुंदर छंदों में उच्च भावों का समावेश कर जीवन का ऐसा आदर्श उपस्थित किया जो अनुकरणीय और सर्वथा ग्राह्य है। अमरीकी साहित्य तथा विश्वसाहित्य को यही उसका अंशदान है। अपने समय का वह बड़ा लोकप्रिय कवि माना जाता है और आज भी वहाँ के विद्यालयों में उसकी कविताएँ तथा भावगीत रुचिपूर्वक गाए जाते और कंठस्थ किए जाते हैं। श्रोताओं और पाठकों को प्रभावित करने की अपूर्व क्षमता उसमें थी। जब 'दि विल्डिंग ऑव दि शिप' नामक कविता राष्ट्रपति लिंकन को सुनाई गई तो उनके नेत्रों में आँसू छलछला आए और उनके कपोल गीले हो गए। कुछ क्षण बाद वे केवल इतना ही कह सके 'लोगों को इस तरह हिला देने की शक्ति सचमुच एक अद्भुत वरदान है।' लांगफेलो प्रथम अमेरिकी थे जिन्होने दाँते की डिवाइन कमेडी का अनुवाद किया।
परिचय
लांगफेलो का जन्म सन् १८०७ ई. में पोर्टलैण्ड, मेन (Portland, Maine) में हुआ था जो उस समय मेसाच्युसेट्स का ही भाग था। उनकी शिक्षा बोडोइन कॉलेज (Bowdoin College) में हुई। उसने अपनी माता से दिवास्वप्न देखने की प्रवृत्ति विरासत में पाई और क्रियात्मक प्रकृति उसे अपने पिता से मिली। दिवास्वप्न देखने की प्रवृत्ति के कारण पुरातत्वप्रेमियों जैसी उसकी आदत पड़ गई थी और उसे किसी वस्तु में तब तक कोई आनंद नहीं आता था जब तक वह उसमें पुराणत्व एवं दूरता का पुट नहीं भर देता था। यह चीज हम उसकी प्राय: सभी कथाओं में देख सकते हैं, मुख्य रूप से 'दि रेक ऑव हेस्पीरस' में। इस कविता में जिस घटना का वर्णन किया गया है, वह मुश्किल से दो सप्ताह पूर्व और लगभग ५० मील दूर पर घटित हुई थी, किंतु उसे पढ़ने से प्रतीत होता है, मानो वह किसी मध्ययुगीन वृत्त का विवरण हो।
लांगफेलो की शिक्षा जब बोडोइन कालेज में चल रही थी, तभी उसने अपने पिता को लिखा कि साहित्यसेवा में ख्याति पाने की मेरी बड़ी इच्छा है। इसी समय कालेज के अधिकारियों ने वहाँ आधुनिक भाषाओं के लिए एक पीठ की स्थापना की और लांगफेलो से आग्रह किया कि वह यूरोप जाकर इस पद पर काम करने के लिए आवश्यक योग्यता प्राप्त करे। साढ़े तीन वर्ष यूरोप में बिताने के बाद जब वह लौटा तो पाँच वर्ष तक वह इस कालेज में उक्त पद पर काम करता रहा। इसी समय उसने यात्रा संबंधी लेखों का एक संग्रह तथा कई पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित की और यूरोपीय भाषाओं के कतिपय ग्रंथों का अनुवाद किया।
इसके बाद उसने दुबारा यूरोप की यात्रा की। इसी समय उसकी युवती पत्नी का निधन हो गया। अब वह हारवर्ड विश्वविद्यालय में काम करने लगा। यूरोप की यात्राओं के कारण उस ओर उसका रुझान अधिक हो गया। यूरोपीय साहित्य पर दिए गए उसके व्याख्यानों में सहानुभूति और प्रशंसा का भाव तो था किंतु विद्वत्ता के बजाय उनमें सामान्य संस्कृति की ही अभिव्यक्ति अधिक हुई। होम्स तथा लोबेल के साथ मिलकर उसने उस समाज में साहित्य की कद्र बढ़ा दी जिसमें लोग अन्यान्य बातों की ओर ही अधिक ध्यान देते थे। बहुत से श्रोताओं तथा पाठकों ने उनका साथ दिया जिससे ऐसी सांस्कृतिक परंपरा का निर्माण करने में सहायता मिली जिसके बिना कोई भी अच्छा साहित्य उन्नति नहीं कर सकता।
उसकी कविताओं ने अमरीकी लोककथाओं को, जिनपर उसने कल्पना का रंग चढ़ाकर सुंदर बना दिया था, जनता में लोकप्रिय बना दिया। वह सच्चे अर्थ में अमरीका का पहला राष्ट्रीय कवि था। उसे उतना सम्मान तो नहीं मिला, किंतु उसकी रचनाएँ सभी पढ़ते थे और सभी को उनमें आनंद आता था। वह अमरीका का प्रथम अंतरराष्ट्रीय कवि भी था जिसकी कृतियों ने साहित्यजगत् में अमरीका का प्रवेश कराया। वह पहला अमरीकी कवि था जिसे अन्य देशें में भी मान्यता प्राप्त हुई और जिसकी रचनाओं का अन्यान्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया।
संपन्नता की ओर बढ़ते समय सन् १८४३ में उसने दूसरा विवाह किया। उसकी परिणीता कुमारी फ्रैंसिस एलिजाबेथ एपिलटन बड़ी धनाढ्य थी जो अपने साथ क्रेगी हाउस नामक विशाल भवन स्त्री धन के रूप में लाई। इसपर कुछ लोगों ने हृदय की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ साथ सांसारिक संपत्ति बटोरने की भी उसकी योग्यता पर कटाक्ष किया। जो हो, पत्नी के प्रति उसकी अनुरक्ति बढ़ती गई और वह सृजनशील सुस्थिर जीवन की ओर अग्रसर होता गया।
लांगफेलो ने अमरीकी साहित्य में गीतिकाव्य के नए प्रकार, लंबी वर्णनात्मक कविता, को जन्म दिया। इस तरह की प्रथम लंबी वर्णनात्मक रचना 'इवैजेलीन' अधिक प्रभावोत्पादक न होती हुई भी काफी लोकप्रिय हुई। किंतु 'हिंआवाथा' में उसकी काव्यप्रतिभा चरम सीमा तक पहुँच गई। 'टेल्स ऑव ए वेसाइड इन' में उसने उस रचनाक्रम को अपनाया जो चौसर ने कैटरबरी टेल्स में तथा बोकेशियो 'डीकामेरान' में प्रस्तुत किया था।
लांगफेलो सच्चे अर्थ में कलाकार है, सजग और विचारशील। उसकी भाषा से स्पष्ट है कि वह छंदों की रचना के नियमों में पारंगत था। यद्यपि आधुनिक आलोचकों ने उसके गीतिकाव्यों में उपदेश देने की प्रवृत्ति का और उसकी कथाओं में अत्यधिक कल्पनाशीलता का दोषारोप किया है, फिर भी उसे मानवता के ऐसे कवि के रूप में निरतर मान्यता प्राप्त होती रहेगी जो सीधेसादे ढंग से कथा कहने और सबके हृदय में, चाहे वे युवक हों या वृद्ध, उच्च आदर्श एवं उच्च विचार उद्भावित करने में आनंद की अनुभूति करता था।